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हजार बछड़ों की मां: जर्मनी की इरीना ब्रूनिंग कैसे बन गईं सुदेवी दासी
मथुरा (उत्तर प्रदेश)। बात साल 1978 की है, जब जर्मनी की एक युवती भारत घूमने आई थी, उसके पिता भारत में जर्मनी के राजदूत थे। युवती का नाम फ्रेडरिक इरीना ब्रूनिंग था जो देश के कई हिस्सों को घूमते हुए...
Seema Sharma 28 May 2019 5:00 AM GMT
A boatman, a scientist, a journalist: Three kids grew up by the Ganga and witnessed its slow death in their lifetime. Will they see it get a new life?
As a young girl in the history-rich city of Varanasi, Kavita Shah used to reach the banks of the Ganga early morning and leap into its current, gliding in from its icy Himalayan origins. "We used...
Nidhi Jamwal 27 May 2019 2:04 PM GMT
दुर्गा: मरने के कगार पर थी, अब दुधवा की सबसे दुलारी और शरारती हाथी है
रिपोर्ट- दया सागर/ अरविंद शुक्लादुधवा ( लखीमपुर)। "जैसे हम अपने बेटे से मोहब्बत करते हैं, वैसे ही हम दुर्गा से मोहब्बत करते हैं। वह हमारे बच्चे की ही तरह है। वह जल्दी से ठीक हो जाए इसके लिए हम कई बार...
Daya Sagar 25 May 2019 12:09 PM GMT
मेरी शादी होने के बाद उन्हें लगा कि मैं गाना बंद कर दूंगी: मालिनी अवस्थी
"डेढ़-दो हफ्ते बाद मेरे पास दूरदर्शन लखनऊ से फोन आया कि हमने तो सोचा था कि अब तो शादी हो गई है, वो भी एक आईएएस ऑफिसर से, अब आप गाना बंद कर देंगी ... दूरदर्शन नेशनल कॉन्सर्ट कर रहा है, गाएंगी? मैंने...
गाँव कनेक्शन 25 May 2019 9:10 AM GMT
Cyclone Fani is gone. The reporters are gone. The politicians are gone. Odisha's disaster has just begun
Puri, Odisha Coconuts trees were flying in the air. It was eight in the morning, and totally dark. In a small first-floor room in a government building, three terrified young children clung to...
Nidhi Jamwal 24 May 2019 1:14 PM GMT
नदियों के किनारे रहने वालों का दर्द, 'जैसे आरी पेड़ को काटती है, वैसी ही शारदा हमारे गांव और घरों को काटती है...'
रिपोर्ट- अरविंद शुक्ला/दया सागरसीतापुर (उत्तर प्रदेश)।आंधी, पानी, तूफान, बाढ़ और सूखा हर साल देश को करोड़ों रुपए का नुकसान पहुंचाते हैं। सूखा पड़ता है तो लोग बूंद बूंद पानी को तरस जाते हैं। बाढ़ आती...
Arvind Shukla 22 May 2019 11:52 AM GMT
"हम घर-घर जाकर, घंटे भर टॉयलेट ढूंढते रहे…"
भाग-2 दो-दीवाने के पहले सीरीज़ की यात्रा में हमारा एक स्टॉपेज मझगवां के पहले लोखरिहा गाँव था। सतना जिले में आने वाले इस गाँव ने हमें जिस कदर टॉयलेट की अहमियत सिखाई, हम कभी नहीं भूल पाएंगे। "हम...
Jigyasa Mishra 21 May 2019 5:59 PM GMT
"गांव में तो बिटिया बस बूढ़े बच रह गए, सबरे निकल गए शहर को..."
भाग 1:"अपनी ज़िन्दगी बेहतर करने के लिए मैंने अपना घर (भोपाल) छोड़ा लेकिन बुन्देलखंड के इन गांवों में मैंने देखा कि लोगों को अपना घर इसलिए छोड़ना पड़ा क्योंकि वहां कोई रोज़गार नहीं है। अगर लोगों को अपने...
Pragya Bharti 21 May 2019 5:55 PM GMT