अनदेखी के कारण कुक्कुट पालन केंद्र में भरा जाता है भूसा

Update: 2017-04-29 13:27 GMT
कुक्कुट पालन के लिए बना कांप्लेक्स ग्रामीणों के भूसा भरने के काम आ रहा है।

राघवेन्द्र तिवारी, स्वयं कम्यूनिटी जर्नलिस्ट

उन्नाव। लघु एवं सीमांत कृषकों के आर्थिक उन्नयन के लिए लाखों की लागत से कुक्कुट पालन केंद्र की स्थापना की गई थी। मगर जिम्मेदारों की अनदेखी से यह केंद्र पूरी तरह से बदहाल हो गया है। कुक्कुट पालन के लिए बना कांप्लेक्स ग्रामीणों के भूसा भरने के काम आ रहा है। पशुपालन विभाग भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।

विकास खण्ड सरोसी क्षेत्र के ग्राम सभा परियर के मजरा सुब्बा खेड़ा गाँव के पास जनपद के पशुपालन एवं मत्स्य विभाग के मन्त्री मनोहर लाल ने छह मार्च 1994 को कुक्कुट काम्प्लेक्स सहकारी समिति लिमिटेड की आधार शिला रखी थी। इसका उत्तर प्रदेश मत्स्य विभाग लिमिटेड कार्यदायी संस्था ने निर्माण कार्य कराया। निर्माण के बाद 16 अप्रैल 1998 को गोरखनाथ निषाद राज्य मन्त्री स्वतन्त्र प्रभार पशुधन एवं मत्स्य ने उद्घाटन किया।

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गाँव के ही बुजुर्ग श्याम लाल बताते हैं, “उस समय यह क्षेत्र काफी पिछड़ा हुआ करता था। किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए भी कोई साधन नहीं था। लोग बदहाल थे तब मन्त्री जी ने इस कुक्कुट पालन केंद्र को बनवाया था कि इससे छोटे किसानों को लाभ मिलेगा लेकिन सरकारी अमले ने सिर्फ खानापूर्ति ही करते रहे जिससे यह योजना पहले ही चरण में ध्वस्त हो कर रह गई।”

इस पूरे प्रोजेक्ट में प्रशासन की मंशा था कि लघु किसान भी मुख्य धारा में शामिल हो। पालन के बाद ग्रोथ पूरी कर लेने वाले बच्चों की बिक्री की जिम्मेदारी सरवन मलिक कांट्रेक्टर को दी गई थी। प्रोजेक्ट की शुरुआत के बाद ही लापरवाही शुरू कर दी गई। पशुपालन विभाग द्वारा किसानों को समय पर न तो दवाएं दी जाती थी और न ही उन्हें इस बात की जानकारी दी जाती थी कि कैसे इन बच्चों को विभिन्न मौसमी बीमारियों से बचाया जाता है जिसके कारण अधिकांश बच्चे वहीँ मर जाते थे और किसानों को मुनाफे की जगह घाटा उठाना पड़ा। इसके लिए विभाग द्वारा उन्हें कोई भी सरकारी मदद नहीं दी गई। जिससे किसानों ने बच्चे पालना बन्द कर दिया और स्थिति यह हो गई कि आज कुक्कुट पालन केंद्र बदहाल पड़ा हुआ है। मौजूदा समय में क्षेत्रीय लोग इस केंद्र को अपने निजी कार्य के लिए प्रयोग कर रहे हैं।

पांच एकड़ में बनाए गए थे दस कांप्लेक्स

क्षेत्र में पांच एकड़ में दस काम्प्लेक्स का निर्माण हुआ था। निर्माण को लेकर प्रशासन की मंशा थी कि आसपास के पुरवा, सुब्बा खेडा, सैदापुर, परियर, करवासा, जमालनगर, गंगा दीन खेड़ा, पंडित खेड़ा, बरहाली सहित दस गाँवों के लघु एवं सीमांत किसानों को इस योजना के तहत चयनित किया जाएगा और उन्हें पशुपालन विभाग द्वारा कुक्कुट के बच्चे उपलब्ध करा कर पालन करने के लिए एक एक काम्प्लेक्स उपलब्ध कराया।

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