हार के बाद सपा में फिर रार, समीक्षा बैठक में नहीं आए मुलायम सिंह और शिवपाल यादव

Update: 2017-03-25 17:43 GMT
समाजवादी पार्टी में दरार ।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावा में बुरी तरह हार के बाद भी समजावादी पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। चुनाव से पहले अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव खेमे के बीच जो खींचतान शुरू हुई थी उसके बाद माना जा रहा था कि चुनाव में हार के बाद दोनों खेमे सबक लेंगे, लेकिन ऐसा होता हुआ नहीं दिख रहा है।

शनिवार को समाजवादी पार्टी प्रदेश कार्यालय में हार की समीक्षा करने के लिए राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई गई थी लेकिन इस बैठक में सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव शामिल नहीं हुए, हालांकि उनको इस बैठक में बुलाया गया था कि नहीं इस पर सपा के नेता मुंह खोलने को तैयार नहीं हैं। इस बैठक में सपा के सपा के सभी वरिष्ठ नेता शामिल हुए।

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सपा की हार के बाद विधायकों की पहली बैठक में जिस तरह से शिवपाल यादव और अखिलेश यादव एक साथ नजर आए थे उससे माना जा रहा था कि पार्टी में अब सबकुछ ठीक हो जाएगा और सभी खेमे एक हो जाएंगे। लेकिन ऐसा होता हुआ नहीं दिख रहा है। शनिवार की बैठक में मीडिया से रूबरू होते हुए पर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने वर्तमान बीजेपी सरकार पर तो जोरदार हमला बोला लेकिन अपनी पार्टी के अंदर के संकट के बारे में पूछने पर कुछ भी जवाब नहीं दिया। मुलायम सिंह को दोबारा पार्टी अध्यक्ष और शिवपाल यादव को पार्टी विधायक दल के नेता चुने जाने के सवाल पर भी उन्होंने साफ-साफ कुछ नहीं कहा।

माना रहा है कि मुलायम सिंह चाहते हैं कि शिवपाल यादव को विधायक दल का नेता चुना जाए और वह नेता विपक्ष बने। साथ ही अखिलेश यादव पार्टी के हार की कारणों की तलाश करते हुए सबको साथ लेकर जनता के बीच जाए। अभी से पार्टी जनता कका विश्वास जीतने के लिए काम करे। जिससे आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में सपा को सफलता मिल सके।

मीडिया के बार-बार पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव 30 सितंबर को होगा। उसके पहले पार्टी राज्य में सदस्यता अभियान चलाने के साथ ही आदित्यनाथ योगी सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन करेगी।

अखिलेश यादव ने कहा कि बीजेपी सरकार राज्य को लोगों को बहलाकर भले ही इस बार सत्ता में आ गई लेकिन 2022 के चुनाव में सपा सरकार सत्ता में वापसी करेगी। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने प्रदेश के लिए जो लैंडमार्क काम किए हैं उसकी बराबरी यह सरकार नहीं कर सकती। सत्ता में आते ही प्रदेश में एक खास जाति और वर्ग के खिलाफ यह सरकार जिस तरह सहे काम कर रही है सब लोग देख रहे हैं। बीजेपी सरकार सबका साथ और सबका विकास का नारा तो देती है लेकिन ऐसा करती हुई नहीं दिखती है।

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