लोकतंत्र में बहस का बहुत ज़रूरी स्थान है। बहस होनी चाहिए, अभिव्यक्ति हमारे विचारों को और परिपक्व और बेहतर बनाती है लेकिन बीते कुछ वक्त से एक नई परंपरा शुरु हो गई है। हर बहस दो खेमों में बांट कर हो रही है, एक देशद्रोही और दूसरे में देशभक्ति। जेएनयू में जब कन्हैय्या की आवाज़ को भी देशद्रोह कहा गया। कुछ लोग समर्थन में आए कुछ विरोध में। उस मामले में अब जब कोर्ट ने कन्हैय्या पर लगे देशद्रोह के आरोप को गलत मान लिया है तो दोनों खेमों के बीच फिर से ज़ुबानी जंग शुरु हो गई है।
ट्वीटर पर वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने लिखा -
राजदीप सरदेसाई का ट्वीट
राजदीप ने अपने ट्वीट में कहा कि जब कनहैय्या के खिलाफ दर्ज किया गया राष्ट्रदोह का मामला खारिज हो गया है तो क्या किसी में इतनी हिम्मत है कि वो उनसे माफी मांगे? इस ट्वीट पर लगातार रिएकशन आने लगे। करीब 1812 लोगों ने इसे रिट्वीट भी किया। राजदीप के इस ट्वीट का जवाब ट्वीटर पर एक्टिव रहने वाले अभिनेता अनुपम खेर ने दिया। उन्होंने लिखा
अनुपम खेर का ट्वीट
अनुपम खेर ने जवाब देते हुए कहा कि जितनी बार आपकी पत्रकारिता गलत साबित हुई है आपको देशभक्त लोगों से माफी मांगने के लिए पूरी ज़िंदगी लग जाएगी। अनुपम खेर अपने चिरपरिचित अंदाज़ में थे। सरकार के खिलाफ उठने वाली हर आवाज़ का जवाब देने वाले अनुपम खेर ने इस बार भी तीखा हमला किया।
ग़ौरतलब है कि अनुपम खेर ने गुरमहेर मामले में कुछ लोगों की प्रतिक्रयाओं के जवाब में ये भी लिखा था कि ऐसा लग रहा है जैसे ‘अवॉर्ड वापसी गैंग’ लौट आया है।
अनुपम खेर का ट्वीट
तो ज़बानी जंग जारी है। जैसे-जैसे वक्त गुज़र रहा है दोनों खेमों में बटे हुए लोग एक दूसरे से माफी मांगने की बात कर रहे हैं। कौन सही है कौन गलत ये फैसला आप कीजिए, हम तो सिर्फ ये कह सकते हैं कि विरोध हो या समर्थन, दायरा अनुशासन के दायरे में होना चाहिए।