एसटीएफ के ऊपर आरोपों की जांच के लिए एडीजी एलओ जाएंगे पंजाब

Update: 2017-09-21 18:15 GMT
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लखनऊ। यूपी एसटीएफ पर आतंकी को छोड़ने के एवज में रिश्वत लेने के आरोपों की जांच करने एडीजी एलओ आनंद कुमार पंजाब जाएंगे। जांच अधिकारी पंजाब पुलिस से पूरे प्रकरण का विवरण लेने के बाद नाभा जेल से संबंधित अपराधियों की जानकारी एकत्र करेंगे। वहीं आतंकी छोड़ने के एवज में रिश्वत देने का ऑडियो टेप पंजाबी भाषा में होने के चलते जांच अधिकारी को पूरा मामला समझने में दिक्क्तों का सामना करना पड़ रहा है। जबकि यूपी पुलिस में कई ऐसे सिख अधिकारी हैं जो आसानी से पंजाबी भाषा समझ सकते हैं, फिर भी जांच अधिकारी का दो लोगों के बीच कथित बातचीत को समझना बेहद मुश्किल हो रहा है।

एडीजी एलओ आनंद कुमार ने बताया “एसटीएफ पर लगे आरोपों की जांच शुरू कर दी है। इससे संबंधित आॅडियो टेप मुझे सौंप दिया गया है। टेप में जिन लोगों की आवाज सुनाई दे रही है उनकी भाषा को समझना मुश्किल है, क्योंकि रुपया लेने-देने की बात पंजाबी भाषा में हो रही है।” वहीं डीजीपी सुलखान सिंह ने जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कार्रवाई की बात कही है। हालांकि एसटीएफ जैसे विंग पर लगे आरोपों ने पूरे यूपी पुलिस की छवि को धूमिल कर दिया है, जिसे धो पाना प्रदेश सरकार के लिए बेहद मुश्किल होगा।

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ज्ञात हो कि पंजाब की नाभा जेल ब्रेक के मास्टर माइंड गोपी घनश्यामपुरा को हिरासत से भगा देने का आरोप यूपी एसटीएफ पर लगा है। आरोप है कि गोपी घनश्याम पूरा को पिछले हफ्ते लखनऊ में ही गिरफ्तार किया गया था। घनश्याम की गिरफ्तारी की खबर हरजिंदर सिंह भुल्लर उर्फ विक्की ने 10 सितम्बर को अपने फ़ेसबुक पेज पर पोस्ट कर दी। हरजिंदर उन 6 आरोपियों में से 1 है जो नाभा जेल से फरार हुए थे। हरजिंदर की पोस्ट देखने के बाद पंजाब पुलिस ने यूपी के अफसरों से पूरे मामले की जानकारी मांगी तो अधिकारियों ने गिरफ्तारी की जानकारी से ही इनकार कर दिया। पंजाब पुलिस के मुताबिक, गोपी की आखिरी लोकेशन शाहजहांपुर जिले में मिली थी। जिसके बाद पंजाब पुलिस को जानकारी हुई कि यूपी की स्पेशल टास्क फोर्स ने गोपी को गिरफ्तार करने के बाद 45 लाख लेकर उसे फरार करा दिया।

इस पूरे डीलिंग की आडियो टेप पंजाब पुलिस ने यूपी सरकार को दे दिया है, जिसमें दो संदिग्धों के बीच धनश्याम को छोड़ने को लेकर रुपया लखीमपुर जनपद से मंगवाने की बात कही जा रही है, जिसका इंतज़ाम पंजाब के एक शराब कारोबारी से करने को कहा गया था। पंजाब पुलिस के आईजी इंटेलिजेंस कुंवर विजय प्रताप सिंह ने यूपी के बड़े स्तर के अधिकारी का रिश्वत लेने में नाम आने पर मामले की जानकारी आईबी को दी। जिसके बाद पंजाब पुलिस और आईबी ने जानकारी यूपी के डीजीपी सुलखान सिंह को दी। साथ ही इस पूरे डील में सुल्तानपुर के कांग्रेस नेता और पीलीभीत के हरजिंदर कहलो, और अमनदीप का भी नाम सामने आया है। जिसके बाद नाभा जेल से फरार आरिपयों के इनपुट यूपी एटीएस को दी गई। 15 सितंबर को एटीएस ने इनपुट मिलने पर तीनों को गिरफ्तार कर लिया था। इस गिरफ्तारी के बाद पंजाब की मीडिया एक रिपोर्ट आई की घनश्यामपुरा को छोड़ने के लिए यूपी एसटीएफ के एक बड़े अधिकारी ने मोटी रकम ली और उसे फरार करा दिया था।

फरार आतंकी गोपी घनपुरा के घरवाले कोर्ट में देंगे अर्जी

पंजाब के नाभा जेल से फरार गोपी घनपुरा के घरवाले अमृतसर कोर्ट में गोपी घनपुरा को कोर्ट के सामने पेश करने की अर्जी देंगे। सूत्रों की माने तो परिवार को शक है कि यूपी और पंजाब पुलिस ने गोपी घनपुरा को कही मार कर फेंक दिया है। उनकी यह आशंका और अधिक तब बढ़ गई जब यूपी एसटीएफ पर रुपया लेकर गोपी घनपुरा को छोड़ने का आरोप सामने आया। परिवार ने पंजाब पुलिस के उच्चाधिकारियों से मिलकर गोपी घनपुरा को पेश करने को कहा है।

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परिवार की इस मांग पर पंजाब पुलिस इसे सिरे से खारिज करते हुए गोपी घनपुरा को रखने की बात से इंकार कर दिया। जबकि गोपी घनपुरा की बीते दिनों आखिरी कॉल लोकेशन यूपी शाहजहांपुर जिले में पाई गई थी और 10 सितम्बर को गोपी के साथी विकी गोंडर के फेसबुक पर यूपी एसटीएफ द्धारा गिरफ्तार होने की बात लिखने के बाद पंजाब से लेकर यूपी तक हड़कम्प मच गया। दोनों ही प्रदेशों की पुलिस ने गोपी के होने की बात से ही इंकार कर दिया। इन तथ्यों को सुनने के बाद ही परिवार को आंशका है कि रुपयों का राज खुलने के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने गोपी घनपुरा को मार कर फेंक दिया है।

एक बड़े अधिकारी के रिश्तेदार का नाम आ रहा सामने

नाभा जेल के फरार आतंकी को रुपए लेकर छोड़ने के मामले में एक नया मोड़ सामने आया है। सूत्रों की माने तो आईबी के पास जो रुपयों के लेनेदेने का कथित ऑडियो टेप है उसमें दो नहीं तीन लोगों के बीच रुपयों के लेनेदेने को लेकर बातचीत है। सूत्रों की माने तो तीसरा शख्स यूपी में तैनात एक बड़ अधिकारी का रिश्तेदार है, जिसने अपने को अधिकारी का रिश्तेदार बता कर पूरे मामले को निपटाने के एवज में एक करोड़ रुपये की मांग की थी। हालांकि इसकी पुष्टि कोई भी करने को नहीं तैयार है कि, आखिर वह तीसरा शख्स कौंन है, जिसने पींटू तिवारी से यह पूरी रकम फिक्स करवाई।

माफिया त्रिभुवन सिंह के आत्मसमर्पण पर भी एसटीएफ पर उठे थे सवाल

यूपी पुलिस का सबसे बड़ा पांच लाख ईनामी माफिया त्रिभुवन सिंह 15 मई 2009 को लखनऊ के महानगर के विज्ञानपुरी स्थित एसटीएफ कार्यालय पहुंचता है और गेट पर रखे रजिस्टर पर अपनी एंट्री सही नाम से दर्ज कराता है। इसके बाद सीधे उस वक्त के मौजूदा एसटीएफ एसएसपी अमिताभ यश से मिलकर उन्हें कहता है कि वह आत्मसमर्पण करने आया है। त्रिभुवन सिंह के इस दुस्साहस को देखकर एसटीएफ कार्यालय में तैनात अन्य पुलिस कर्मी भी सोचने पर मजबूर हो जाते है कि, जिस एसटीएफ ने श्रीप्रकाश शुक्ला जैसे बड़ माफिया को मार गिराया था और जिसके सामने से अपराधी गुजरने तक का घबराते है आज उसकी कार्यालय में प्रदेश का सबसे बड़ा इनामिया आकर सरेंडर कर रहा है।

सूत्रों की मानें तो उस वक्त के कुछ पुलिसवालों का दावा था कि लोकसभा के आम चुनाव में माफिया की चुनावी जंग को खूनी न बन पाये इसे ही लेकर कुछ पुलिस अफसरों, विधायकों और राजनीतिज्ञों ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई और एसटीएफ का काम आसान कर दिया था। वैसे एसटीएफ का दावा है कि वह पाँच लाख के इनामी त्रिभुवन सिंह के काफी करीब पहुँच चुकी थी। नेपाल, उड़ीसा, बिहार, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की हर वह लोकेशन उनकी नजर में थी, जहाँ त्रिभुवन का मूवमेंट था।

खुद त्रिभुवन ने बताया कि उसे भी यह मालूम चल चुका था कि एसटीएफ उसके काफी करीब है। पुलिसवाले उसके बच्चों के स्कूल व ससुराल तक पहुँचने लगे थे। लिहाजा उसने खुद ही एसटीएफ के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। उस वक्त कोर्ट के सामने क्यों नहीं गया, इस सवाल पर त्रिभुवन ने कहा कि कोर्ट भी तो बाद में पुलिस के ही हवाले करती। लिहाजा वह सीधे एसटीएफ के ही पास सीधे आ गया। उस वक्त के एडीजी कानून-व्यवस्था बृजलाल ने कहा था कि, एसटीएफ ने यूपी से जुड़े 24 मामलों में उसे वांछित बताया था, इसके चलते ही एसटीएफ उसके पीछे काफी सरगर्मी से लगी थी। जबकि उस वक्त भी एसटीएफ पर आरोप लगे थे कि, उसने त्रिभुवन को बचाने के ही मकसद से सरेंडर करवाया था।

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