यूपी सरकार की पहल, मोबाइल वैन के जरिए कम रेट पर घर तक पहुंचाया जाएगा आलू प्याज

अभी ये शुरूआत लखनऊ से की गई है, जल्द ही दूसरे जिलों के एफपीओ और समितियों के माध्यम से सस्ते दाम पर आलू प्याज जैसे कृषि उत्पाद बेचा जाएंगे।

Update: 2020-10-31 14:16 GMT

प्याज और आलू पिछले कुछ महीनों में काफी महंगा बिक रहा है। कई जगह पर फुटकर रेट में भी 60 रुपए किलो बिक रहा है, आलू और प्याज के रेट कम करने के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार ने कई कदम उठाएं हैं। एफपीओ और हॉफेड के माध्यम से यूपी के कई जिलों में सस्ते में आलू व प्याज उपलब्ध करायी जाएगी।

उत्तर प्रदेश राज्य औद्यानिक सहकारी विपणन संघ (हॉफेड) के प्रबंध निदेशक डॉ. आरके तोमर गाँव कनेक्शन को बताते हैं, "हमारा काम है किसानों को उनकी उपज का सही दाम और उपभोक्ता को सही दाम पर उत्पाद दिलाना। जब बाजार भाव बढ़ जाते हैं तो किसान तो सस्ते में बेचता है, लेकिन रिटेलर ज्यादा पैसा कमाते हैं, इसलिए हमने सीधे किसानों से आलू लेकर बीच में से बिचौलिए को खत्म करते हुए। सीधे उपभोक्ता को आलू और प्याज देने का काम शुरू किया है। इसीलिए हमने एक मोबाइल वैन चलायी है, इसकी सफलता के साथ ही दूसरे जिलों में एफपीओ और समितियों के माध्यम से उत्पाद बेचा जाएगा। 

वो आगे कहते हैं, "अभी चिप्सोना 1 आलू की किस्म 38 रुपए किलो जिसका दाम बाजार में 45 से 50 रुपए प्रति किलो चल रहा है, और प्याज भी दो कटेग्ररी की है, एक 50 रुपए किलो और दूसरी 60 रुपए किलो दोनों को बेचा जा रहा है। लखनऊ के जितने भी पब्लिक प्लेस हैं, वहां पर ये वैन जाएगी और आलू प्याज बेचगी।"

उत्तर प्रदेश राज्य औद्यानिक सहकारी विपणन संघ (हॉफेड) के प्रबंध निदेशक डॉ. आरके तोमर मोबाइल वैन की शुरूआत करते हुए, साथ में इरादा एफपीओ के सीईओ

केंद्र सरकार ने शुक्रवार (30 अक्टूबर) को कहा कि त्योहारी सीजन में उपभोक्ताओं को महंगाई का सामना न करना पड़े इसलिए भूटान से आलू मंगवाया गया है। आलू की कीमतों को लेकर पीयूष गोयल ने कहा, "आलू के आयात पर जो 30 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी लगती थी उस 10 लाख मीट्रिक टन का एक कोटा दिया गया है जो 31 जनवरी 2021 तक मात्र 10 प्रतिशत में आलू लाया जा सकता है। इसके तहत भूटान से 30,000 टन आलू आने वाला है, वहां बात हो गई है और इसके साथ ही विदेश से करीब 10 लाख टन आलू लाकर हम आलू के दाम भी नियंत्रित रख पाएंगे।"

आलू की कीमतों को कम करने के लिए उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, उद्यान मनोज सिंह ने प्रदेश के सभी कोल्ड स्टोरेज को 31 अक्टूबर के बाद कूलिंग मशीनें न चलाने और स्टोर में रखे पुराने आलू निकासी के निर्देश दिए हैं। जबकि हर साल 30 नवंबर तक कोल्ड स्टोरेज से आलू निकासी होती थी।

उत्तर प्रदेश राज्य औद्यानिक सहकारी विपणन संघ (हॉफेड) के साथ इरादा एफपीओ काम कर रहा है। लखनऊ का एफपीओ लॉकडाउन में भी किसानों की मदद को आगे आया था, लॉकडाउन में जब बाजार तक किसान नहीं पहुंच पा रहे थे तो एफपीओ मोबाइल वैन के माध्यम से उनका उत्पाद उपभोक्ताओं तक पहुंचा रहा है, जिसकी तारीफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में भी की थी।

इरादा फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के सीईओ दयाशंकर सिंह बताते हैं, "हमने एफपीओ के माध्यम से लॉकडाउन में भी किसानों की मदद की थी, अभी जब आलू और प्याज महंगे दाम में बिकने लगा, हॉफेड से बात कि एफपीओ की मदद से किसानों की कुछ मदद कर सकते हैं। इसके लिए हमने सबसे पहले लखनऊ के अधिकतर बाजार में आलू और प्याज का रेट पता किया। अभी एक वैन चला रहे हैं, अगर अच्छा रिस्पॉन्स मिला तो और भी चलाएंगे।"

एफपीओ यानी किसान उत्पादक संगठन, किसानों का एक ऐसा समूह जो अपने क्षेत्र में फसल उत्पादन से लेकर खेती-किसानी से जुड़ी तमाम व्यावसायिक गतिविधियां भी चलाता है। एफपीओ में 100 से लेकर कई हजार किसान तक शामिल हो सकते हैं। एफपीओ के जरिये किसानों को न सिर्फ कृषि उपकरण के साथ खाद, बीज, उर्वरक जैसे कई उत्पादों को थोक में खरीदने की छूट मिलती है बल्कि वो तैयार फसल, उसकी प्रोसेसिंग करके उत्पाद को मार्केट में बेच भी सकते हैं। एक तरह से ये सहकारिता पर आधारित प्राइवेट कंपनियां होती हैं। उत्तर प्रदेश में 750 एफपीओ पंजीकृत हैं, लखनऊ में 50 से ज्यादा एफपीओ हैं। 

पायलट प्रोजेक्ट के तौर में अभी लखनऊ से शुरूआत की गई, आगे दूसरे जिलों में भी चलायी जाएगी।

"हमने इसकी शुरूआत लॉकडाउन में की थी, जब किसानों को उनके उत्पाद का सही रेट नहीं मिल रहा था। लॉकडाउन में हमने लखनऊ के 65 होटल और 900 किसानों का सर्वे किया, होटल तक सब्जी नहीं पहुंच पा रही थीं और किसानों का माल नहीं बिक रहा था। इसके लिए हमने 26 आदमियों और छह गाड़ियों की मदद से लखनऊ भर में सब्जियों की सप्लाई शुरू की।, दयाशंकर सिंह ने आगे बताया।

आलू की फसल में देरी होने से इस बार बाजार में आलू भी देर से आएंगे, हर बार दीवाली तक आलू की नई फसल बाजार में आ जाती थी। इस बार बाजार में आलू के बीज का रेट काफी ज्यादा रहा और अगर ऐसा ही रहा तो आलू का दाम और भी ज्यादा बढ़ सकते हैं। आलू के बीज का दाम अधिक होने से कई छोटे किसान आलू की बुवाई ही नहीं कर पाएं हैं।

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