उत्तर प्रदेश में 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र देना सरकारी धोखा: मायावती

Update: 2019-07-01 11:01 GMT

लखनऊ। बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा पिछले दिनों 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों के प्रमाण पत्र जारी करने सम्बन्धी आदेश को सबसे बड़ा धोखा करार दिया है।

मायावती ने सोमवार को यहां जारी एक बयान में कहा ''उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार का यह आदेश इन 17 जातियों के साथ सबसे बड़ा धोखा है। इससे ना तो इन जातियों को अन्य पिछड़े वर्ग के आरक्षण का लाभ मिलेगा और ना ही अनुसूचित जाति के आरक्षण का लाभ मिलेगा।''

उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिये होगा, क्योंकि प्रदेश सरकार इस आदेश के बाद उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग नहीं मानेगी। वहीं, इन बिरादरियों को अनुसूचित जाति के आरक्षण का लाभ इसलिए नहीं मिलेगा, क्योंकि कोई भी सरकार मात्र आदेश जारी करके ना तो उन्हें किसी सूची में डाल सकती है और ना ही हटा सकती है।

मायावती ने प्रदेश की पूर्ववर्ती सपा सरकार पर भी हमला करते हुए कहा कि बीएसपी ने प्रदेश में पूर्व की सरकार द्वारा असंवैधानिक तरीके से इन 17 जातियों के सिलसिले में जारी इसी तरह के आदेश का भी विरोध किया था।

बीएसपी प्रमुख ने कहा कि प्रदेश की बीजेपी सरकार ने उत्तर प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा उपचुनावों को ध्यान में रखते हुये अपने राजनीतिक लाभ के लिए लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाने वाला यह कदम उठाया है, जो कि निंदनीय है।

उन्होंने कहा कि उनकी उत्तर प्रदेश सरकार से अपील है कि वह इन 17 जातियों के लोगों को धोखा न दे और इस असंवैधानिक आदेश को तुरन्त वापस ले। साथ ही वह केन्द्र सरकार से अपील करती हैं कि संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत संवैधानिक प्रक्रिया पूरी करते हुए इन 17 जातियों को अनुसूचित जाति की सूची में डाला जाए।

उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार ने गत 24 जून को जारी एक शासनादेश में सभी मण्डलायुक्तों और जिलाधिकारियों को यह निर्देश दिया था कि 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के मसले पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा 29 मार्च 2017 को जारी आदेश का अनुपालन सुनिश्चिति हो और परीक्षण के बाद जरूरी दस्तावेजों के आधार पर नियमानुसार जाति प्रमाणपत्र जारी किए जाएं।

न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि इन 17 जातियों को वांछित जाति प्रमाणपत्र जारी किया जा सकता है लेकिन उनकी वैधता इस मामले में दाखिल याचिका पर अदालत द्वारा भविष्य में दिए जाने वाले फैसले पर निर्भर करेगी।

प्रदेश की इन 17 अति पिछड़ी जातियों में निषाद, बिंद, मल्लाह, केवट, कश्यप, भर, धीवर, बाथम, मछुआ, प्रजापति, राजभर, कहार, कुम्हार, धीमर, मांझी, तुरहा और गौड़िया हैं जिन्हें अनुसूचित जाति में शामिल करने की कोशिश प्रदेश की पूर्ववर्ती मायावती सरकार और अखिलेश यादव सरकार ने भी की थी, मगर वह कोशिश नाकाम हो गई थी। 

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