लखनऊ। अपने देश में एक ऐसा गाँव है, जहां घर तो बने हैं, लेकिन इन घरों में रहने वाला कोई भी नहीं है। एक समय में इस गाँव में रहने वाले लोग काफी धनवान हुआ करते थे। मगर एक दिन यह गाँव रातों-रात वीरान हो गया। अब इस गाँव में कोई नहीं रहता है। जानते हैं यह गाँव कहां है? यह गाँव है राजस्थान के जैसलमेर शहर से 14 किलोमीटर दूर कुलधरा गाँव। आइये आपको बताते हैं कि आखिर यह कुलधरा गांव रातों-रात क्यों वीरान हो गया।
तब खंडहर नहीं था कुलधरा गाँव
असल में लगभग 200 साल पहले कुलधरा गाँव एक संपन्न गाँव था। तब यह खंडहर नहीं था, बल्कि इस गाँव के आस-पास के 84 गांव पालीवाल ब्राह्मणों से आबाद हुए करते थे। इतिहासकारों की मानें तो इस गाँव की रियासत का एक दीवान था, जिसका नाम सालिम सिंह था। सालिम सिंह को गाँव के मुखिया की लड़की से प्रेम हो गया और सालिम उस लड़की से शादी करना चाहता था। मगर मुखिया ने दीवान से अपनी बेटी के साथ शादी करने से इंकार कर दिया। इसके बाद दीवान ने विरोध में भारी कर लगाने की धमकी गाँव वालों को दी।
रक्षाबंधन के दिन छोड़ गये गाँव
पालीवाल ब्राह्मणों ने अपनी मान-मर्यादा और आत्मसम्मान को महत्व देते हुए रक्षाबंधन के दिन गांव छोड़ कर जाने का फैसला किया। इसमें सिर्फ कुलधरा गाँव ही नहीं, बल्कि खाबा, खाबिया, काठोरी, आबुर, आसवा समेत आस-पास के 84 गाँवों के लोगों ने भी साथ देते हुए रातों-रात गाँव को खाली कर दिया और जैसलमेर के आस-पास दूसरी रियासतों में चले गये। इसी कारण पालीवाल ब्राह्मण आज भी रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाते हैं।
सबसे समृद्ध गाँव था कुलधरा
कुलधरा गाँव आस-पास के सभी 84 गाँवों में सबसे समृद्ध गाँव था। ऐसा इसलिए क्योंकि इस गाँव के लोग रेगिस्तान में अच्छी फसल पैदा करने की तकनीक जानते थे। आस-पास के कई गाँवों में आज भी मकान खाली पड़े हैं और अब खंडहर में तब्दील हो चुके हैं।
इस गाँव को देखने के लिए खूब आते हैं पर्यटक
आज वीरान पड़े इस कुलधरा गाँव को देखने के लिए सैकड़ों पर्यटक आते हैं। यह गाँव सिर्फ देश में ही नहीं, बल्कि विदेश में भी प्रसिद्ध है। कई फिल्मों में इस गाँव के दृश्य फिल्माए गये हैं। जैसलमेर में आने वाले कई पर्यटक इस गाँव को देखने के लिए जरूर आते हैं। साथ ही विदेश सैलानी भी इस गांव को देखने के लिए पहुंचते हैं।