केजीएमयू में मरीज़ों की तादात बढ़ने से मरीज़ स्ट्रेचर पर इलाज़ करवाने को मज़बूर

Update: 2017-04-18 14:35 GMT
गर्मी बढ़ते ही संक्रामक बीमारियों के फैलने का सिलसिला शुरू हो गया है।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। गर्मी बढ़ते ही संक्रामक बीमारियों के फैलने का सिलसिला शुरू हो गया है। राजधानी में डायरिया, वायरल जैसी बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है। लगातार मरीजों की संख्या बढ़ने से बीमार लोग अस्पताल पहुंच रहे हैं, जिससे किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के ट्रॉमा सेंटर में बेड की कमी सामने आने लगी है। आलम यह है कि मरीजों को स्ट्रेचर पर इलाज़ मिल रहा है।

अम्बेडकर नगर से इलाज कराने आए अंगद कुमार पाठक (35 वर्ष) ने बताया, ‘’हम रविवार सुबह नौ बजे अस्पताल आ गए थे, लेकिन अस्पताल में बेड की कमी के कारण डॉक्टर ने भर्ती करने से मना कर दिया। इसके पहले मुझे काफी परेशान किया गया। पहले ऊपर के वार्ड में भेजा गया। जब वहां पहुंचा तो वहां के स्टाफ ने नीचे जाने को कहा। मुझे और मेरे परिवार वालों को काफी परेशान किया गया।”

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अचानक मरीजों की संख्या बढ़ गई है। ऐसे में मरीजों के लिए बेड की समस्या पैदा हो गई है। पुराने मरीज को सही होने में समय लगता है, ऐसे में नए मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है। यदि अन्य अस्पतालों में अच्छी सुविधा मिलने लगे तो यहां इतने मरीज नहीं आएंगे। 
डॉ. वेद प्रकाश, उपचिकित्सा अधीक्षक, केजीएमयू

केजीएमयू में कुल बेड की संख्या करीब 400 है, जिसमें से ज्यादातर बेड बुक रहते हैं। ऐसे में नए मरीजों के सामने बेड की समस्या पैदा हो गई है। मरीजों को इलाज के लिए प्राइवेट अस्पताल में जाना पड़ रहा है, जिससे उन पर अतिरिक्त रुपयों का भार पड़ रहा है। केजीएमयू में जनपद के साथ-साथ आस-पास के कई जनपदों के सैकड़ों मरीज रोजाना इलाज कराने आते हैं। ऐसे में मौसम बदलने पर संक्रामक बीमारियों का भी प्रकोप फैल रहा है, जिससे गाँवों से बड़ी संख्या में मरीज इलाज के लिए अस्पताल आ रहे हैं।

करीब 150 से ज्यादा मरीज स्ट्रेचर पर

मरीजों की संख्या ज्यादा होने से अस्पताल प्रशासन मरीजों को स्ट्रेचर पर ही इलाज देने के लिए मजबूर है। अस्पताल परिसर में जगह-जगह स्ट्रेचर पर मरीजों का इलाज होता देखा जा सकता है। करीब 150 से ज्यादा मरीजों का स्ट्रेचर पर इलाज चल रहा है।

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