सदन में विपक्ष का हंगामा राजनीति से प्रेरित : श्रीकांत शर्मा

Update: 2017-12-14 17:33 GMT
कैबिनेट मंत्री श्रीकांत शर्मा

लखनऊ (भाषा)। उत्तर प्रदेश विधानमंडल में कानून व्यवस्था और बिजली दरों में बढ़ोतरी जैसे मुद्दों पर विपक्ष के हंगामे पर कैबिनेट मंत्री श्रीकांत शर्मा ने आज कहा कि विपक्षी दलों का विरोध राजनीति से प्रेरित है और जनता ने इन्हें नकार दिया है इसलिए सुर्खियों में बने रहने के लिए वे ऐसा कर रहे हैं।

कैबिनेट मंत्री श्रीकांत शर्मा ने विशेष बातचीत में कहा, सदन में विपक्ष का प्रदर्शन पूर्णतया राजनीति से प्रेरित है, सुर्खियां बटोरने के लिए विपक्षी सदस्य इस तरह का काम कर रहे हैं, इनका (विपक्ष) किसान, गरीब और गांव से कोई सरोकार नहीं है। अगर सरोकार होता तो वे उन्हें बिजली देते, लेकिन कभी नहीं दी। हम किसान और गांव को बिजली दे रहे हैं, किसान खुश है कि उसे बिजली मिल रही है।

शर्मा ने कहा, 2014 (लोकसभा चुनाव), 2017 (उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव) और हाल के नगर निकाय चुनाव में जनता ने विपक्षी दलों को बुरी तरह नकार दिया है, निकाय चुनाव में तो कांग्रेस और सपा का सूपडा साफ हो गया है, इसलिए मुख्य विपक्षी दल बनने की होड में ये विधानसभा की कार्यवाही बाधित कर रहे हैं जो पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है।

उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टियां योगी सरकार की लोकप्रियता को पचा नहीं पा रही हैं, इसलिए राजनीति से प्रेरित होकर सदन में हंगामा कर रही हैं। सदन में आज शीतकालीन सत्र के पहले दिन विपक्ष ने कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर सरकार को घेरा। कल कैबिनेट में मंजूर यूपीकोका से संबंधित विधेयक के मसौदे का भी विपक्षी दलों ने विरोध किया है।

यूपीकोका जनता के हित के लिए है

इस बारे में पूछे गए सवाल पर शर्मा ने कहा, यूपीकोका पर इनका (विपक्ष) विरोधाभासी बयान है, एक ओर विपक्ष कहता है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था ठीक नहीं है लेकिन जब कठोर कानून लाया जाता है तो वह उसका विरोध करता है। उन्होंने कहा कि ये विधेयक जनता के हित के लिए है, ये जनता की सुरक्षा के लिए है और हम चाहते हैं कि विपक्ष सरकार का सहयोग करे।

शर्मा ने कटाक्ष किया कि पूर्व की सरकारें अपराधियों को संरक्षण देती आ हैं, अब जब भाजपा सरकार कठोर कानून ला रही है तब भी विपक्षी दल इसका विरोध कर अपराधियों के हौसले बढ़ाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष की अगर ईमानदारी से जनता के प्रति जवाबदेही है तो उसे इस तरह के कानून का समर्थन करना चाहिए।

बिजली की दरें यूपी विद्युत नियामक आयोग करता है तय

बिजली दरों में बढ़ोतरी को लेकर सदन में विपक्ष के निशाने पर आयी सरकार की ओर से सफाई देते हुए उर्जा मंत्री और राज्य सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने कहा कि बिजली की दरें उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग तय करता है जो एक स्वायत्त संस्था है। उन्होंने बताया कि आयोग ने चार शहरों वाराणसी, कानपुर, नोएडा और लखनऊ में जन सुनवाई की थी। वर्ष 2017-18 में आयोग द्वारा निर्धारित जो लाइन हानियां हैं, उसके आधार पर ही आयोग द्वारा प्रति यूनिट बिजली आपूर्ति की लागत 6.75 रुपए संभावित है।

हानि से भार ज्यादा बढ़ रहा इसलिए आयोग ने बढ़ोतरी की

शर्मा ने कहा कि हानि से भार ज्यादा बढ़ रहा है इसलिए आयोग ने दरों बढ़ोतरी की है ताकि हानियां कम हों। हमारे (भाजपा सरकार) संकल्प पत्र में गरीबों को पहली 100 यूनिट तीन रुपए प्रति यूनिट की दर से देने का फैसला किया गया था, जिसे लागू कर दिया गया है। ये दरें ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के गरीब परिवारों के लिए एक समान हैं. उन्होंने कहा कि उर्जा मंत्रालय मीटरिंग (मीटर लगाना) को बढ़ावा दे रहा है, अगर किसी को लगता है कि उसे बिजली का ज्यादा दाम देना पड़ रहा है तो वह मीटर लगा ले।

सपा-बसपा ने किसान, गांव और गरीब की कभी चिन्ता नहीं की

शर्मा ने आरोप लगाया कि सपा और बसपा ने किसान, गांव और गरीब की कभी चिन्ता नहीं की। उनके समय में किसानों को ना तो पर्याप्त बिजली मिल पाती थी और ना ही गांव में उजाला था।

उन्होंने दावा किया कि योगी सरकार आते ही गांव को 18 घंटे, तहसील स्तर पर 20 घंटे और जिला मुख्यालय को 24 घंटे बिजली निर्बाध मिल रही है, पूर्व की सरकारों के पास इस तरह की व्यवस्था नहीं थी।

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शर्मा ने कहा कि योगी सरकार किसानों, गरीबों और गांव की सरकार है इसलिए 6.75 रुपए की बिजली केवल तीन रुपए प्रति यूनिट दे रही है, किसानों को 6.75 रुपए प्रति यूनिट की बिजली एक रुपए से एक रुपए दस पैसे प्रति यूनिट के बीच दे रही है।

उत्तर प्रदेश की पहचान अंधेरा नहीं बल्कि उजाला है

उन्होंने कहा, आज किसानों में और गांव में खुशहाली है क्योंकि अब उत्तर प्रदेश की पहचान अंधेरा नहीं बल्कि उजाला है। उल्लेखनीय है कि विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के पहले दिन आज दोनों सदनों में बिजली की बढ़ी दरों और कानून व्यवस्था को लेकर विपक्षी सदस्यों ने जमकर नारेबाजी और हंगामा किया, जिससे दोनों सदनों की बैठक दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ी।

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