वुमेन हेल्प लाइन 181 से महिलाओं की जिन्दगी हुई आसान

Update: 2017-04-07 11:55 GMT
कॉल सेंटर में फोन पर समस्या सुनतीं एग्जीकेटिव।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। कृष्णानगर थाने में एक महिला ने फोन किया कि उसके पति 15 साल की बेटी से पांच महीनों से बलात्कार कर रहे हैं। इसके बाद टीम उस महिला के घर पहुंची और पति को गिरफ्तार कर लिया।यह टीम थी महिला एवं बाल कल्याण विभाग के आशा ज्योति केन्द्र की, जो पड़िता को हर संभव मदद एक बैनर के तले दिलाती है।

महिलाओं की मदद के लिए महिला एवं बाल कल्याण विभाग ने 11 जिलों में रानी लक्ष्मीबाई आशा ज्योति केन्द्र खोले हैं, जहां 181 नंबर पर कॉल करके पीड़िता मदद की गुहार कर सकती हैं। इन केन्द्रों पर एक छत के नीचे पुलिस चौकी, रेस्क्यू वैन, पैरामेडिकल डॉक्टर, कौशल विकास प्रशिक्षण, काउंसलर से लेकर उसके रहने और खाने तक की सुविधा मुहैया करायी गयी है।

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अभी प्रदेश के 11 जिलों में आशा ज्योति केन्द्र बनाए गए हैं, जहां महिलाओं और किशोरियों के साथ घरेलू हिंसा, दुराचार, एसिड अटैक, छेड़छाड़ और दहेज से पीड़िताओं की मदद की जाती है। अगर ऐसे सभी 75 जिलों में हो जाएं तो हजारों महिलाओं को मदद के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।

“गाँव की रहने वाली हूँ, पहले नहीं पता था कि घर के अंदर महिलाओं के साथ कितनी हिंसा होती है, दिन में सैकड़ों कॉल्स आती हैं, जिसमें महिलाएं हम पर पूरा विश्वास करके अपनी पीड़ा बता रही होती हैं, जब हम उनकी मदद कर पाते हैं तो आत्मसंतुष्टि का अहसास होता है,” आशा ज्योति केन्द्र के कॉल सेंटर में काम करने वाली ज्योति शिखा (22) बताती हैं।

यहां शिखा की तरह ही 17 टेली काउंसलर हैं, तीन टीम लीडर हैं और 27 फील्ड काउंसलर हैं। यूपी के 11 जिलों में बने आशा ज्योति केन्द्रों पर वुमेन हेल्पलाइन नंबर 181 पर 8 मार्च, 2016 से 31 जनवरी, 2017 तक वाराणसी में 306, कानपुर में 314, लखनऊ में 291, गाजियाबाद में 185, मेरठ में 182, इलाहाबाद में 140, आगरा और गाजीपुर में 102, गोरखपुर में 75, बरेली में 54, कन्नौज में 45 मामले दर्ज़ किए गए। इनमें भी सबसे अधिक 43.56 प्रतिशत मामले घरेलू हिंसा के थे।

हर दिन लगभग 4000 कॉल्स आती हैं, जिसमे 10 प्रतिशत महिला मुद्दों से सम्बन्धित होती है, अभी सिर्फ छह सीटर काल सेंटर है, जबकि जरूरत 30 सीटर की है अगर संख्या बढ़ जाए तो महिलाओं की ज्यादा से ज्यादा समस्या सुन पाएंगे पीड़ित महिला को अब दर-दर भटकने की जरूरत नहीं है।
आशीष वर्मा, प्रोजेक्ट मैनेजर , हेल्पलाइन 181

181 की प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर फलक रहमान बताती हैं, “महिला के पति को गिरफ्तार कर लिया गया है उनकी बेटी को कस्तूरबा गांधी में पढ़ाने की बात चल रही है, उस महिला की हम पूरी तरह से मदद कर रहे हैं।“ वो आगे बताती हैं, “मार्च महीने में बिजनौर जिले से एक काल आयी थी जिसमे महिला का पति शराब के नशे में खूब-मारपीट करता था, महिला को मायके में छोड़कर 9 महीने के बच्चे को लेकर पति चला गया, जैसे ही टीम को पता चला तुरंत काउंसलिंग की गयी, पति पत्नी को बच्चे के पास ले गया।” ऐसे हजारों मसले एक हेल्पलाइन के द्वारा सुलझाये गये हैं। इस सेंटर पर टीम लीडर के पद पर काम कर रही रचना केसरवानी (23 वर्ष) बताती हैं, “यहां काम करने के दौरान पता चला कि महिलाओं के साथ उनके अपने ही किस तरह घटनाओं को अंजाम देते हैं, एक साल में 10 हजार मामले आये हैं जिनमें सभी का निस्तारण किया गया है।”

देश में महिलाओं को उनका हक दिलाने का काम कर रही संस्था नेशनल कमीशन फॉर वीमेन के आंकड़ों के अनुसार भारत में घरेलू हिंसा के मामले सबसे अधिक उत्तर प्रदेश में हैं। वर्ष 2015-16 में अकेले उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामलों की संख्या 6,110 थी, जबकि दिल्ली में 1,179, हरियाणा में 504, राजस्थान में 447 और बिहार में 256 मामले दर्ज़ हुए।

लखनऊ में बने आशा ज्योति केंद्र की सामाजिक कार्यकर्ता अर्चना सिंह बताती हैं, “पिछले पांच फरवरी, 2017 को चारबाग रेलवे स्टेशन से हमारे पास फ़ोन आया, हम लड़की से मिलने गए, लड़की घर से नराज होकर जम्मू अपने पति के पास जा रही थी, किसी महिला के गलत चंगुल में फंस गयी जो उसका देह व्यापार करवाती थी," आगे बताती हैं, “लड़की के घरवाले उसे स्वीकार करने को तैयार नहीं थे, घरवालों का कहना था जैसा किया है वैसा भुगते, हम फ़ोन से पिछले एक महीने से लगातार उसके परिवार की काउंसलिंग करते रहे,लड़की घर जाने को लेकर बहुत बेचैन थी, काफी समझाने बुझाने के बाद 17 मार्च को उसके परिवार वालों ने खुशी से उसे स्वीकार कर लिया।”

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