हरी मिर्च की फसल पर मौसम की मार , किसानों के चेहरे मुरझाए

Update: 2017-07-02 13:59 GMT
बाराबंकी में बड़े पैमाने पर होती है हरी मिर्च की खेती।

बाराबंकी। ओफफ फो... कितनी बेस्वाद सी सब्जी है, इसमें मिर्ची नहीं डाली क्या ? कुछ ऐसे ही बिगड़ता है आपका मूड अगर खाने से मिर्च गायब हो जाए, मगर यही मिर्च अन्नदाता के खाने के और उसकी जेब का हाल बिगाड़ रही है।

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी हरी मिर्च की बड़ी मंडी है। यहां दर्जनों ट्रक हरी मिर्च देश के कई राज्यों में भेजी जाती है। बाराबंकी जिले में 1500 एकड़ से भी ज्यादा क्षेत्रफल में हरी मिर्च की खेती होती है। मगर इस बार किसानों के चेहरे मुरझाए हुए हैं। मौसम की मार और रोग लगने से फसल चौपट हो गई है। 60 की उम्र पार कर चुके संतराम मौर्य धूप के बचने के लिए सिर पर लाल अंगौछा बाधें अपने खेतों की बीच खड़े होकर बताते हैं, "40 फीसदी मिर्च इस बार सूख चुकी है और जो बची है उसमें लगातार कीड़े लग रहे हैं।"

मिर्च की बेबसी बताते किसान संतराम

संतराम से बातों बातों में हमें ये भी पता चला की इतनी मेहनत से उगाई गयी मिर्च का उन्हें सिर्फ 3 रुपए प्रति किलो मिल रहा है। मुनाफे की बात पर हंसते हुए संतराम बतातें हैं, "बचता तो कुछ भी नहीं, मगर अब काम है इसलिए करना पड़ता है।”

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बागवानी विभाग के प्राप्त आंकड़ों के अनुसार करीब एक लाख अस्सी हजार कुंतल तक का मिर्च उत्पादन अकेले बाराबंकी करता है जिसका निर्यात सिर्फ उत्तर प्रदेश तक ही नहीं बल्की साऊदी अरब तक यहां के किसान करते हैं, मगर इतना बड़े पैमाने पर उत्पादन के बावजूद किसान बदहाल हैं, पौधों में कई प्रकार के रोग और सही भाव ना मिलने के कारण किसान दुर्दशा की कगार पर हैं।

फसल में लगे कीड़ों को दिखाते आदेश 

मिर्च के खेत के बीच खड़े आदेश बताते हैं, "मंहगी से मंहगी दवा डालने पर भी पौधों में कीड़े लग गये, और बाकी बची फसल तेज बारिश में पानी भरने से खराब हो गयी, इस बार अब तक मिर्च का रेट 1000 से 1200 रुपय तक ही रहा, जिसमें खाद दवाई और डीजल का खर्च निकाल दें तो लगात भी निकालना मुश्किल है।"

मिर्च के एक और किसान बेलहरा निवासी रामेश चन्द्र बताते हैं, "अबकी बार उकठा ,मैट, बगुरा, और आमेरिकन सुन्डी जैसे कीटों का प्रकोप जबरदस्त रहा है, जिससे मिर्च की खेती करने वाले किसानों के मुनाफे की जगह नुकसान उठाना पड़ा है।"

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