'ऑपरेशन ग्रीन' अगले माह से शुरू, क्या अब फल और सब्जियों को फेंकने की नहीं आएगी नौबत ?

Chandrakant Mishra | Jun 13, 2018, 05:23 IST
विश्व में फल-सब्जी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक भारत हर साल 13,300 करोड़ रुपये के ताजा उत्पाद बर्बाद कर देता है क्योंकि देश में पर्यात कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं और रेफ्रिजरेट वाली परिवहन सुविधाओं का अभाव है। इसी बर्बादी को रोकने के लिए केंद्र ने 'आपरेशन ग्रीन योजना' शुरू की है। इसके तहत आलू, प्याज और टमाटर को संरक्षित किया जाएगा। लेकिन सवाल यह है क्या ऑपरेशन ग्रीन के शुरू होन से फलों और सब्जियों की बर्बादी रुक जाएगी
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लखनऊ। भारत फलों और सब्जियों का दूसरे सबसे बड़ा उत्पादक देश है, बावजूद इसके देश में कोल्ड स्टोर और प्रसंस्करण संबंधी आधारभूत संसाधनों के अभाव में हर साल दो लाख करोड़ रुपये से अधिक की फल और सब्जियां नष्ट हो जाती हैं। इसमें सबसे ज्यादा बर्बादी आलू, टमाटर और प्याज की होती है। इसी बर्बादी को रोकने के लिए केंद्र ने 'आपरेशन ग्रीन योजना' शुरू की है। इसके तहत आलू, प्याज और टमाटर को संरक्षित किया जाएगा। लेकिन सवाल यह है क्या ऑपरेशन ग्रीन के शुरू होन से फलों और सब्जियों की बर्बादी रुक जाएगी, क्योंकि भारत में फल और सब्जी उत्पादन की तुलना में कोल्ड स्टोर और प्रोसेसिंग यूनिट की संख्या बहुत कम है। सरकार ने 2018 के बजट में ऑपरेशन ग्रीन के तहत 500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। इतनी रकम में बनने वाले कोल्ड स्टोर, क्लस्टर, प्रोसेसिंग यूनिट शायद नाकाफी होंगे।

देश में हर साल इतनी सब्जियां, अनाज होता है बर्बाद, जितना एक साल तक बिहार के लिए काफी

विश्व में फल-सब्जी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक भारत हर साल 13,300 करोड़ रुपये के ताजा उत्पाद बर्बाद कर देता है क्योंकि देश में पर्यात कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं और रेफ्रिजरेट वाली परिवहन सुविधाओं का अभाव है। इमर्सन क्लाइमेट टेक्नोलाजीज इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में सालाना 44,000 करोड़ रुपये के फल-सब्जी और अनाज बर्बाद हो जाते हैं। यह एजेंसी अमेरिका की विनिर्माण व प्रौद्योगिकी कंपनी इमर्सन की शाखा है। रिपोर्ट में कहा गया कि खाद्य वस्तुओं को होने वाले नुकसान में सबसे बड़ा योगदान रेफ्रिजरेटर वाली परिवहन सुविधा और उच्च गुणवत्ता वाली कोल्ड स्टोरेज सुविधा का अभाव का है। भारत में फिलहाल 6,300 कोल्ड स्टोरेज हैं जिसकी क्षमता 3.01 करोड़ टन है। रिपोर्ट में कहा गया कि यह देश के लिए आवश्यक कुल कोल्ड स्टोरेज की क्षमता के आधे के बराबर है। देश में सभी खाद्य उत्पादों के लिए कोल्ड स्टोरेज क्षमता 6.1 करोड़ टन से अधिक होनी चाहिए।

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22 लाख टन टमाटर बाजार पहुंचने से पहले हो जाता है बर्बाद

भारत में हर साल करीब 16.2 करोड़ टन सब्जियों और 8.1 करोड़ टन फलों का उत्पादन होता है। सीफैट की रिपोर्ट के अनुसार, हर साल इनमें करीब 20 से 22 फीसदी तक फल और सब्जियां कोल्ड स्टोरेज और प्रसंस्करण के अभाव में खराब हो जाते हैं। ऐसे में हर साल करीब 20 हजार करोड़ रुपए की फल-सब्जियां बर्बाद हो जाती हैं। देशभर में फल-सब्जियों के भंडारण के लिए जितने कोल्ड स्टोरेज हैं, लगभग उतने ही और चाहिए। देशभर में हालिया समय में 6500 कोल्ड स्टोरेज हैं, जिनकी भंडारण क्षमता 3.1 करोड़ टन है। रिपोर्ट में कोल्ड स्टोरेज की स्थिति पर गौर किया गया, जिसमें सामने आया कि देश में लगभग 6.1 करोड़ टन कोल्ड स्टोरेज की जरुरत है, ताकि बड़ी संख्या में फल, अनाज के साथ खाद्यान्न खराब न हो। सीफैट की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि देशभर में हर साल कोल्ड स्टोरेज के अभाव में 10 लाख टन प्याज बाजार में नहीं पहुंच पाती है। सिर्फ इतना ही नहीं, 22 लाख टन टमाटर भी अलग-अलग कारणों से बाजार में पहुंचने से पहले ही बर्बाद हो जाता है। इसके अलावा रिपोर्ट में खाद्य प्रसंस्करण का उपयोग न किए जाने को भी बड़ा कारण माना गया है। ऐसे में भारत में कृषि उत्पादों की एक बड़ी मात्रा खाने की थाली तक पहुंचने से पहले ही बर्बाद हो जाती है।

कोल्ड स्टोरेज न होने से बर्बाद होती हैं 40 प्रतिशत सब्जियां

2021 तक फल-सब्जियों का उत्पादन 37.7 करोड़ टन को पार कर सकता है

एसोचैम के अध्यन में 'हॉर्टिकल्चर सेक्टर इन इंडिया-स्टेट लेवल एक्सपीरियंस' में इस बात को भी अहमियत दी गई है कि होलसेल मार्केट में लगभग 22 फीसदी फल-सब्जियां आती हैं। जिन राज्यों में तुड़ाई के बाद फलों और सब्जियों का सबसे ज्यादा नुकसान होता है, उनमें पश्चिम बंगाल (13,657 करोड़), गुजरात (11400 करोड़), बिहार (10,700 करोड़) और उत्तर प्रदेश (10,300 करोड़) शामिल हैं। स्टडी के मुताबिक, 'तुड़ाई के बाद फलों और सब्जियों की बर्बादी रोकने में स्थानीय और क्षेत्रीय बाजार में कोल्ड स्टोरेज क्षमता बढ़ाने से मदद मिल सकती है। इसमें होलसेल मार्केट विकसित का अहम रोल हो सकता है। इससे बाजार में ज्यादा माल आ सकेगा।' अध्यन में यह भी कहा गया है कि 2021 तक फल-सब्जियों का उत्पादन 37.7 करोड़ टन को पार कर सकता है।



भारत के पास करीब 6,300 शीत भंडार गृह की सुविधा

एक अध्ययन के अनुसार दुनिया में भारत के सबसे बड़े दूध उत्पादक होने तथा फलों एवं सब्जियों के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक देश होने के बावजूद यहां कुल उत्पादन का करीब 40 से 50 प्रतिशत हिस्सा उचित संरक्षण के अभाव में बर्बाद हो जाता है। उद्योग मंडल एसोचेम के एक अध्ययन में यह बात निकल कर सामने आई है कि, भारत के पास करीब 6,300 शीत भंडार गृह की सुविधा मौजूद है, जिसकी कुल भंडारण क्षमता तीन करोड़ 1.1 लाख टन की है। इन स्थानों पर देश के कुल जल्दी खराब होने वाले कृषि उत्पादों के करीब 11 प्रतिशत भाग का भंडारण कर पाता है। अध्ययन में कहा गया है कि इन भंडारण क्षमता का फीसदी भाग उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात और पंजाब में फैला है। अध्ययन में अनुमान जताया गया है कि वर्ष 2016 में भारत में शीत भंडारण बाजार का मूल्य 167.24 अरब डॉलर का आंका गया था और इसके वर्ष 2020 तक 234.49 अरब डॉलर हो जाने का अनुमान जताया गया है। पिछले कुछ वर्षों में शीत भंडार श्रृंखला का बाजार निरंतर बढ़ा है और यह रुख वर्ष 2020 तक जारी रहने की उम्मीद है।

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फेडरेशन ऑफ कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया (यूपी) के अध्यक्ष महेंद्र स्वरूप बताते हैं, '' देश में कोल्ड सप्लाई चेन की हालत बहुत खराब है। हमारे देश में कई किस्मों के फलों और सब्जियों की खेती होती है, लेकिन यहां आज तक किसी भी सरकार ने फलों के संरक्षण व बड़ी मात्रा फलों के भंडारण पर ज़ोर नहीं दिया। यूपी की बात करें तो यहां कुल 1800 कोल्ड स्टोरज हैं। इनमें से 25 निजी कोल्ड स्टोर हैं।" महेंद्र स्वरूप ने बताया, " सरकार अगर देश में जगह आलू की प्रोसेसिंग यूनिट लगा देत तो आलू के खराब होने का आंकड़ा कम हो जाएगा। हमारे देश में कोल्ड स्टोरेज की संख्या बहुत कम है तुलना में सब्जी और फलों के उत्पादन में। ऐसे में सरकार की आपरेश ग्रीन योजना किसानों की आय बढ़ाने के साथ फलों एवं सब्जियों की बर्बादी को काफी हद तक कम करेगी।

यूपी में हर साल बर्बाद होती हैं 20 फीसदी हरी सब्जियां

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खाद्य एवं निवेश नीति विश्लेषक देविंदर शर्मा का कहना है, " राज्य सरकारें जल्द खराब होने वाले कृषि उत्पादों जैसे टमाटर, प्याज, आलू और दूसरी सब्जियों के लिए भी एमएसपी तय करने पर काम करें। कुछ राज्यों में पहले से राज्य कृषक आयोग हैं लेकिन वे राजनीतिक आकांक्षाओं वाले लोगों के वेटिंग रूम बन गए हैं। अब जरूरत है कि जल्द से जल्द इन्हें राज्य कृषि मूल्य आयोग में बदल दिया जाए। इन आयोगों का स्पष्ट लक्ष्य हो किसानों को अच्छी आमदनी मुहैया कराना, जैसा कि कर्नाटक में किया जा रहा है। अगर कर्नाटक 14 फसलों को केंद्र द्वारा तय एमएसपी से ऊंची कीमत दिला सकता है तो बाकी राज्य ऐसा क्यों नहीं कर सकते। इन राज्यों को बीजेपी-कांग्रेस के झगड़े से ऊपर उठना होगा।"

मध्य प्रदेश के रहने वाले किसान नेता भगवानदीन मीना का कहना है," किसानों की आय बढ़ाने और सब्जियों व फलों के संरक्षण के लिए केंद्र सरकार की 'ऑपरेशन ग्रीन' योजना सही प्रयास है। लेकिन इससे पहले सरकार को सब्जियों और फलों का न्युनतम समर्थन मूल्य तय करना चाहिए, जिससे किसानों को इसका सीधा लाभ मिल सके।"

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लखनऊ के माल ब्लाक के गाँव कसमंडी निवासी किसान झूरी (60वर्ष) का कहना है," सरकार कुछ भी कर ले हम किसानों को फायदा नहीं मिलेगा। गर्मी के मौसम में हमारी सब्जियां जल्दी खराब हो जाती हैं, इसलिए मंडी में औने-पौने दाम ही उन्हें बेचना पड़ता है। अगर मंडी या कुछ गाँवों में बीच में कोल्ड स्टोर बन जाए तो शायद किसानों को कुछ लाभ मिलेगा।"

गोरखपुर के युवा किसान अजय कुमार (30वर्ष) का कहना है, " सब्जियां और फल जल्दी खराब हो जाते हैं। खेत से तोड़ने के बाद अगर विलंब हुआ तो वे खराब होने लगती हैं। ऐसे में हम लोग कई बार कम दाम में इन्हें बेचने को मजबूर होते हैं। अगर इनके संरक्षण की व्यवस्था हो जाए तो शायद कुछ दिन तक हम इन्हें सड़ने से बचा सकते हैं और किसान सब्जी और फल सड़क पर नहीं फेंकेगा।"

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दिल्ली के आजादपुर सब्जी मंडी के अध्यक्ष राजेंद्र कुमार का कहना है," 'ऑपरेशन ग्रीन' से किसानों को कुछ तो फायदा जरूर मिलेगा। पहले की तुलना में अब सब्जियां और फल कम बर्बाद होते हैं, क्योंकि अब हर जगह अच्छी सड़कें बन गई हैं। किसान के खेत से उपभोक्ता के घर तक माल के पहुंचने का समय कम हो गया है, जिससे इनके खराब होने की प्रतिशत संख्या कम होता जा रहा है।"

पंजाब के रहने वाले किसान कैलाश कुमार (50वर्ष) का कहना है, " जब तक देश में सब्जी और फलों का समर्थन मूल्य तय नहीं किया जाएगा तब तक किसानों को कुछ फायदा नहीं होने वाला है। सरकार बस टमाटर, आलू और प्याज के लिए 'ऑपरेशन ग्रीन' योजना शुरू कर रही है, जबकि इस योजना की जरुरत अन्य और फलों के लिए भी शुरू होनी चहिए।"

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प्रधानमंत्री की 'टॉप' प्राथमिकता में किसान

टमाटर, आलू और प्याज ये तीनों सब्जियां ऐसी हैं, जिनके दाम सालभर ऊपर-नीचे होते रहते हैं, और किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। कई बार इनके चक्कर में सरकार की स्थिति खराब हो जाती है। इस वर्ष के आम बजट में भी मोदी सरकार ने टमाटर, आलू और प्याज की खेती की बढ़ावा देने और इनके दामों पर नियंत्रण के लिए 'ऑपरेशन ग्रीन' नाम से योजना शुरू करने का ऐलान किया है। ऑपरेशन ग्रीन के लिए 500 करोड़ का फंड भी आवंटित किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विगत दिनों बैंगलुरु में एक रैली में किसानों के लिए 'TOP' प्राथमिकताओं को परिभाषित किया था। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'T' से मतलब टोमैटो यानी टमाटर, 'O' का मतलब अनियन यानी प्याज और 'P' का मतलब पोटैटो यानी आलू है। प्रधानमंत्री मोदी ने इसके माध्यम से किसानों को प्रमुखता देने की बात कही। पीएम मोदी ने कहा था, फल और सब्जी उगाने वाले किसान उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता हैं।

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बजट में ''आपरेशन ग्रीन'' के तहत 500 करोड़ का प्रावधान

केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने वर्ष 2018-2019 के केंद्रीय बजट पेश होने के बाद कहा था, ऑपरेशन ग्रीन के तहत 22000 हाट विकसित की जाएंगी। अब कृषि विपणन क्षेत्र का विस्तार किया जायेगा और इससे ग्रामीण मंडियों को जोड़ा जायेगा। इस प्रस्ताव के तहत सभी 22000 हाट को संगठित खुदरा कृषि मंडियों में विकसित किया जाएगा जहां किसानों को छोटे-छोटे स्थान उपलब्ध कराये जाएंगे। कृषि मंत्री ने कहा कि आलू, प्याज, टमाटर जैसे उत्पाद एवं उनकी कीमतें कई बार चर्चा का विषय बन जाती हैं। इस बजट में किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए आलू, प्याज एवं टमाटर के लिए एक विशेष पैकेज की घोषणा की गई है। इसके लिए ''आपरेशन ग्रीन'' के तहत 500 करोड़ का बजटीय प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही सरकार देश भर में करीब 42 मेगा फूड पार्क बनाने की तैयारी में है। जुलाई माह से ऑपरेशन ग्रीन शुरू की शुरुआत की जाएगी। आलू उत्पादक राज्य यूपी, पश्चिम बंगाल और पंजाब के चुनिंदा क्षेत्रों में क्लस्टर बनाए जाने की योजना है। इसके साथ ही प्याज की सघन खेती वाले क्षेत्रों को चुना जाएगा। क्लस्टर चिन्हित करने के बाद वहां भंडारण, ग्रेडिंग व पैकेजिंग के साथ आधुनिक गोदाम, कोल्ड चेन, प्रोसेसिंग उद्योग लगाने और खपत वाले क्षेत्रों तक उपज को पहुंचाने का बंदोबस्त किया जाएगा।

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