किसान कर्ज़ में डूबे रहे और यूपी सरकार नहीं बांट पाई फसल का मुआवजा, वापस जाएंगे 2200 करोड़ रुपये

Update: 2017-03-30 18:19 GMT
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लखनऊ। सीतापुर जिले के पिसांवा ब्लाक के बारामऊ कला गांव के किसान योगेन्द्र कुमार कर्ज में डूबे हुए हैं। साल 2015 में बेमौसम बरसात, ओलावृष्टि और सूखा से उनकी 10 बीघे में फसल बर्बाद हो गई। राज्य सरकार ने इसके लिए मुआवजे की घोषणा की थी। सरकार ने इसके लिए पैसा भी जारी कर दिया लेकिन उनको आजतक पैसा नहीं मिला। यह सिर्फ एक बानगी है। इनके जैसे हजारों किसानों के साथ ऐसा ही हुआ है।

जिन जिलों में किसानों को मुआवजा नहीं बांटा है उसकी जानकारी ली जा रही है। बची हुई रकम को सरेंडर करने के लिए जिला अधिकारियों का निर्देश दिया गया है।
अरविंद कुमार, प्रमुख सचिव, यूपी राजस्व परिषद

उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव सरकार ने किसानों की मदद के लिए जो किसान राहत राशि जारी की थी उसको किसानों के बीच बांटा ही नहीं गया। स्थिति यह है कि 31 वित्तीय वर्ष को पूरा होते देख विभिन्न जिलों से इस राशि को सरेंडर किया जा रहा है। इस बारे में उत्तर प्रदेश राजस्व परिषद के प्रमुख सचिव अरविंद कुमार ने बताया '' किसानों की सहायता करना और उनका मुआवजा की राशि बांटना सरकार की प्राथमिकता है। जिन जिलों में किसानों को मुआवजा नहीं बांटा है उसकी जानकारी ली जा रही है। बची हुई रकम को सरेंडर करने के लिए जिला अधिकारियों का निर्देश दिया गया है। ''

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सपा सरकार किसानों को मुआवजा देने के लिए 2917 करोड़ रूपए की मंजूरी दी थी, जिसमें से अभी तक मात्र 488 करोड़, 38 लाख और 33 हजार रुपए ही किसानों को बांटा गया।

साल 2015 में उत्तर प्रदेश में फरवरी, मार्च और अप्रैल महीने में राज्य में ओलावृष्ट और अतिवृष्टि से बड़ी मात्रा में खेतों में खड़ी फसल बर्बाद हो गई थी। स्थित यह थी कि तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार ने राज्य के 75 में से 52 जिलों को आपदाग्रस्त घोषित कर दिया था। राज्य सरकार किसानों को मुआवजा देने के लिए 2917 करोड़ रूपए की मंजूरी दी थी। जिसमें से अभी तक मात्र 488 करोड़, 38 लाख और 33 हजार रुपए ही किसानों को बांटा गया। इसमें से सिर्फ आठ जिलों अम्बेडकर नगर, बागपत, बलिया, गौतमबुद्धनगर, कासगंज, मुराबाद, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर ही ऐसे जिले हैं जो राहत की पूरी रकम बांटे बाकी जिलों में पैसा रखा ही रह गया। बांकी जिलों में छिटपुट मुआजवा ही किसानों को मिला।

दो साल पहले ओलावृष्टि से गेहूं की मेरी पूरी फसल बर्बाद हो गई। लेखपाल की जांच हुई, खतौनी भी जमा की। लेकिन पैसा नहीं आया, हर बार अधिकारी टालते रहे बस।
सुधा रानी, मछरेहटा, सीतापुर

गोरखपुर जिले के खजनी ब्लाक के सैरो गांव के किसान रामनारायण यादव की भी फसल साल 2015 में बर्बाद हो गई थी। सरकार से मदद के लिए उन्होंने लेखपाल के माध्यम से सारे कागजात जमा किए लेकिन उनको मुआवजा नहीं मिला। सीतापुर के मछरेहटा ब्लाक की महिला किसान सुधा रानी ने बताया ''दो साल पहले ओलावृष्टि से गेहूं की की मेरी पूरी फसल बर्बाद हो गई। लेखपाल आकर जांच किया। खतौनी भी जमा कराया लेकिन मुआवजा के पैसा नहीं मिला। पूछने पर हर बात बताया गय कि जल्दी ही पैसा आएगा लेकिन पैसा नहीं आया। ''

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फसल की बर्बादी के बाद सरकार की तरफ से किसानों के लिए मुआवजा की राशि जारी होने के बाद भी किसानों को यह पैसा नहीं मिलना अधिकारियों की असंवेदनशीलता दिखाता है। इस बारे में भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है '' किसानों को लेकर सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों का रवैया ठीक नहीं होता है। किसानों को सरकार की तरफ से जो भी सहायता दी जाती है वह कभी भी समय से किसानों तक नहीं पहुंच पाती है। ''

उन्होंने कहा कि बात चाते फसल बर्बादी के बाद मिलने वाले मुआवजा राशि की हो या किसानों के लिए चलाई जा रही योजनाओं की। किसानों को लाभ मिले यह सरकारी अधिकारियों के एजेंडे में ही नहीं है। इसलिए हम लोगों को बार-बार किसानों के हक के लिए आंदोलन करना पड़ता है।

फसल की बर्बादी से बेहाल हुए किसानों को समय से सरकारी सहायता और मुआवजे की राशि नहीं मिलने से अखिलेश यादव सरकार की बहुत अधिक किरकिरी हुई है। अखिलेश यादव सरकार की सही नीयत के बाद भी पैसा रहते हुए भी किसानों तक राहत की राशि नहीं पहुंच पाई। जिससे किसानों में रोष है। माना जा रहा कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बनी बीजेपी सरकार इसपर ध्यान देगी।

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