1427 करोड़ में गोमती को मिली सड़ांध और 26 नालों की गंदगी

Update: 2017-03-27 18:22 GMT
गोमती रिवर फ्रंट डवलपमेंट परियोजना का निरीक्षण करते सीएम और गोमती में जमा गंदगी।

लखनऊ। गोमती से उठती बदबू और सतह पर जमी काई। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी की नजर जैसे ही इस दृश्य पर पड़ी उनका पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया। गोमती रिवर फ्रंट डवलपमेंट परियोजना का निरीक्षण करने के दौरान मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी लगातार सिंचाई विभाग के अफसरों पर बरसते रहे। परियोजना का मानचित्र लेकर उनके सामने खड़े सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता पीके सिंह के पास किसी बात का संतुष्टिपरक जवाब नहीं था। 1427 करोड़ रुपए का खर्च इस परियोजना पर किया जा चुका है।

मगर लखनऊ की लाइफ लाइन कही जाने वाली गोमती में अभी 26 नाले सीधे गिर रहे हैं। परियोजना तय समय पर पूरी नहीं हो सकी है। यहां तक की मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी को दिखाने के लिए सिंचाई विभाग के अफसरों के पास परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तक नहीं थी। दरअसल इस परियोजना की डीपीआर तक नहीं बनाई गई है। आखिरकार योगी ने अफसरों को स्पष्ट कर दिया कि, मई महीना समाप्त होना तक सभी नाले गोमती में गिरना बंद हो जाएं। इन्होंने इसके साथ ही रिवर फ्रंट परियोजना को कुड़िया घाट से कलाकोठी घाट तक विस्तार देने का भी आदेश दिया।

मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी अधिकारियों से परियोजना के बारे में पूछताछ भी की।

रिवर फ्रंट पार्क तो खूबसूरत बना दिया गया है मगर गोमती का हाल अच्छा होता नहीं नजर आ रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आए तो रिवर फ्रंट डवलपमेंट पार्क के सामने गोमती में फव्वारे से नजारा सुंदर तो जरूर बना रहे थे। मगर अफसर गोमती में गिर रहे नालों की गंदगी से उठ रही बदबू को न छिपा सके। गोमती के ऊपर गंदगी की मोटी परत भी साफ नुमाया हो रही थी। मुख्यमंत्री ने यहां आते ही सबसे पहले गोमती को देखा और गंदगी और बदबू से बिफर पड़े। इसके बाद में उन्होंने यहां समीक्षा बैठक की। जिसमें उनके सामने इस परियोजना के मुख्य जिम्मेदार सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता पीके सिंह थे।

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पीके सिंह परियोजना का मानचित्र लेकर उनके सामने खड़े रहे। उनसे जब डीपीआर के बारे में पूछा गया तो पीके सिंह के पास कोई भी जवाब नहीं था। इस दौरान न केवल सीएम योगी बल्कि उनके कैबिनेट के साथी डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा, मंत्री सुरेश खन्ना, धर्मपाल मलिक, रीता जोशी बहुगुणा भी अफसरों से सवाल पूछते रहे। धर्मपाल मलिक ने बताया कि, दो बातें मुख्य हैं कि गोमती में नालों का गिरना बंद किया जाए। ये काम मई तक पूरा होगा। दूसरा काम समय से काम पूरा किया जाए।

1090 के पास सुरम्य नजारा उसके बाद केवल बदहाली

1090 चौराहे के पास में गोमती के सामने एक पार्क बना कर माहौल तो सुरम्य कर दिया गया है मगर इसके आगे नदवा तक कहीं भी कुछ अच्छा दिखाई नहीं देता है। पिछले करीब तीन साल में कुल खर्च लगभग 1437 करोड़ में केवल डायाफ्राम दिवार बनी हुई ही नजर आती है। बाकी मिट्टी के टीले और कुड़िया घाट के पास नाला बन चुकी गोमती के नजारे हैं।

गोमती नदी में गंदगी।

तीन साल में एक नाले का बंद कर सके रास्ता

गोमती को स्वच्छ करने की इस कोशिश में लगे 1427 करोड़ रुपये में केवल एक नाला अफसर बंद कर सके। जीएच कैनाल नाले को ही अब तक ट्रीटमेंट प्लांट में ले जाया जा रहा है। बाकी 26 नाले अभी तक सीधे गोमती में ही गिर रहे हैं। जिससे गोमती में प्रदूषण दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। नदी में अब जलचरों का रहना भी मुश्किल हो चुका है। मगर नदीके किनारे को चमकाने में तो अफसर लगे रहे। मगर गोमती को प्रदूषण से मुक्ति को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया गया।

मई तक किस तरह से बंद होंगे 26 नाले

सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता पीके सिंह ने मुख्यमंत्री के सामने हामी भर तो ली है मगर मई तक किस तरह से 26 नालों का रुख बदला जाएगा। या फिर उनका ट्रीटमेंट कर के गोमती में छोड़ा जाएगा, ये एक बहुत बड़ा मुद्दा है। समय केवल अप्रैल और मई का है। अफसरों के सामने अब जवाबदेही का संकट खड़ा होगा।

सीएम के निर्देश

  1. मई तक सभी नाले जो गोमती में गिरते हैं वह बंद कर दिए जाएं।
  2. रिवरफ्रंट स्कीम का विस्तार कुड़ियाघाट और कलाकोठी तक करें।
  3. प्रोजेक्ट कास्ट को आगे कम रखा जाए। फिलहाल बहुत अधिक खर्च हुआ।
  4. नमामि गंगे परियोजना के तहत नये सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाएं।

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