एयर क्वालिटी इंडेक्स की रिपोर्ट, उत्तर प्रदेश के इन शहरों की हवा होने लगी जहरीली

केंन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नेशनल एयर क्वालिटी इंडेक्स के मुताबिक उत्तर प्रदेश के कानपुर, गाजियाबाद, लखनऊ, आगरा और बागपत समेत कई शहरों में प्रमुख प्रदूषणकारी तत्व पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 की खतरनाक स्तर तक मौजूदगी रही।

Update: 2018-10-29 13:47 GMT

लखनऊ। सर्दियों की दस्तक के बीच उत्तर प्रदेश के विभन्नि शहरों की प्राणवायु अब जहरीली होनी शुरू हो गयी है। राज्य के अधिकतर प्रमुख नगरों में सोमवार को हवा की गुणवत्ता सेहत के लिये बहुत खराब आंकी गयी।

केंन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नेशनल एयर क्वालिटी इंडेक्स के मुताबिक उत्तर प्रदेश के कानपुर, गाजियाबाद, लखनऊ, आगरा और बागपत समेत कई शहरों में प्रमुख प्रदूषणकारी तत्व पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 की खतरनाक स्तर तक मौजूदगी रही। इनमें से कानपुर की स्थिति तो बेहद खराब रही। Full View

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सूचकांक के मुताबिक उद्योग नगरी कानपुर में प्रदूषण का स्तर बेहद खराब श्रेणी का रहा। यहां शाम पांच बजे पीएम 2.5 की मौजूदगी 400 से अधिक रही। गाजियाबाद भी ज्यादा पीछे नहीं रहा। यहां भी पीएम 2.5 का संघनन लगभग 400 ही रहा। बागपत की हवा भी बहुत खराब श्रेणी की रही। यहां पीएम 2.5 का संघनन औसतन 380 के आसपास रहा।

साभार: इंटरनेट

इसके अलावा नोएडा में शाम पांच बजे तक पीएम 2.5 का संघनन 379, हापुड़ में 371, बुलंदशहर में 360, मुजफ्फरनगर में 352, ग्रेटर नोएडा में 340, आगरा में 323, लखनऊ के लालबाग में 305, तालकटोरा औद्योगिक केन्द्र में 322, निशातगंज में 303 और सेंट्रल स्कूल में 284 रहा। यह सभी बहुत खराब की श्रेणी में रहे।

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मालूम हो कि पीएम 2.5 ऐसे महीने प्रदूषणकारी कण होते हैं जो हमारी रक्तवाहिकाओं में पहुंचकर गम्भीर बीमारियां पैदा करते हैं। हवा में पीएम 2.5 की मौजूदगी का 0-50 तक का स्तर सेहत के लिये सुरक्षित माना जाता है। यह स्तर 101-200 हो जाने से फेफड़ों तथा दमे की बीमारियों से जूझ रहे लोगों की दक्कितें बढ़ जाती हैं।

वहीं, पीएम 2.5 का स्तर 301-400 के बीच हो जाने पर ऐसी हवा के ज्यादा वक्त तक सम्पर्क में रहने से सांस की गम्भीर बीमारियां हो सकती हैं। सर्दियों के मौसम में हवा की रफ्तार कम हो जाने के बीच खेतों में पराली जलाये जाने तथा कई अन्य कारणों से हाल के वर्षों में इस समस्या ने विकराल रूप ले लिया है।   

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