रायबरेली। झाड़ू दैनिक जीवन में स्वच्छता और साफ-सफाई का सबसे अहम पहलु है। ग्रामीण महिलाएं जोकि किसी कारणवश अपनी पढ़ाई नहीं कर पाई, वो महिलाएं झाड़ू बनाकर अपना पूरा परिवार चलाती हैं और अपने गाँव समाज में गौरव का कारण बनी हैं।
रायबरेली जिले के बछरावां ब्लॉक में लगभग 10 किमी. पश्चिम दिशा के दोस्तपुर, कुण्डौली, कसरावां, तिलेण्डा, बाचूपुर और बाकी के आस-पास के गाँव झाड़ू निर्माण के लिये जाने जाते हैं। जहां कुण्डौली गाँव के करीब 10 से 12 परिवार झाड़ू बनाते हैं। जिनमें से आधे से ज्यादा झाड़ू घरों की महिलाएं बनाती हैं। जिनके पास खेती करने का हुनर तो है लेकिन जमीन नहीं है।
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इन परिवार के घर के लोग दूसरे के खेतों में मजदूरी करते हैं और महिलाओं के साथ-साथ बेटियां झाड़ू बनाकर गुजर बसर करती हैं। कुण्डौली गाँव की ही महिला शिवपती (45 वर्ष) इनके घर में लंबे समय से झाड़ू का व्यवसाय किया जाता है।
शिवपती बताती हैं, “हम लोगों को झाड़ू बनाने के लिये पेड़ खरीदने पड़ते हैं। एक पेड़ 50 रूपये का मिलता है और एक पेड़ में करीब 12 से 15 झाड़ू की पत्ती निकलती है। बांधने वाले तार को मिलाकर करीब तीन रूपये लागत आती है। एक दिन में करीब 50 झाड़ू पूरा परिवार मिलकर बनाते हैं। पांच से छह लोग लगते हैं बनाने में और जब करीब 300 झाड़ू हो जाते हैं, तब उसे लखनऊ ले जाकर बेच आते हैं। एक हफ्ते में लगभग 1500 की आमदनी हो जाती है।
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