गंगा और गोमती दिखा रहीं अंडरग्राउंड मेट्रो की राह

Update: 2017-04-05 16:54 GMT
लखनऊ में मेट्रो ट्रेन के लिए बन रहे भूमिगत टनलिंग का दृश्य। (फोटो-महेंद्र पांडेय)

लखनऊ। मेट्रो रेल के फेस 1 ए (उत्तर दक्षिण कारिडोर) के 3.5 किमी लंबे सचिवालय, हुसैनगंज और हजरतगंज तक भूमिगत टनलिंग का कार्य निर्धारित समय से पूर्व प्रारम्भ हो गया है। यह काम अप और डाउन लाइन में एक साथ दो टनल बोरिंग मशीन के जरिये किया जा रहा है। दोनों मशीनों के नाम यूपी की दो मुख्य नदियों गंगा व गोमती के नाम पर रखे गये हैं।

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आपने लखनऊ मेट्रो को ट्रॉयल रन के दौरान सड़क के ऊपर से तो खूब गुजरते देखा होगा, मगर चारबाग से लेकर हजरतगंज तक साढ़े तीन किलोमीटर लंबे रूट पर अब मेट्रो का भूमिगत काम भी तेजी से किया जा रहा है।

लखनऊ मेट्रो।

रामनवमी के मौके पर बुधवार को सुबह मेट्रो रेल कार्पोरेशन से जुड़े अधिकारियों के साथ पत्रकारों ने भी सचिवालय अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशन और सुरंग का भ्रमण कर कार्य प्रणाली की को देखा। अधिकारियों ने जमीन के अंदर कैसे टनल मशीन द्वारा सुरंग की खुदाई और मिट्टी बाहर निकाली जाती है इस विषय में विस्तार से बताया।

लखनऊ मेट्रो।

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सुरंग में जाते समय मेट्रो कर्मियों ने सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए थे। बता दें कि लखनऊ मेट्रो अब 90 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से लोडेड और अनलोडेड स्थित में दौड़ेगी।इसके लिए आरडीएसओ (अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन) ने अंततः लखनऊ मेट्रो के दोलन परीक्षण परीक्षण के परिणाम जारी किए हैं।यह लखनऊ मेट्रो को अंतिम स्पीड सर्टिफिकेट मंजूर की गई गति से10% कम होगा, जो कि भरी हुई और उतार-चढ़ाव दोनों स्थितियों में 80 किमी प्रति घंटा है।लेकिन ढीले निलंबन (जब वायु लीक) की स्थिति में, अधिकतम अनुमोदित गति केवल 60 किमी प्रति घंटा होगी।

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