क्या महाराष्ट्र को सूखे से बचाने के लिए सरकारी नीति बदलने की ज़रूरत है?

Update: 2016-05-06 05:30 GMT
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मुंबई (भाषा)। ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष सुधींद्र कुलकर्णी का कहना है की अगर महाराष्ट्र पानी की कमी के मुद्दे से निपटने के लिए गंभीर है तो उसे एक समग्र सूखा राहत नीति और एक अलग विभाग बनाना चाहिए।

कुलकर्णी ने कल सचिवालय में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को मराठवाड़ा में सूखे पर आधारित एक रिपोर्ट सौंपने के बाद संवाददाताओं से कहा, 'महाराष्ट्र सूखे के अंधकार में फंसा है। खासतौर पर मराठवाड़ा उन व्यथित किसानों का गढ़ बन गया है जो पानी की भारी कमी, अप्रत्याशित बारिश और एक के बाद एक फसलों के नष्ट होने से जूझ रहे हैं।' उन्होंने कहा, 'इन सबके कारण क्षेत्र का मौजूदा आर्थिक एवं सामाजिक ढांचा चरमरा गया है। एक के बाद एक आई सरकारों ने साल दर साल सूखे से निपटने के विभिन्न कारणों और उनके समाधानों पर चर्चाएं की हैं लेकिन ऐसा अधिकतर अलग-थलग तौर पर ही किया गया है।' इस नीति और एक समग्र रुख़ की जरूरत बताने वाली ये रिपोर्ट ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन मुंबई द्वारा तैयार की गई है।

ओआरएफ मुंबई के दल को उनकी रिपोर्ट से निकाले गए निष्कर्ष और सिफारिशें राज्य के सभी सूखा प्रभावित जिलों के कलेक्टरों के समक्ष पेश करने के लिए बुलाया गया था। कुलकर्णी ने कहा, 'यदि हम सूखे के मुद्दे का अध्ययन गहराई तक करें तो पाएंगे कि ग्रामीण इलाकों में एक समानांतर अर्थव्यवस्था उभर कर आई है।'

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