पूरा किराया मिलने के बावजूद भी खुले में बर्बाद हो रहा जिप्सम 

Update: 2017-05-06 13:29 GMT
किसानों के लिए अति उपयोगी जिप्सम, सरकारी तंत्र की घोर लापरवाही से बर्बाद हो रहा है।

सुशील सिंह, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

सुल्तानपुर। जिला मुख्यालय से दो किलोमी़टर दूर किसानों के लिए अति उपयोगी जिप्सम, सरकारी तंत्र की घोर लापरवाही से बर्बाद हो रहा है। बरसात होने पर किसानों के लिए कृषि में बहुत ही लाभदायक जिप्सम खुले आसमान के नीचे खराब हो रही है। इस रोड से अधिकारियों का आना-जाना लगा रहता है। बावजूद इसके इस तरफ किसी की नजर नहीं जा रही है।

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जिप्सम से भूमि सुधार योजना में चयनित भूमि में लीचिंग करके जमीन के पीएच मान को ठीक किया जाता है। परंतु इस जिले का दुर्भाग्य है कि सरकारी वेयर हाउस जिप्सम को खुले में रखा हुआ है। बरसात होने पर जिप्सम के अंदर सारे खनिज तत्व बेकार हो जाएंगे। जिप्सम की कीमत 120 रुपए प्रति बैग है। भूमि सुधार निगम जिप्सम के लिए रुपए खर्च करती है। सरकारी बेयर हॉउस इसके लिए विभाग से किराया तो ले रहा है लेकिन अपनी ज़िम्मेदारी नहीं निभा रहा है।

भूमि सुधार निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर एकके शुक्ला से बात करने उन्होंने बताया कि, “भूमि सुधार निगम विश्व बैंक से वित्त पोषित योजना के तहत इस योजना को चला रहा है। जिले में यह योजना 798 हेक्टेयर भूमि के लिये चलाई जा रही है। बेयर हाउस को हमारे द्वारा चयनित गाँवों में जिप्सम पहुंचाने के लिए किराया दिया जाता है। इसकी जांच करवाऊंगा।"

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