पिछले साल सवा सात लाखों नौनिहालों को नहीं मिलीं किताबें और यूनिफार्म: कैग

Update: 2017-05-18 20:35 GMT
प्रतीकात्मक फोटो।

लखनऊ। बेसिक शिक्षा विभाग की विभिन्न योजनाओं में पिछली सरकार के दौरान किस तरह से घोर लापरवाही बरती गई, उसका खुलासा बृहस्पतिवार को विधानसभा में हुआ। यहां महालेखा परीक्षा (कैग) की रिपोर्ट सदन के समक्ष रखी गई, जिसमें कई कड़वे सच सामने आए। प्रदेश के 6.22 लाख प्राइमरी में पढ़ने वाले बच्चों को बजट होने के बावजूद पुस्तकें उपलब्ध नहीं करवाई गईं। करीब एक लाख बच्चों को फंड होने के बावजूद स्कूल वेशभूषा (यूनिफार्म) नहीं दी गई है। हजारों स्कूलों में फूंस की छत है, जिससे आग लगने का खतरा है। हजारों भवन जर्जर हैं। ऐसे ही अनेक स्कूलों में बच्चों के लिए पीने के पानी तक का इंतजाम नहीं किया गया है। सरकार ने कैग की ये रिपोर्ट रखी और भविष्य में इन सारी कमियों को दूर करने का आश्वासन सदन को दिया।

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प्रत्येक वर्ष विभिन्न सरकारी विभागों में कैग के जरिये निष्पक्ष तरीके से आडिट करवाया जाता है। आर्थिक तौर होने वाले आडिट में विभाग में कुल हुए खर्च उसके सापेक्ष सुविधाएं और लैप्स हुए बजट को लेकर रिपोर्ट तैयार की जाती है। सरकार को विधानसभा की जानकारी के लिए इसको सदन में रखना होता है। चालू सत्र के दौरान बुधवार को ये रिपोर्ट सदन में रखी गई। जिसमें बेसिक शिक्षा विभाग से जुड़ी अनेक खामियां सामने आईं।

कैसे पढ़ें बच्चे भवन जर्जर, पीने को पानी नहीं

रिपोर्ट में कहा गया है कि अखिलेश यादव की सरकार में बजट होने के बावजूद यूपी में 1366 स्कूल जर्जर भवनों में संचालित रहे थे। कई भवनों में फूंस की छत है। जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश का उल्लंघन किया जा रहा है। 2978 स्कूल में बच्चों के लिए पीने के पानी की सुविधा तक नहीं है। ऐसे में बच्चे किस तरह से पढ़ाई करते होंगे, इसकी हकीकत खुल कर सामने आई।

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रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि अखिलेश सरकार में 2012 से 2016 के बीच 622000 बच्चो को फण्ड होने के बावजूद मुफ्त किताबें नहीं दी गयीं। 97 लाख बच्चों को फंड होने के बावजूद स्कूल में यूनिफार्म नहीं दी गयी। ये फंड लैप्स हो गया।

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