सरकारी स्कूल: मार्शल आर्ट सीखते हैं गांव के बच्चे, स्कूल में है छात्रों की सरकार

बुंदेलखंड का ये सरकारी स्कूल दूसरे स्कूलों के लिए है उदाहरण, सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग के चलते स्कूल में लड़कियों की संख्या तेजी से बढ़ी है।

Update: 2018-08-09 17:53 GMT

महरौनी (ललितपुर)। देश के सरकारी स्कूल अपनी हालत को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। लेकिन कुछ स्कूल ऐसे भी हैं जो सीमित संसाधनों में कमाल कर रहे हैं। वहां दाखिले के लिए अभिभावक निजी से स्कूलों तक से नाम कटवा लेते हैं। ऐसा ही एक स्कूल बुंदेलखंड के ललितपुर जिले में भी है।

कुछ साल पहले तक इस स्कूल में भी बच्चों की संख्या गिनीचुनी ही थी। लेकिन अब स्कूल खुलने के समय से काफी पहले यहां बच्चे आ जाते हैं। स्कूल जल्दी आने की कई वजहें हैं। कक्षा आठ में पढ़ने वाली नंदिनी तिवारी स्कूल जाने में हमेशा आनाकानी करती थी, लेकिन जब से से पता चला कि स्कूल में जूड़े कराटे सिखाए जाते हैं वो हर रोज स्कूल जाने का इंतजार करती हैं। वो ललितपुर मुख्यालय से करीब 40 किमी पूर्व दिशा में नगर पंचायत कस्वा महरौनी में पूर्व माध्यमिक विद्यालय मड़ावरा रोड में पढ़ती है।

नंदिनी बताती है, "स्कूल में जूडो कराटे के साथ ही मार्शल आर्ट और योगा सिखाया जाता है। पढ़ाई भी खूब होती है। इसलिए अब मैं रोज स्कूल आती हूं। जूड़ो कराटे से हम लोग आत्मरक्षा करना भी सीख रहे हैं।" नंदिनी जैसे सैकड़ों बच्चों में पढ़ाई और फिट रहने का उत्साह भरने के पीछे यहं के शिक्षक लखनलाल सेन का काफी योगदान है।

2010 में लखनलाल सेन ने कार्यभार ग्रहण किया उस समय छात्रांकन 25 हुआ करता था, जो बढकर आज पाँच गुना से अधिक हैं। उन्होंने स्कूल में कई नए प्रयोग किए, जिसमें संगीत पर सर्वांग सुंदर व्यायाम, जुडो कराटे, खेल, पीटी आदि शामिल हैं। ये सब सुबह 6 बजे से 7 बजे तक होता है। इसके बाद बच्चे फिर घर चले जाते हैं और तैयार होकर स्कूल टाइम पर वापस आ जाते हैं।

पूर्व माध्यमिक विद्यालय के अध्यापक लखनलाल सेन बताते हैं, " इन तरीकों से बच्चों की स्कूल आने में रुचि बढ़ी है, उनके मातापिता की भी सोच बदली है। कई अभिभावकों ने तो निजी स्कूलों से नाम कटवाकर अपने बच्चों का दाखिलया यहां करया है।' स्कूल की सफलता को वो विद्यालय स्टाफ की मेहनत का नजीता बताते हैं।

ये भी पढ़ें- यूपी के इस डीएम की सलाह मानें तो बदल सकती है सरकारी स्कूलों की तस्वीर


विद्यालय के शारीरिक शिक्षा के अनुदेशक निशान्त सिंह बताते हैं," लड़के लडकियों को व्यायाम, पीटी, काता आत्म सुरक्षा के लिए बाँक्सिंग से जुडे हुए छोटे जुनियर स्तर के पहलू बताते हैं, जिससे यह सब उनके भविष्य में काम आ सकें।"

ललितपुर ज़िले में 1024 प्राथमिक विद्यालय ग्रामीण और 25 शहरी क्षेत्रों में हैं, साथ ही ज़िले में 484 पूर्व माध्यमिक ग्रामीण व 9 शहरी क्षेत्रों में हैं। शहरी क्षेत्र के विद्यालयों में पूर्व माध्यमिक विद्यालय मड़ावरा रोड महरौनी उत्कृष्ठ विद्यालय में आता हैं।

बच्चों की बाल सरकार, कोई प्रधानमंत्री, कोई मंत्री

स्कूल में बच्चों की बाल सरकार है। बाल सरकार में 12 बच्चों को विभिन्न मंत्रालय दिये गये हैं, वो उन विभागों के मंत्री हैं, दीपक कुमार बाल सरकार के प्रधानमंत्री हैं। इस व्यवस्था से बच्चे लोकत्रांतिक व्यवस्था को समझ पाते हैं। कक्षा आठ में पढने वाले बाल सरकार के प्रधानमंत्री दीपक कुमार बताते हैं,"बाल सरकार में सबका अलग-अलग काम हैं, जल मंत्री पानी व्यवस्था, भोजन मंत्री मध्यान्ह भोजन, सफाई मंत्री साफ- सफाई काम का काम देखते हैं।"

सरकार के कार्यक्रमों में विद्यालय के बच्चे देते हैं सांस्कृतिक प्रस्तुति

सरकार के कार्यक्रमों में इस विद्यालय के बच्चों बच्चियों द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, मतदाता जागरूकता, यातायात सड़क सुरक्षा, दहेज प्रथा, खुले में शौच से मुक्ति,आदि पर सांस्कृतिक कार्यक्रम करते चले आ रहे हैं, जिले के अंदर शैक्षिक नवाचार मेला में वाद-विवाद,भाषण, में प्रथम स्थान प्राप्त कर चुके हैं।

ये भी पढ़ें- जिस बदहाल स्कूल में ग्राम प्रधान ने की थी पढ़ाई, उस स्कूल को बनाया हाईटेक




 


Similar News