यूपी में किसानों की मेहनत पर ओलों की बारिश, गेहूं समेत कई फसलें बर्बाद

बरेली, लखीमपुर और सीतापुर में मूसलाधार बारिश और ओलावृष्टि से फसलें बर्बाद, सैकड़ों एकड़ खेतों में गेहूं, सरसों,आलू और मटर की फसलें चटाई की तरह बिछ गईं, करीब एक घंटे ओलावृष्टि से जहां देखो वहां ओले की सफेद चादर दिखाई देने लगी

Update: 2019-02-28 09:10 GMT

लखनऊ। फरवरी का महीना जाते-जाते किसानों को इतना जख्म दे गया जो कई महीनों में भी शायद न भरे। पिछले दिनों नोएडा और लखीमपुर में हुई भारी ओलावृष्टि के बाद बुधवार दोपहर करीब तीन बजे के बरेली, लखीमपुर और शाहजहांपुर में जमकर ओलावृष्टि हुई। बरेली में शिमला जैसा नजारा दिखने को मिला । बरेली-लखनऊ हाईवे पर कई किलोमीटर तक ओले की सफेद चादर बिछ गई। करीब एक घंटे हुई मुसलाधार बारिश और ओलावृष्टि ने गेहूं, सरसों, आलू, मसूर, मटर और अफीम जैसी रबी की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया। ओलावृष्टि से 30 से 40 फीसदी उत्पादन गिरने का अनुमान जताया जा रहा है।

इस वर्ष 20 जनवरी के बाद 14 फरवरी तक 4 बार भारी तेज बारिश और ओलावृष्टि हुई। मौसम का ये बदला रुख 2 से 3 दिनों तक रहा है। इस बार भी मौसम विभाग ने 14, 15 और 16 फरवरी के लिए चेतावनी जारी की थी। भारत मौसम विज्ञान विभाग, नई दिल्ली के वैज्ञानिक चरन सिंह बताते हैं, "पश्चिमी विक्षोभ ईरान और उसके आस-पास के क्षेत्र में केंद्रित है, जिसके चलते उत्तर भारत में मौसम का रुख बदला रहेगा।"

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बारिश और ओले से गेहूं की फसल गिर गई।

यूपी में कानपुर स्थित चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान विषय के शोधार्थी विजय दुबे के मुताबिक शिवरात्रि के बाद मौसम साफ होने की संभावना है। इस साल पहले जनवरी और फरवरी में तेज़ बरसात और ओला वृष्टि ने उत्तर भारत के किसानों का काफी नुकसान किया।

बरेली में बुधवार सुबह से बादल छाए हुए थे। तीन बजे के आसपास काले बादल आसमान में छा गए। देखते ही देखते तेज बरसात के साथ ओले गिरने लगे। आधा घंटे तक जमकर ओलावृष्टि होती रही। फरीदपुर, आंवला, नवाबगंज और बिथरी तहसीलों में जमकर ओले गिरे। सबसे ज्यादा ओले फरीदपुर क्षेत्र में गिरे। इस क्षेत्र के 50-60 गांवों में आलू, सरसों, गेहूं और सब्जियों की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई।

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सड़कों पर बिछ गई ओले की सफेद चादर।

फरीदपुर के रहने वाले किसान रामप्रीत सिंह (55वर्ष) ने बताया, "मेरी आलू की फसल तैयार थी। दो-चार दिन में खोदाई का काम शुरू करना था। सोचा था आलू बेचकर इए बार ट्रैक्टर खरीदूंगा, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। सारे अरमानों पर पानी फिर गया। हम किसानों का मजाक कुदरत भी उड़ा रही है। "

अलीगंज क्षेत्र के करीब दो सौ किसानों को अफीम की खेती करने का लाइसेंस मिला हुआ है। लेकिन ओलावृष्टि ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। अलीगंज के कुंडिरवा गांव के किसान खेमकरन ने बताया, " ओले गिराने से डोडे फट गए, उनमें से दूध बाहर निकल गया, ऐसे में अब जब हम चीरा लगाएंगे तो अफीम की पैदावार उतनी नहीं होगी। अफीम में करीब 40 प्रतिशत तक नुकसान का अनुमान है। ओले ने हमारी कमर तोड़ दी है। "

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आईवीआरआई कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि विशेषज्ञ डॉक्टर रनजीत सिंह के अनुसार इस समय गेहूं की बालियां आ चुकी हैं। ऐसे में ओलावृष्टि और से होने से अगैती प्रजाति के गेहूं को बड़ा नुकसान हुआ है। सरसों की फसल को भी भारी नुकसान पहुंचा है। किसानों को चाहिए कि वे किसी तरह से खेत में जमा पानी को निकालें और कृषि विशेषज्ञों से राय जरूर लें।

बिथरी ब्लॉक के गांव परातासापुर निवासी इसरार खां ने बताया, " पता नहीं कुदरत को क्या हो गया है। हम गरीब किसानों पर इतना सितम ढा रही है। मैंने दस बीघे में गेहूं बोया था। बालियां निकल आई थीं, लेकिन एक घंटे तक ओलावृष्टि से पूरी फसल बर्बाद हो गई। कुछ भी नहीं बचा। "

सीतापुर के रहने वाले किसान रसूल अहमद(45वर्ष) की बेटी की शादी चार जून को तय है। रसूल ने बताया, " जून में मेरी बेटी शादी है। खेती के अलावा आय का कोई साधन नहीं। बारिश ने खड़ी सरसों की फसल को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया। मेरे ऊपर तो गमों का पहाड़ टूट पड़ा है। अब अल्लाह का सहारा है। पता नहीं कैसे होगी मेरी बेटी की शादी। "

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बाराबंकी में पिछले दिनों हुई बरसात के बाद क्षेत्र में टमाटर की लगभग 80% फसल बर्बाद हो चुकी थी। छेदा निवासी जनार्दन वर्मा बताते हैं, " बरसात से टमाटर की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगी। गेहूं की फसल भी बालियों के साथ जमींदोज हो गई हैं। अभी जो खेतों में आलू हैं उनमें पौधे नहीं रह गए हैं। ऐसे में यह बरसात खेत में लगी फसल को सड़ा देगी।"

वहीं बेलहरा के टमाटर किसान रमेश मौर्या बताते हैं," पिछली बरसात में ही हमारी टमाटर की फसल में पटका रोग लग गया था जो बहुत तेज से फसल को नुकसान पहुंचा रहा था। अब फिर से बरसात हो जाने से टमाटर की फसल पूरी तरह से नष्ट हो जाएगी।"

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सब्जी की फसलों को भी पहुंचा है भारी नुकसान।

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार ओलावृष्टि को प्राकृतिक आपदा माना जाता है। यह खेत में तैयार खड़ी फसलों के संग पेड़ पौधों के लिए भी हानिकारक है। कृषि वैज्ञानिकों की माने तो ओलावृष्टि से खेत में खड़ी फसलों की गेहूं एवं अन्य फसलों की तैयारी बालियां टूटकर बिखर जाती हैं, जिससे नुकसान अधिक होता है। इन दिनों गेहूं, सरसों, मटर और तिलहन को भारी नुकसान हुआ, जबकि चना और आम के बौर को आशिंक नुकसान हुआ है। गन्ने की फसल को कोई खास नुकसान नहीं हुआ है।

इस कारण गिरते हैं ओले

मौसम वैज्ञानिक डा. एचएस कुशवाहा ने बताया," नदियों-समुद्र आदि का पानी जब भाप बनकर उड़ता है तो बादल बनते हैं। आसमान में करीब तीन किमी ऊपर तापमान जब शून्य से कई डिग्री नीचे चला जाता है तो वहां मौजूद पानी की बूंदों के जमने का सिलसिला शुरू हो जाता है। यह बर्फ के गोलों का रूप ले लेती हैं। बड़े बर्फ के टुकड़े ओले के रूप में नीचे आकर गिरते हैं।"  

इनपुट: सीतापुर से मोहित और बाराबंकी से वीरेंद्र सिंह

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