नमामि गंगे परियोजनाः गंदगी फैलाने वाले 150 उद्योगों पर लगेगा ताला

Update: 2016-07-10 05:30 GMT
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नई दिल्ली (भाषा)। गंगा को अविरल और निर्मल बनाने की नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी ‘नमामि गंगे' परियोजना ने गति पकड़ ली है। जल संसाधन नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि 508 प्राथमिक उद्योगों से वास्तविक प्रवाह की निगरानी के लिए स्टेशन स्थापित किये जायेंगे, जबकि गंदगी फैलाने वाले 150 उद्योगों को बंद करने का नोटिस दे दिया गया है।

उन्होंने बताया कि गंगा नदी के पानी के ऊपरी सतह की सफाई का कार्य पांच जगहों पर शुरु हो गया हैं और गंगा के किनारे 20 अन्य जगहों पर भी इसे शुरु किया जायेगा।

मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, राज्यों के सुझाव से एक समग्र गंगा अधिनियम बनाने पर सहमति बनी है। केंद्र और राज्य सरकार के मंत्रियों और प्रतिनिधियों ने सर्वसम्मति से यह तय किया है कि पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति गिरधर मालवीय के नेतृत्व में गंगा अधिनियम का प्रारुप तैयार किया जाएगा। यह कानून भविष्य में गंगा संरक्षण के कार्य को आगे बढ़ाएगा।

इसके अलावा डी-सिलटिंग के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञ माधव चिताले की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किये जाने के बारे में सहमति बनी है जिसमें सचिव जल संसाधन, नदी विकास, गंगा संरक्षण, सचिव पर्यावरण और वन मंत्रालय सदस्य होंगे। यह समिति भीमगोड़ा (उत्तराखंड) से लेकर फरक्का (पश्चिम बंगाल) तक डी-सिलटिंग के कार्य से संबंधित दिशानिर्देश और अन्य संस्तुतियां प्रदान करेगी।

विश्व की उत्तम जल शोधन प्रौद्योगिकी के आधार पर गैर चिन्हित नालों की सफाई के लिये छोटी-छोटी परियोजनायें शुरु की जायेंगी। जल संसाधन और नदी विकास मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार 10 जलमल शोधन संयंत्र (एसटीपी) के लिए पहले चरण में हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल के आधार पर जुलाई के अंत तक टेंडर प्रक्रिया प्रारंभ करने पर सहमति बनी है।

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