बुंदेलखंड के चंदेलकालीन तालाबों के बहुरेंगे दिन, सरकार कराएगी दुरुस्त

Update: 2017-04-23 11:25 GMT
बुंदेलखंड में सूखे पड़े तालाब।

नई दिल्ली। सूखे और पेयजल संकट से ग्रस्त बुंदेलखंड में 9वीं से 14वीं शताब्दी के बीच बेमिसाल डिजाइन और कभी सालों जल से लबालब रहने वाले तालाबों को दुरुस्त करने के लिए केंद्र सरकार पहल कर रही है। केंद्रीय योजनाओं में इन चंदेलकालीन तालाबों को प्रमुखता देते हुए इसी महीने के अंत में कार्ययोजना को आगे बढ़ाया जा रहा है।

जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने बताया, "यह सही है कि 9वीं से 14वीं शताब्दी के बीच चंदेल राजाओं ने इस क्षेत्र में तालाबों की बेमिसाल डिजाइन के जरिये सालों जल से लबालब रहने वाले तालाबों एवं कुओं की श्रृंखला तैयार की थी। इन तालाबों की खस्ता हालत की हमें जानकारी है और हमने केंद्रीय योजना में इसे खासा महत्व दिया है।" उन्होंने कहा, ‘‘इन चंदेलकालीन तालाबों को बहाल करने के लिए किसी तरह से संसाधनों की कोई कमी नहीं होने दी जायेगी। इसी महीने 28 अप्रैल को इस संबंध में कार्यक्रम शुरु हो रहा है।'

चंदेलकालीन तालाबों की बेजोड़ डिजाइन

तालाबों की इंजीनियरिंग और डिजाइन पर नजर डालें तो बुंदेलखंड के मउरानीपुर, महोबा, चरखारी आदि क्षेत्रों में तालाबों की लंबी श्रृंखला है जो एक शहर तक सीमित नहीं बल्कि 100 किलोमीटर के दायरे में पानी की ढाल पर बने कस्बों में फैली है। यानी जब एक तालाब में पानी भर जाएं तो पानी अगले तालाबों को भरे और इलाके के सारे तालाब भरने के बाद ही बारिश का बचा हुआ पानी किसी नदी में गिरे।

तालाबों से शहर का तापमान भी करते थे नियंत्रित

9वीं से 14वीं शताब्दी के बीच बुंदेलखंड के चंदेल कालीन तालाबों की डिजाइन और इंजीनियरिंग का जिक्र करते हुए आईआईटी के अध्येता रहे एवं वरिष्ठ अभियांत्रिकी विशेषज्ञ केके जैन ने कहा कि इस इलाके में एक भी प्राकृतिक झील नहीं है। चंदेलों ने 1,300 साल पहले बड़े-बड़े तालाब बनवाए और उन्हें आपस में खूबसूरत अंडरग्राउंड वाटर चैनल के जरिए जोड़ा गया था। उस बेहद कम आबादी वाले जमाने में यह काम सिर्फ पीने के पानी के इंतजाम के लिए नहीं किया गया था। वे तो अपने शहरों को 48 डिग्री सेल्सियस तापमान से बचाने के भी पुख्ता इंतजाम किया करते थे। मउरानीपुर से 50 किलोमीटर पूर्व में आल्हा-उदल के शहर महोबा में आज भी चंदेल कालीन विशाल तालाब दिख जाते हैं। इनमें सबसे प्रमुख मदन सागर तालाब चारों तरफ से पहाडियों से घिरा है।

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इन राजाओं ने बनवाए थे तालाब

चंदेल राजा कीरतवर्मन ने कीरतसागर तालाब बनवाया था तबकि मदनवर्मन ने मदनसागर तालाब, राजा रहिल देव वर्मन ने रहिलसागर तालाब बनवाया और दक्षराज ने इसे विस्तार दिया। इसी श्रृंखला में किराडीसागर तालाब भी शामिल है. इन तालाबों में कल्याण सागर, विनय सागर और सलारपुर तालाब शामिल हैं. यह चंदेलों के जल विज्ञान के उत्कृष्ठ उदाहरण हैं।

प्रदेश में लगभग नौ लाख तालाब, झील, कुएं

बांदा के आरटीआई कार्यकर्ता आशीष सागर ने सूचना के अधिकार के तहत उत्तर प्रदेश सरकार के राजस्व विभाग से तालाबों के पूरे आंकडे हासिल किए। इनसे पता चलता है कि नवंबर 2013 की खतौनी के मुताबिक, प्रदेश में 8,75,345 तालाब, झीलें, जलाशय और कुएं हैं। इनमें से 1,12,043 जल स्रोतों पर अवैध अतिक्रमण है। राजस्व विभाग का कहना है कि 2012-13 के दौरान 65,536 अवैध कब्जों को हटाया गया।

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