टीचर्स डायरी: "आदिवासी बच्चों के अभ्यास ने उन्हें ग्रामीण ओलंपिक खेल में ट्रॉफी दिलाई"

ये कहानी है मस्तान सिंह कि जो हनुमानगढ़ ,राजस्थान के ग्रामीण स्कूल में बतौर फिजिकल एजुकेशन अध्यापक नियुक्त हैं। एक और मस्तान सिंह कि पहचान है वो है कार्टूनिस्ट के तौर पर। मस्तान सिंह के एक जुड़वा भाई भी हैं नसीब सिंह, वो भी फिजिकल एजुकेशन के अध्यापक हैं और पेंटर के रूप में काफी मशहूर हैं। टीचर्स डायरी में मस्तान अपनी जिंदगी से जुड़ा एक किस्सा साझा कर रहे हैं।

Update: 2023-03-27 13:51 GMT

सरकारी स्कूल से जुड़ने से पहले मैं एक प्राइवेट सीबीएसई स्कूल से लगभग दस साल तक जुड़े रहा हूं। जब मेरी सरकारी नौकरी लगी तो मैंने एक बुजुर्ग से कहा कि काफी देर से नौकरी मिली है तो उन्होंने मुझसे कहा कि सोचो तुम्हारे दस साल का अनुभव उन बच्चों के लिए कितना कारगर साबित होगा।

राजस्थान के सिरोही के स्कूल में मेरी ज्वाइनिंग हुई, ये आदिवासी बाहुल क्षेत्र था। यहां आने के बाद पता चला कि इस विद्यालय में पहले हॉकी खेला जाती थी, लेकिन अभी नहीं। फिर मैंने अपने प्रयासों से हॉकी कि शुरूआत कराई।

यहां के बच्चों ने भी अभ्यास करना शुरू कर दिया। फिर मैंने एक अंदर-14 कि टीम बनाई, इन बच्चों कि मेहनत का नतीजा रहा की दो साल तक विनर रहे और तीसरे साल भी रनर-अप रही।

फिर मेरा ट्रांसफर हनुमानगढ़ के ग्रामीण स्कूल में हो गया, ये भी क्षेत्र आदिवासी बाहुल क्षेत्र। जब में यहां आया तो देखा कि बच्चों को राष्ट्रगान भी सही से गाना नहीं आ रहा था। मैं सुधारने के प्रयास में लग गया तो हमारे साथी अध्यापक कहने लगे कि सरदार जी कोई फायदा नहीं है, ये नहीं सही कर पाएंगे, हुआ ये कि कुछ समय बाद ही इन बच्चों ने राष्ट्रगान का सही उच्चारण करने लगे और मैंने भी उस अध्यापक को जाकर मोबाइल में रिकॉर्ड करके सुनाया।

राजस्थान सरकार ने एक बार ग्रामीण ओलंपिक कराया, जिसमें पूरे ब्लॉक मे हमारे लड़के व लड़कियों कि टीम ने पहला प्राईज़ जीता। कलेक्टर और एसडीएम ने मिलकर हमारे बच्चों के लिए डेढ‍़ लाख की किट दिलवाई, ये किट सब ब्रांडेड थी।

कार्टून बनाने कि जिज्ञासा मुझे बचपन से ही थी, जब गर्मियों कि छुट्टी होती तो मैं खूब अभ्यास किया करता। जब हमारी टीम हॉकी खेलते थे तब एक प्रेस विज्ञप्ति दिया करते थे। तब मैं प्राईवेट स्कूल में पढ़ाता था। एक दिन मैंने एक लोकल पेपर वालों से कहा कि क्या आप इस विज्ञप्ति के साथ मेरा कार्टून लगा सकते हैं। वो तैयार हो गए, उस दिन से राष्ट्रीय अखबार हो यो मैगजीन सबमें मेरा कार्टून आने लगा। सरकारी नौकरी के बाद मैंने चुनाव आयोग और शिक्षा विभाग के लिए भी कार्टून बनाया। जिसको लोगों के द्वारा काफी सराहा गया।

इस कार्टून कि वजह से बच्चे मुझसे काफी जुड़ते और कुछ समझाना हो तो चित्र के जरिए वो जल्दी से समझ जाते और इसी कारण बच्चों का प्यार भी मुझे बहुत मिलता है।

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