रायबरेली में गेहूँ क्रय केन्द्र नहीं खुलने से किसान कम दाम पर गेहूं बेचने को मजबूर 

Update: 2017-04-26 11:33 GMT
गेहूं की पैदावार अच्छी होने के बावजूद भी किसानों को फायदा नहीं हो पा रहा है।

मोबिन अहमद, स्वयं कम्यूनिटी जर्नलिस्ट

रायबरेली। गेहूं की पैदावार अच्छी होने के बावजूद भी किसानों को फायदा नहीं हो पा रहा है, क्योंकि जिले के कई क्षेत्रों में गेहूं क्रय केन्द्र ही नहीं शुरू किए गए हैं।

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जिला मुख्यालय से 32 किमी. दूर बछरावां ब्लॉक में सरकारी गेहूं केन्द्र न शुरू होने से किसान निजी व्यापारियों को सस्ते दाम पर अपनी उपज कम दाम पर बेचने को मजबूर हैं। बछरावां के किसान अरविन्द कुमार पटेल (32 वर्ष) बताते हैं, “फसल तो अच्छी हुई लेकिन कटाई-मड़ाई के तुरन्त बाद मजदूरों को पैसा देना पड़ता है और यहां सरकारी क्रय केन्द्र न होने के कारण से हमें निजी कांटों पर गेहूं बेचना पड़ रहा है। इस बार गेहूं का सरकारी रेट 1625 रूपए प्रति कुन्तल है पर हमें मजबूरी में निजी कांटों पर 1400 रूपए प्रति कुंतल बेचना पड़ रहा है।”

वहीं ब्लॉक के थुलेण्डी ग्राम निवासी फुजैल (30 वर्ष) बताते हैं, “गेहूं की कटाई के तुरन्त बाद हमें मेंथा लगाना है और बच्चों को स्कूल में दाखिला भी करवाना है, जिसके लिये मुझे पैसों की जरूरत है तो वो जरूरत हम अपना गेहूं बेचकर पूरी कर लेते हैं पर सरकारी क्रय केन्द्र हमारे यहां से 12 किलोमीटर दूर तिलेण्डा ग्राम में खुला है। अब इतनी दूर कौन जाये इसलिये हम अपने गांव के ही निजी कांटो पर जो दाम मिले उस दाम पर बेचने को मजबूर हैं।”

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