पीएम सुरक्षा की ब्रीफिंग में एसएसपी लखनऊ से एसपी एसआईटी की तीखी नोकझोंक

Update: 2017-06-18 23:03 GMT
21 को लखनऊ आएंगे प्रधानमंत्री मोदी।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी में दो दिनों के पीएम नरेंद्र मोदी के दौरे के मद्देनजर लखनऊ पुलिस ने सुरक्षा से संबंधित जानकारी देने के लिए रविवार शाम आशियाना स्थित बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी में एक सभा का आयोजन किया था। इसमें पुलिसकर्मियों को पीएम की ड्युटी से जुड़े पहलुओं को अधिकारियों से साझा करना था, लेकिन एसएसपी लखनऊ दीपक कुमार के ब्रीफिंग में देरी से आने पर उनसे एसपी एसआईटी नागेंद्र सिंह भरी सभा में भिड़ गये। इस दौरान दोनों के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई। इस बीच सभागार में पीछे की लाइन में बैठे दरोगा-सिपाही ने एसएसपी लखनऊ के खिलाफ नारेबाजी कर दी। हंगामा बढ़ता देख कार्यक्रम कवर करने आये मीडिया कर्मियों को एसएसपी ने सभागार से बाहर कर दिया।

पीएम नरेंद्र मोदी के योग दिवस में शामिल होने के चलते यूपी पुलिस के हाथ-पांव फुले हुए हैं, जिसे देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने दस दिन पहले से ही तैयारी शुरू कर दी थी। इस क्रम में सोमवार को पीएम के फ्लीट का रूट का रिहर्सल होना था। इसकी जिम्मेदारी प्रदेश भर से आए पुलिस अधिकारी और पुलिसकर्मियों को दी गई है। इसके मद्देनजर एसएसपी लखनऊ दीपक कुमार ने बीबीयू सभागार में सभी पुलिस कर्मियों को रविवार शाम चार बजे बुलाया था, लेकिन इस ब्रीफिंग में वह खुद तीन घंटे देरी से पहुंचे।

दीपक कुमार के स्टेज पर बैठते ही उनके ठीक सामने नीचे बैठे डीजीपी मुख्यालय में तैनात एसपी नागेंद्र सिंह खड़े हो गये और उनके देरी से आने की वजह पूछ दी। इस दौरान एसपी नागेंद्र ने कार्यक्रम में अव्यवस्था का मुद्दा उठाया। इस बात को लेकर दोनों अधिकारी आपस में जुबानी भिड़ गये। दोनों अधिकारियों के बीच यह बहस करीब पांच मिनट तक चली, जिसके बाद एसएसपी ने अपनी गलती मानते हुए एसपी को शांत कराया। जबकि इस दौरान अन्य पुलिसकर्मियों ने भी पीछे से एसएसपी दीपक कुमार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। हंगामा बढ़ता देख एसएसपी ने मीडिया कर्मियों को सभागार से बाहर निकल जाने को कहा। हंगामे के चलते एसएसपी की ब्रीफिंग आधे घंटे देरी से शुरू हुई।

न पीने को पानी न सोने को छत

प्रदेश भर से पीएम सुरक्षा में आये जवानों ने बताया कि, यहां तीन दिनों से रुके हुए हैं, लेकिन न सोने को छत है न खाने-पीने को भोजन। जवानों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि, शौचालय के लिए भी खुले में दो किलो मीटर दूर जाना पड़ता है, क्योंकि यहां गिने-चुने शौचालय है, जिसका इस्तेमाल बड़े अधिकारी कर रहें हैं।

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