साबरमती विस्फोट: बाराबंकी कोर्ट ने किया दो आरोपियों को किया बरी

Update: 2017-05-20 18:01 GMT
बम विस्फोट में नौ लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 40 लोग घायल हो गए थे।

बाराबंकी। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने शनिवार को साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन बम विस्फोट कांड के मुख्य आरोपी आतंकी गुलजार अहमद बानी व उसके साथी अब्दुल मुबीन को बरी कर दिया है। बता दें, कि इस बम विस्फोट में नौ लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 40 लोग घायल हो गए थे।

अपर जिला जज एम ए खान ने सुबूत का अभाव होने की बात कहते हुए ये फैसला सुनाया। मामले के आरोपी गुलजार अहमद बानी निवासी बारामुला जम्मू कश्मीर और मोबिन निवासी फैज़ाबाद को छोड़ा गया है।

बताते चले की इस घटना के समय रोजगांव बाराबंकी में था लेकिन इस समय ये फैज़ाबाद जिले में है। बता दें क‌ि गुलजार अहमद वानी पर आतंकवाद के 11 मामले थे जिनमें से वह 10 मामलों में बरी हो चुका था लेकिन बाराबंकी विस्फोट का मामला लंबित था जिसके चलते उसने 16 साल सलाखों के पीछे बिताए।

सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना को शर्मनाक बताया था। बाकी सभी मामलों में उसे या तो बरी कर दिया गया था या आरोपमुक्त कर दिया गया था। वानी को 30 जुलाई 2001 को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था। वह उस वक्त अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में अरबी में पीएचडी कर रहा था।

वानी मूलरूप से जम्मू एवं कश्मीर के बारामूला जिले का रहने वाला है। उस पर उत्तर प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने का आरोप था। बाराबंकी में साबरमती एक्सप्रेस में हुए धमाके में 11 लोगों की मौत हुई थी।

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जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने बीते अप्रैल को इस मामले को संज्ञान में लेते हुए कहा था कि अगर बाराबंकी में वर्ष 2000 में साबरमती एक्सप्रेस में हुए धमाके के मामले में 31 अक्टूबर तक अहम गवाहों के बयान दर्ज नहीं हुए तो एक नवंबर को आरोपी को जमानत दे दी जाएगी।

पीठ यह जानकर हैरान थी कि अदालती निर्देश के बावजूद इस मामले में गवाहों के बयान दर्ज करने का काम पूरा नहीं हो सका। पीठ ने इसे बेहद दुखद बताया।

वानी के वकील ने पीठ को बताया कि वानी पर 11 आपराधिक मामले दर्ज थे। इनमें से 10 मामलों में उसे बरी किया जा चुका है। उन्होंने बताया था कि वानी 16 वर्षों से जेल में बंद है। वहीं उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पीएन मिश्रा ने कहा था कि आरोपी वानी साबरमती एक्सप्रेस धमाके के मामले में इतने वर्षों से जेल में बंद नहीं है।

इस पर पीठ ने घोर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा था, ‘11 मामले में वानी को 10 मामलों में बरी कर दिया गया है। परेशानी यह है कि आप लोग उसे जेल में तो रखना चाहते हैं लेकिन साक्ष्य जुटाने और जल्द ट्रायल पूरा करने में आपकी कोई दिलचस्पी नहीं होती। यह शर्मनाक है।’

पीठ ने पाया कि 14 दिसंबर , 2015 में वानी की याचिका को स्वीकार किया गया था। उस वक्त पता चला था कि 96 गवाहों में से महज छह गवाहों के बयान दर्ज हुए थे। नौ सितंबर, 2016 तक महज 20 गवाहों के ही बयान दर्ज हुए थे।

जिसके बाद अदालत ने छह महीने के भीतर सभी के बयान दर्ज करने का निर्देश दिया था लेकिन अब तक यह पूरा नहीं हो सका। पीठ ने सरकार से कहा था कि ऐसा लगता है आप गंभीर नहीं है।

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