पंचायत से लेकर घरेलू झगड़े सुलझाती हैं महिलाएं

Update: 2017-04-14 16:31 GMT
महिलाओं के समूह में  महिलाओं की समस्या सुलझाने तक की चर्चा होती नजर आती है।

नीतू सिंह, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

बहराइच। सक्रिय महिलाओं का एक समूह हर महीने की 22 तारीख को दोपहर 11 बजे से शाम के चार बजे तक छप्पर के नीचे बैठकर आपस में पंचायत की खुली बैठक से लेकर महिलाओं की समस्या सुलझाने तक की चर्चा होती नजर आती है।

“जब मैं पहली बार गर्भवती हुई तो कुछ दिनों के लिए मायके गयी, मेरी माँ ने मुझे ससुराल नहीं आने दिया, वो मेरी सास से बहुत डरती थी क्योंकि वो मेरे पति की सौतेली माँ थी।”, ये कहना है मैहरून निशा का। मैहरून निशा बहराइच जिले के अलीनगर गाँव की रहने वाली हैं। ये आगे बताती हैं, “मेरे शौहर कई बार लेने गये।

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इसके बाद भी माँ ने नहीं भेजा, उन्हें लगता था कि मेरे होने वाले बच्चे को मेरी सास मार देंगी क्योंकि उनके कोई बच्चे नहीं थे।” जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर अलीनगर गाँव में छप्पर के नीचे बैठा महिलाओं का ये झुण्ड बहुत ज्यादा पढ़ा-लिखा तो नही हैं लेकिन इन्हें अपने हक़ अधिकार और कानून की जानकारी बहुत अच्छे से है। इस समूह ने दो साल पहले दहेज हत्या के गुनहगारों को सलाखों के पीछे भिजवाया था।

यह समूह महिला समाख्या द्वारा प्रशिक्षित किया गया एक सक्रिय समूह है। महिलाओं को घर से बहार निकलने में भले ही संकोच हो लेकिन इस बैठक में आने से उन्हें कोई परहेज नहीं हैं। मैहरून निशा की सास जाकिरा बेगम (50 वर्ष) इस समूह की एक महिला हैं, उन्होंने अपने घर की समस्या जब इस समूह में रखी तो 11 महिलाओं का मैहरून निशा के मायके गया।

महरून निशा की माँ किसी भी कीमत पर भेजने को तैयार नहीं थी, इन महिलाओं ने उन्हें तीन-चार घंटे लगातार समझाया, बहुत समझाने के बाद उनकी माँ लिखा पढ़ी के बाद भेजने को तैयार हुई। महिलाओं ने स्टाम्प पेपर पर लिखा-पढ़ी कराकर मैहरून निशा को ससुराल ले आये।

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