शिकारियों ने सात राष्ट्रीय पक्षी का किया शिकार, छह की मौत, एक गंभीर 

Update: 2017-05-17 14:00 GMT
मृत मोरों को दिखाता कर्मचारी।

चित्रकूट। भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर का शिकार तेजी से हो रहा है। चित्रकूट जिले में शिकारियों ने मोर का शिकार करने के लिए गाँव कपसेठी में सात मोर को जहरीला दाना खिला दिया। इसमें छह मोर की मौत हो गई जबकि एक मोर को वन विभाग के अफसरों ने गंभीर हालत में पशु अस्पताल में भर्ती कराया है। जहां मोर का इलाज चल रहा है।

चित्रकूट में मोर के शिकार का सनसनीखेज मामला मुख्यालय से सटे गाँव कपसेठी में बुधवार सुबह उजागर हुआ। मंदाकिनी नदी किनारे हरे भरे इलाके में अलग-अलग स्थानों में सात मोर पड़े मिले। इससे गाँव में हड़कंप मच गया। ग्रामीणों की सूचना पर वन विभाग के डीएफओ ललित गिरी, कर्वी रेंजर नरेंद्र सिंह मौके पर पहुंचे। इन सभी को पशु अस्पताल लाया गया जहां छह मोर मृत घोषित कर दिए गए।

गाँव के पास एक दिन पहले आकर डेरा डाले घूमन्तू जाति के लोगों की ये करतूत है। ये मोरों का शिकार करते हैं। मोरों की मौत के बाद यहां से भागे हैं। एक को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिले में नाकेबंदी कर इनकी तलाश की जा रही है।
ललित गिरी, डीएफओ, चित्रकूट

पशु पालन विभाग के डिप्टी सीवीओ एचएस बबेले के नेतृत्व में सातवें मोर का इलाज शुरू हुआ। डाक्टर मुताबिक सभी को जहरीला दाना खिलाया गया है। मृतक छह मोर में चार नर व दो मादा हैं। सातवां मोर मादा है जिसकी हालत फिलहाल नाजुक बनी है।

चित्रकूट के डीएफओ ललित गिरी का कहना है, "गाँव के पास एक दिन पहले आकर डेरा डाले घूमन्तू जाति के लोगों की ये करतूत है। ये मोरों का शिकार करते हैं। मोरों की मौत के बाद यहां से भागे हैं। जिले में नाकेबंदी कर इनकी तलाश की जा रही है।"

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अभी तक का सबसे बड़ा मामला

तीन नर मारे जिनकी आयु करीब आठ साल की है। इनके पंख निकल आए थे। जिले में इतने बड़े पैमाने पर मोर के शिकार की घटना कई वर्षों बाद पकड़ में आई। खुद डीएफओ बताते हैं, "एक दो का शिकार करने के मामले आए थे। घटना स्थल से वन विभाग ने जहरीला दाना भी बरामद किया है।" ग्रामीण अशोक शाहू बताते है, "एक दिन पहले मंगलवार शाम पुल के आगे मंदाकिनी किनारे वाहनों से आए घूमंतू जाति के लोगों ने डेरा डाला था। सुबह जब मोरों की मौत की चर्चा गाँव में उठी तो ये समूह गाडि़यों से भाग निकला। सुबह 10 बजे इनकी लोकेशन पर वन विभाग की टीम पकड़ने के लिए रवाना हुई।"

बीमारी दूर करने के लिए करतें हैं शिकार

गाँव के बुजुर्ग अमरेती लाल बताते हैं, "नदी किनारे गाँव में वर्षों से मोरों की मौजूदगी बनी रहती है। ग्रामीण इनकी सुरक्षा भी करते हैं। इनकी मौजूदगी से नदी किनारे गाँव में सांप आदि का भय नहीं रहता था। यही वजह थी कि ग्रामीण इनके खाने पीने का प्रबंध करते थे।" बताया गया कि इनका मांस घुमुंतू जाति के लोग बीमारी दूर करने के लिए प्रयोग करते है। डीएफओ ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कर्वी कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। एक आरोपी को पकड़ा जा चुका है।

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