कच्ची शराब जानलेवा क्यों है, आखिर उसमें ऐसा क्या होता है ?

यूपी के बाराबंकी में मंगलवार को जहरीली शराब पीने से करीब 16 लोगों की मौत हो चुकी है। कई गंभीर रूप से बीमार हैं जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जहरीली शराब पीने से होने वाली मौतें अक्सर सुनने और देखने में आती हैं।

Update: 2019-05-28 13:44 GMT

लखनऊ। यूपी के बाराबंकी में मंगलवार को जहरीली शराब पीने से करीब 16 लोगों की मौत हो चुकी है। कई गंभीर रूप से बीमार हैं जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जहरीली शराब पीने से होने वाली मौतें अक्सर सुनने और देखने में आती हैं। अब सवाल यह उठता है कि आखिर देशी और कच्ची शराब में ऐसा क्या मिला होता है जिसे पीने के कुछ घंटे के अंदर व्यक्ति की मौत हो जाती है?

राजकीय मेडिकल कॉलेज बांदा के फॉरेंसिक एक्सपर्ट प्रो. मुकेश यादव ने गाँव कनेक्शन को फोन पर बताया, " कच्ची शराब को बनाने के लिए ऑक्सीटोसिन, नौसादर और यूरिया मिलाते हैं। जहरीली शराब मिथाइल एल्कोहल कहलाती है। कोई भी एल्कोहल शरीर के अंदर जाने पर लीवर के माध्यम से एल्डिहाइड में बदल जाती है। लेकिन मिथाइल एल्कोहल फॉर्मेल्डाइड नामक के ज़हर में बदल जाता है। ये जहर सबसे पहले आंखों पर असर डालता है। इसके बाद लीवर को प्रभावित करता है। अगर शराब में मिथाइल की मात्रा ज्यादा है तो लीवर काम करना बंद कर देता है और व्यक्ति की मौत हो जाती है। "



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वे आगे कहते हैं "ग्रामीण क्षेत्रों में जिस पेय पदार्थ को देसी दारू के नाम पर बेचा जाता है उसे एथेनॉल भी कहते हैं। ये गन्ने के रस, ग्लूकोज़, शोरा, महुए का फूल, आलू, चावल, जौ, मकई जैसे किसी स्टार्च वाली चीज़ को सड़ा कर तैयार किया जाता है। थोड़े पैसे की लालच में इस एथेनॉल को और नशीला बनाने के लिए इसमें मेथनॉल और स्प्रीट मिलाते हैं। इन चीजों के मिलने से फॉर्मिक एसिड बनती है जो मानव शरीर के लिए बहुत खतरनाक होती है। जो जहर की तरह काम करती है।"

इसी साल फरवरी महीने में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के चार जिलों में जहरीली शराब पीने से 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। इसमें सबसे ज्यादा मौतें उत्तर प्रदेश से सहारनपुर में हुई थीं। उत्तराखंड के रुड़की में 32 लोगों की जान चली गई थी। मेरठ और कुशीनगर में भी कुछ मौतें हुई थीं। फरवरी में ही असम में भी जहरीली शराब के कारण कई लोगों की मौत हो गई थी। तमाम रिपोर्टस और समाचारों की मानें तो असम 140 से ज्यादों लोगों की मौत हो गई थी। गोलाघाट जिले में 85 और सटे हुए जोरहाट जिले में 58 की मौत हुई।अप्रैल 2017 में यूपी के एटा में जहरीली शराब पीने से 17 लोगों की मौत हो गई थी। मृतकों में सभी ग्रामीण ही थे। बिहार में कहने को तो शराब पर पाबंदी है, बावजूद इसके वहां पिछले साल गोपालगंज जिले में जहरीली शराब के सेवन से 17 लोगों को जान गंवानी पड़ी। 2017 जुलाई में आजमगढ़ शराब कांड ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं। आजमगढ़ के रौनापार थाना क्षेत्र में जहरीली शराब पीने से 12 लोगों की मौत हो गयी थी। वर्ष 2015 नवंबर में गोरखपुर के पिपराइच थाना के जंगल छत्रधारी में भी जहरीली शराब पीने से 4 लोगों की मौत हो गई थी। गोरखपुर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का क्षेत्र है।

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मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने कहा था उनकी सरकार अवैध शराब कारोबारियों पर शिंकजा कसेगी, लेकिन बात आई-गई हो गई। वर्ष 2011 में पश्चिम बंगाल के संग्रामपुर में जहरीली शराब पीने से 140 से ज्यादो लोगों की मौत हो गयी थी। 2015 के मार्च महीने में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मलिहाबाद इलाके में पचास से ज्यादा लोग जहरीली शराब पीकर अपनी जान गंवा बैठे। इससे पहले उन्नाव जिले में जहरीली शराब पीने से तकरीबन तीन दर्जन लोग मौत के मुंह में समा गए। राज्य के आजमगढ़, बुलंदशहर, मुरादाबाद, मेरठ, अलीगढ़, कानपुर, इलाहाबाद, सहारनपुर, बहराइच, गाजीपुर, वाराणसी, प्रतापगढ़, भदोही, मिर्जापुर व जालौन में अवैध शराब का कारोबार होली जैसे त्योहारों के समय चरम पर होता है। नतीजतन, कई निर्दोष लोग मारे जाते हैं अथवा आंख की रोशनी गंवा बैठते हैं।

वर्ष 2016 में आई क्रोम डेटा ऐनालिटिक्स ऐंड मीडिया (क्रोम डीएम) की सर्वे रिपोर्ट के खुलासे चौंकाने वाले थे। इसमें बताया गया कि गांव-देहात के लोग दवाओं के मुकाबले नशे की चीजों पर ज्यादा पैसा खर्च करते हैं। ग्रामीण भारत में एक व्यक्ति इलाज पर करीब 56 रुपए खर्च करता है जबकि शराब पर 140 रुपए और तंबाकू पर 196 रुपए। यानी इलाज पर खर्च के मुकाबले नशे की चीजों का खर्च तीन गुना ज्यादा है।

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