जानिए एक ऐसी लड़की के बारे में जिसने बेरंग कबाड़ को दिए खूबसूरत रंग

Update: 2017-05-10 15:52 GMT
शिखा शाह                                                                                       साभार: इंटरनेट

लखनऊ। यूं तो कबाड़ का कोई महत्व नहीं होता लेकिन वाराणसी का कबाड़ बेकार नहीं जाता। आप सोच रहे होंगे कि क्या कबाड़ का बेहतर इस्तेमाल भी हो सकता है? तो हम कहेंगे हां ये काम कर दिखाया है वाराणसी की रहने वाली शिखा शाह ने। शिखा ने एक स्टार्टअप की शुरुआत की है जिसको नाम दिया स्क्रैपशाला।

शिखा ने इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छता अभियान और स्टार्टअप इंडिया से प्रेरित होकर किया। शहर भर के कबाड़ को खूबसूरत रूप देने की शिखा की ये अनोखी पहल है। स्क्रैपशाला के जरिये शहर की तस्वीर बदलने वाली 27 वर्षीय शिखा का कहना है कि 'मोदी के स्टार्टअप इंडिया के विज़न ने भारत के शहर से लेकर गांव में रहने वालें लोगों की सोच को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है।'

शिखा को प्रकृति से बहुत प्यार है। उन्होंने दिल्ली में एन्वायरमेंटल साइंस से ग्रेजुएशन करने के बाद नौकरी शुरू कर दी थी। नौकरी के दौरान तमाम स्थानों पर कई प्रोजेक्ट्स पर काम के समय उन्होंने पर्यावरण के प्रति लोगों की संवेदनहीनता को देखा।

तभी से उन्होंने ठान लिया कि कुछ ऐसा करना है, जिससे व्यापार भी हो सके और ज़रूरतमंदों को नौकरी भी मिल सके, साथ ही अपने स्टार्टअप के माध्यम से समाज को स्वच्छता का संदेश भी दिया जा सके। अपनी अच्छी खासी नौकरी को छोड़कर शिखा ने स्क्रैपशाला की सुरुवात की। वेबसाईट योरस्टोरी में छपी खबर के मुताबिक, शिखा ने सबसे पहले अपने घर के कबाड़ से इस मिशन को शुरू किया था।

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इसके बाद उन्होंने नगर निगम में आने वाले कबाड़ को लेना शुरू किया और कबाड़ के सामान को कांट-छांटकर खूबसूरत चीजें तैयार करने लगीं। इतने सुंदर क्राफ्ट्स, जिन्हें देख कर किसी को भरोसा ही नहीं होता है, कि कबाड़ से भी इतने खूबसूरत और उपयोगी सामान बनाये जा सकते हैं। शिखा का व्यापार अब बढ़ने लगा है। वो अब अपनी वर्कशाप के लिए बड़ी जगह तलाश रही हैं।

खुद के साथ-साथ औरों को भी दे रहीं रोजगार

शिखा की योजना है कि कबाड़ से बनी चीजों को बाजार उपलब्ध कराने के लिए शहर में तमाम स्थानों पर अपना आउटलेट खोलेंगी। शिखा ये हुनर दूसरों को सैलरी देकर सिखाती हैं। शिखा अपने सपने और समाज को संदेश देने के इरादे में काफी हद तक सफल भी हो चुकी हैं। आपको बतादें शिखा ने दो साल पहले बेकार पड़े कबाड़ को नगर निगम से बीस हज़ार रुपये में खरीदा था।

साभार: इंटरनेट

कबाड़ खरीदकर अपने शहर को खूबसूरत बनाने के साथ ही स्क्रैपशाला के माध्यम से लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए निकल पड़ी। उस वक्त शिखा बिलकुल अकेली थीं। लेकिन आज उनकी मेहनत और लगन से उन्होंने तकरीबन आधा दर्जन बेरोजगारों को रोजगार दिया बल्कि स्वच्छता के प्रति जागरूक भी किया। इतना ही नहीं शिखा अब ये हुनर औरों को भी सिखा रहीं हैं वो भी बाकायदा 15 से 20 हज़ार की सैलरी के साथ।

शहर में बना स्क्रैपशाला आज उन लोगों के लिए आश्चर्य का विषय बना हुआ है, जो अपने घर के कबाड़ को या तो बेच दिया करते हैं या फिर सड़क पर फेंक देते हैं, क्योंकि उन्हें उम्मीद ही नहीं थी कि इस कबाड़ से भी लाखों का व्यवसाय किया जा सकता हैं। शिखा आज के युवा के लिए मिसाल है वो खुद तो अपना भविष्य सवांर ही रही है साथ ही दूसरों को भी रोजगार दे रही हैं।

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