गोरखपुर ट्रामा सेंटर के नर्स, टेक्नीशियन और वॉर्ड बॉय को तेरह महीने से नहीं मिला मानदेय

Update: 2017-04-13 10:21 GMT
सौ से ज्यादा नर्स, टेक्नीशियन और वॉर्ड बॉय को पिछले 13 महीने से मानदेय नहीं मिला है।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। सरकार और प्रशासन की लापरवाही के कारण गोरखपुर ट्रामा सेंटर में काम करने वाले सौ से ज्यादा नर्स, टेक्नीशियन और वॉर्ड बॉय को पिछले 13 महीने से मानदेय नहीं मिला है। वहीं, दरबदर भटकने के बाद भी इन कर्मचारियों को कोई सुन नहीं रहा है।

बीआरडी ट्रॉमा सेंटर मेडिकल कॉलेज के संविदा कर्मचारी ‘संविदा कर्मचारी संघर्ष समिति’ के बैनर तले अपनी आवाज़ सरकार और प्रशासन तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। समिति के अध्यक्ष अम्बुज कुमार बताते हैं, ‘’सरकार और प्रशासन हमें बर्बाद करने पर लगा हुआ है। 13 महीने से हमें मानदेय नहीं मिला है। गोरखपुर ट्रॉमा सेंटर से 2016-17 के बजट से 4 करोड़ रुपए वापस चले गए, लेकिन प्रशासन ने संविदा कर्मियों को मानदेय नहीं दिया।

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अम्बुज कुमार आगे बताते हैं, “2010 में चयन प्रक्रिया के तहत हम लोगों का ट्रामा सेंटर में चयन हुआ था, लेकिन साजिश के तहत हमें निकालने की कोशिश हो रही है। महंगाई दिन-ब-दिन बढ़ रही है, लेकिन हमारा मानदेय वर्ष 2010 से एक रुपए भी नहीं बढ़ा है। बता दें कि बीआरडी अस्पताल पूर्वांचल का एकमात्र अस्पताल है। वहीं, ट्रामा सेंटर की नर्स कंचन लता दुबे बताती है कि हमें तेरह महीने से पैसे नहीं मिले है। ट्रामा सेंटर में सुप्रीम कोर्ट के नियमों का भी पालन नहीं होता है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि गर्भवर्ती महिलाओं को मातृत्व अवकाश दिया जायेगा , लेकिन यहां किसी भी महिला को मातृत्व अवकाश नहीं मिलता है। हम समय से ज्यादा काम करते हैं, लेकिन हमें कोई सुनने वाला नहीं है।

मानदेय देने के लिए शासन का आदेश आ गया है, लेकिन बजट अभी मेडिकल कॉलेज में नहीं आया है। जैसे बजट आता है सभी संविदा कर्मियों को पैसा दे दिया जाएगा। 
राजीव मिश्रा, प्रिंसिपल डॉक्टर, बीआरडी ट्रामा सेंटर 

उल्टा नौकरी जाने का खतरा

मानदेय तो मिला नहीं उल्टा नौकरी जाने का खतरा सभी संविदा कर्मचारियों पर है। सबने हाईकोर्ट में केस दर्ज कराया है। केंद्र सरकार के निर्देश पर बीआरडी कॉलेज में 2010 ट्रामा सेंटर का निर्माण हुआ था। उस समय लगभग सौ कर्मचारियों का चयन अलग-अलग कामों के लिए किया गया। जिसमें तकनीशियन, नर्स और सफाई कर्मी शामिल हैं। पिछले आठ साल से ये कर्मचारी यहां काम कर रहे हैं, लेकिन इनके मानदेय में एक रुपए की वृद्धि नहीं हुई है। नर्स और तकनीशियन को तब भी 10 हज़ार रूपए मिलता था और आज भी दस हज़ार ही रुपए मिल रहा है। सफाईकर्मियों को तब भी और अब भी सिर्फ 3500 रुपए मानदेय मिलता है। यह राज्य श्रम आयोग द्वारा तय न्यूनतम मजदूरी से भी कम वेतन है।

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