यूपी गुंडागर्दी की चपेट में है: रालोद

Update: 2017-04-26 02:32 GMT
राष्ट्रीय लोकदल

लखनऊ (आईएएनएस/आईपीएन)। राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मसूद अहमद ने कहा कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के 36 दिन पूरे हो चुके हैं। पूरा प्रदेश गुंडागर्दी की चपेट में है।

आगरा, मथुरा, सहारनपुर, गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, इलाहाबाद, हरदोई और शाहजहांपुर सहित कई जिलों में अराजकता का माहौल है। उन्होंने कहा, ''अब हिंदू युवा वाहिनी, विश्व हिंदू परिषद या बजरंग दल जैसे हिंदू संगठन ही नहीं, भाजपा सांसद और विधायक तक खुलेआम गुंडागर्दी कर रहे हैं।''

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पार्टी मुख्यालय पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए डॉ. मसूद ने कहा, ''गन्ना किसानों के बकाए का भुगतान सरकार की घोषणा के अनुसार 14 दिनों में होना चाहिए था। हम जानना चाहते हैं कि 14 दिन गन्ना तौलने के दिन से माने जाएंगे या पेराई सत्र से या जिस दिन से सरकार ने शपथ ली है। 14 दिन के बजाय 36 दिन बीत गए।'' उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने गन्ना किसानों के बकाया मूल्य का ब्याज 2016 करोड़ रुपया मिल मालिकों के पक्ष में माफ कर दिया था, जिस पर उच्च न्यायालय ने मार्च के महीने में रोक लगा दी है। इस मामले में भी योगी सरकार ने अब तक अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है।

लघु और सीमांत किसानों का केवल वर्ष 2016 मार्च तक का केवल फसली ऋण माफ करके सरकार स्वयं अपनी पीठ ठोंक रही है, जबकि वास्तविकता यह है कि किसानों का सभी कर्ज माफ करने की घोषणा चुनाव प्रचार के दौरान की गई थी। खुद प्रधानमंत्री ने यह घोषणा की थी। भाजपा ने अपना वादा पूरा नहीं किया।
डॉ. मसूद अहमद, प्रदेश अध्यक्ष, राष्ट्रीय लोकदल

उन्होंने कहा, ''उप्र में ही अवध क्षेत्र और बुंदेलखंड के किसानों की स्थिति में काफी अंतर है, इसलिए बुंदेलखंड के किसानों का अतिरिक्त पैकेज होना चाहिए। कुकुट पालन, बकरी पालन, भैंस पालन, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन भी किसानों के उद्यम के रूप में जाने जाते हैं। इन योजनाओं में भी जो ऋण लिया गया है उसे माफ किया जाना चाहिए। इसके अलावा जिन किसानों ने ट्यूबवेल, पम्पिंग सेट, बोरिंग, स्प्रे मशीन अथवा अन्य कृषि उपकरणों को खरीदने में ऋण लिया है उसे भी माफ किया जाए।'' रालोद नेता ने कहा, ''कई जनपदों के किसानों को ओलावृष्टि से भयंकर क्षति हुई है। इसका आकलन कर किसानों को क्षतिपूर्ति दी जानी चाहिए।''

डॉ. मसूद ने कहा कि छत्तीसगढ़ के नक्सली हमलों में शहीद होने वाले जवानों के प्रति केवल इतना कहकर केंद्र सरकार के गृहमंत्री और प्रधानमंत्री छुटकारा पा लेते हैं कि जवानों का बलिदान भुलाया नहीं जा सकता। सच तो यह है कि तीन साल में केंद्र सरकार कोई सफल और सुरक्षित कार्य योजना तक तैयार नहीं कर पाई है और भारत के सपूत कभी कश्मीर में तो कभी छत्तीसगढ़ में शहीद होते जा रहे हैं।

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