मेरठ जिला अस्पताल में बीपीएल कार्ड धारकों को मिलेगी मुफ्त डायलिसिस की सुविधा
तरूण अग्रवाल, स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट
मेरठ। सरकारी अस्पतालों में डायलिसिस कराने के लिए अब मरीजों को लंबी वेटिंग का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। पंडित प्यारे लाल शर्मा जिला चिकित्सालय में जल्द ही डायलेसिस यूनिट की सुविधा व्यापक स्तर पर शुरू होने जा रही है। पीपीपी मॉडल पर आधारित इस यूनिट में दस बेड की व्यवस्था की गई है।
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इसमें बीपीएल कार्ड धारकों को सुविधा नि:शुल्क देने का भी प्रावधान है। शासन की ओर से पीपीपी मॉडल पर वाराणसी की हैरीटेज एजेंसी को डायलिसिस युनिट संचालित करने का काम सौंपा गया है। एजेंसी की ओर से दस मशीनें जिला अस्पताल को उपलब्ध कराई गई हैं। जिला अस्पताल में सीएमएस कार्यालय के पीछे स्थित चार मंजिला बिल्डिंग में अलग से डायलिसिस यूनिट बनाई गई है।
डायलिसिस को लेकर काफी मरीजों को परेशान होकर वापस लौटना पड़ता था। पीपीपी मॉडल से इस तरह की समस्याओं पर लगाम लग जाएगी। क्योंकि इस यूनिट में रोजाना 40 मरीजों की डायलिसिस हो सकेगी।डॉ. पीके बंसल, प्रमुख जिला अस्पताल
सीएमएस पीके बंसल बताते हैं, "सभी डायलिसिस मशीने इंस्टाल की जा चुकी हैं। कुछ तकनीकि खामियां हैं, जिन्हे जल्द पूरा किया जाएगा। कई मुद्दों पर एजेंसियों के लोगों के साथ वार्ता चल रही हैं।"
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हीमो और पेरिटोनियम डायलिसिस
डायलिसिस इंचार्ज व वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. आरके गुप्ता बताते हैं कि इस यूनिट में प्रतिदिन 40 मरीजों की डायलिसिस हो सकेगी। साथ ही यूनिट में हीमो और पेरिटोनियम डायलिसिस की सुविधा भी मिलेगी। कुछ मरीजों को हीमो और कुछ को पेरोटोनियम की जरूरत होती है। इसके लिए उन्हे प्राइवेट अस्पताल में मोटी फीस चुकानी पड़ती है।
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पीपीपी मॉडल से सुधरेंगे हालात
जिला अस्पताल में पहले ही डायलिसिस की तीन मषीने संचालित हैं, लेकिन उनका मेंटिनेंस खर्च काफी ज्यादा होने और नेफ्रोलॉजिस्ट की उपलब्धता नहीं होने के कारण मशीनों का संचालन ठीक से नहीं हो पाता। तीन मशीन होने के बावजूद भी महीने में 20 से 25 लोगों का डायलिसिस ही हो पाती है। मशीन खराब होने पर उन्हे ठीक होने में भी महीनों लग जाते हैं। पीपीपी मॉडल के तहत ये सुविधा बेहतर तरीके से चलने की उम्मीद है।