यहां चाय के साथ मिलता है खून

Update: 2016-07-06 05:30 GMT
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लखनऊ। भले ही भारत के 25 फीसदी लोगों की मौत का कारण खून न मिलना हो लेकिन राजधानी में अगर आपको खून चाहिए तो आपको एक कैंटीन जाना पड़ेगा। इस कैंटीन में चाय का नहीं खून का गोरखधंधा होता है। आठ सौ रुपए प्रति यूनिट मिलने वाला खून आपको यहां दस हजार रुपए में आराम से मिल जाएगा।

भारतीय रेडक्रॉस सोसाइटी के आंकड़ों के अनुसार देश में हर साल चार करोड़ यूनिट ब्लड की जरूरत होती है जबकि अपलब्धता अभी केवल 80 लाख यूनिट की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक खून समय से न मिलने पर देश में 25 फीसदी लोगों की मौत हो जाती है।

राजधानी में खून के गोरखधंधे का खुलासा तब हुआ जब गाँव कनेक्शन संवाददाता केजीएमयू के पीछे शाहमीना रोड पर एक कैंटीन पर पहुंची। वैसे तो यहां लोग चाय पीने आते हैं लेकिन चाय पीने की आड़ में यहां अवैध रूप से खून को बेचने का धंधा चलता है।

जब संवाददाता को यह पता चला तो वो वहां कोल्ड्रिंक पीने के बहाने गई और फोन पर बातें करने लगी कि घर के रिश्तेदार को खून की जरूरत है लेकिन खून का इन्तजाम नहीं हो पा रहा है, उसने फोन पर ऐसे ही बताया कि घर में कोई खून देने वाला भी नहीं है। उसने फोन पर कहा कि इतने खून का इंतज़ाम हो तो बताओ, बस फिर क्या था कैंटीन के काउन्टर पर जो भैया नीली शर्ट पहने बैठे थे, उनका चेहरा चमक गया। वह समोसा तल रहे आदमी के पास गया और काना फूसी करने लगा। कुछ आपस में बात करने के बाद वह मेरे पास आया और बोला, मैडम परेशान न हो खून मिल जाएगा।

जब संवाददाता ने उससे कहा कि उसके पास डोनर नहीं है तो दुकानदार बोला कि कोई बात नहीं मैडम, बस दस हजार रुपए दे दीजिए और ब्लड यूनिट बता दीजिए, खून मिल जाएगा। कितना यूनिट चाहिए और कौन सा चाहिए, ये बता दें और आज थोड़े पैसे जमा कर दें तो कल परसों तक हम आपको खून दे देंगे।

जब संवाददाता ने पूछा कि यह खून कहां से आएगा, आप मुझे नाम पता देते तो मैं डायरेक्ट बात कर लूंगी, तो दुकानदार बोला, मैडम आपको इससे क्या मतलब। आपको खून चाहिए या नहीं। 

रिपोर्टर - दरख्शां कदीर सिद्दीकी

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