मेरठ (भाषा)। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम में MST (मासिक पास योजना) में एक निजी कंपनी के कर्मचारियों द्वारा यूपी रोडवेज को करोड़ों रुपये की चपत लगाने का खुलासा हुआ है।
रोडवेज सूत्रों के अनुसार शुरुआती जांच में अकेले मेरठ क्षेत्र में इस साल जनवरी से अब तक करीब सवा करोड़ का चूना निजी कंपनी के आरोपी कर्मचारियों द्वारा लगाये जाने का मामला अब तक पकड़ में आ चुका है। MST बनाने में करोड़ों रुपये का हेरफेर मेरठ के अलावा उत्तर प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में भी हो रहा है, इस आशंका से रोडवेज के अफसर इंकार नहीं कर रहे हैं।
मेरठ के प्रबन्धक मनोज पुंडीर ने इस मामले मे रोडवेज के मुख्यालय को पत्र लिख कर मामले की जांच साइबर एक्सपर्ट से कराने का अनुरोध किया है। एमएसटी का ठेका यूपी रोडवेज ने ट्राईमैक्स कंपनी को दिया है। नियमानुसार ट्राईमैक्स कंपनी सीधे लखनऊ मुख्यालय से सभी सेंटरों पर फोकस करती है।
पुंडीर ने बताया कि वर्ष 2013-14 में रोडवेज की मेरठ क्षेत्र में औसत मासिक विक्रय 24.30 लाख रुपये रही। यही औसत वर्ष 2014-15 में 24.60 लाख मासिक था। वर्ष 2015-16 में औसत मासिक पास विक्रय घटकर 17.66 लाख रुपये रह गयी। आगामी महीनों में इस औसत में अग्रेतर गिरावट आयी, जबकि दूसरी ओर स्मार्ट कार्ड की संख्या लगातार बढ़ रही थी।
पुंडीर के अनुसार स्मार्ट कार्ड की संख्या का बढ़ता जाना और इनके निर्गमन से होने वाली आय उत्तरोत्तर घटना। यह साबित करने के लिए काफी है कि एमएसटी की आंड़ में भ्रष्टाचार का खेल कर कंपनी के कर्मचारी रोडवेज को करोड़ों की चपत लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मेरठ क्षेत्र में 600 बसों में मशीनों में आरएफआईडी कार्ड रीडरों का लम्बे समय से निष्क्रिय पड़े रहना वह ट्राईमैक्स कंपनी द्वारा इसको सुचारु करने में उदासीनता बरतना भी कंपनी कर्मचारियों की नीयत में खोट प्रदर्शित करता है।