19 साल की लड़की को क्यों बनानी पड़ी अपनी सेना?

Update: 2016-05-15 05:30 GMT
गाँव कनेक्शन

लखीमपुर खीरी। मोहल्ले की गरीब महिलाओं के राशन कार्ड नहीं बन रहे थे और अधिकारी सुनवाई नहीं कर रहे थे, तो 19 साल की लड़की ने महिलाओं का संगठन बनाकर लड़ाई छेड़ दी। आसमानी रंग की साड़ी और इसी रंग का सूट पहनने के कारण इन्हें लोग ‘आसमानी सेना’ कहने लगे हैं। इनकी दहशत अभी से भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों में दिखने लगी है।

लखनऊ से करीब 175 किलोमीटर दूर लखीमपुर खीरी जिले के खीरी कस्बे में रहने वाली गुड्डी (45 वर्ष) दूसरे के खेतों में काम करती हैं। दो बेटियों की मां गुड्डी की मुश्किल से 100 रुपये दिन भर में कमा पाती हैं, लेकिन आज तक उनका राशन कार्ड नहीं बन सका। मायूस गुड्डी एक दिन कस्बे के महिला संगठन से मिलीं तो अगले हफ्ते उनका कार्ड बन गया।

यह संगठन अब तक 200 से ज्यादा महिलाओं के राशनकार्ड बनवा चुका है, जबकि अन्य सैकड़ों महिलाओं की सरकारी अमले से जुड़ी समस्याएं दूर की हैं।‘गरीब परिवार सेवा समिति’ के नाम से रजिस्टर्ड इस समूह की मुखिया निधि मिश्रा (19 वर्ष) बीए की छात्रा हैं। वो बताती हैं, “मेरे मोहल्ले में कई महिलाएं ऐसी थीं जिनके पास राशन कार्ड नहीं थे। न पार्षद सुन रहे थे और न चेरयमैन। अधिकारी भी बात करने को तैयार नहीं थे। मैने सोचा क्यों न एक साथ मिलकर इऩकी आवाज उठाई जाए। इसलिए नए साल में 13 महिलाओं के साथ यह समिति बनाई, हम लोग एक साथ लगे, इसलिए आसमानी साड़ी को ड्रेस बनाया।” वो आगे बताती हैं, “एक-दो काम हुए तो महिलाओं की संख्या बढ़ गई। आज 300 से ज्यादा महिलाएं जुड़ी हैं। 200 के राशनकार्ड बन चुके हैं।   

बुंदेलखंड के चर्चित गुलाबी गैंग की तरह काम करने वाली इन महिलाओं को आसमानी सेना का नाम इलाके के लोगों ने ही दिया है। ये संगठन अब कोटेदारों पर हल्ला बोलता है। प्रधानों से राशनकार्ड बनावाता है, उदासीन अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोलता है। सेना की मोहल्ला प्रमुख तो हैं ही इसकी एक लड़ाकू बिग्रेड भी है। निधि बताती हैं, “किसी महिला को दिक्कत होती है तो हम लोग एक साथ पहुंच जाते हैं। घूसखोरी बड़ी समस्या हैं। भ्रष्टाचार मुक्त समाज ही हमारा उद्देश्य है।”

लड़ाकू बिग्रेड के बारे में निधि बताती हैं, “लड़ाकू बिग्रेड में मुझे मिलाकार 19 महिलाओं का एक समूह है, जो आसमानी और कालेरंग का सूट पहनता है, से समूह धरना-प्रदर्शन के दौरान महिलाओं की सुरक्षा और दूसरे प्रबंध करता है।”समूह मे काम करने वाली ज्यादातर महिलाएं पिछड़े वर्ग और गरीब तबके की हैं। तबेला मोहल्ले की रुखसाना समेत 32 लोगों ने एक फर्जी कंपनी में 15-15 सौ रुपये जमा किए थे, लेकिन मुनाफा तो दूर कंपनी भाग गई। रुखसाना अब आसमानी सेना की सदस्य हैं। भट्टे पर काम करने वाली जलीलुन और जमीलुन भी संगठन में शामिल हो गई हैं। संगठन की बदौलत 16 साल बाद राशन कार्ड पाने वाली फूलमती काफी खुश हैं। वो अब दूसरे लोगों की आवाज उठा रही हैं। निधि बताती हैं, “हम लोग किसी के व्यक्तिगत विवाद में नहीं पड़ना चाहते। गरीबों की सुनवाई हो उनकी समस्याएं सुलझें और घूस न देनी पड़े, बस यही उद्देश्य है। कई दूसरे इलाकों की महिलाएं भी समिति से जुड़ना चाहती हैं, लेकिन हमारे पास संसाधन नहीं हैं, कुछ इंतजाम होगा तो पूरे जिले में काम करेंगे।”

रिपोर्टर - अरविंद शुक्ला/प्रतीक श्रीवास्तव

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