ग्लोबल कनेक्शन: बिचौलियों और जंगल की कटाई पर हवाई नज़र

Update: 2016-10-24 12:24 GMT
प्रतीकात्मक फोटो

वनों में रहने वाले स्थानीय वनवासियों के जीवन-यापन का सीधा संबंध उनके आस-पास की वनसंपदा से रहा है। अपनी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए वनों पर आश्रित रहने वाले इन लोगों के पास सीमित संसाधन हैं, जिनकी मदद से ये प्रकृति से अपना सीधा संबंध बनाए हुए हैं। पिछले कई दशकों में विकास और शहरीकरण ने काफी हद तक जंगलों को तबाह किया है। विकास की दौड़ ने जंगलों का सफाया कर दिया और वनों में रहने वाले लोगों को समय-समय पर विस्थापित होने पर मजबूर भी किया जाता रहा है। ज़मीन और वन संपदा की बढ़ती मांग ने सम्पूर्ण अमेरिका के स्थानीय वनवासियों की हालत बिगाड़ के रख दी है।

शहरी लोगों ने अतिक्रमण करना शुरू कर दिया

शहरी लोगों और वनों की अंधाधुंध कटाई में लिप्त दलालों इमारती और जलाऊ लकड़ियों के लिए यहां के पनामा जैसे वन क्षेत्रों का बेजा दोहन किया है। अमेरिका के पनामा में बहुत बड़े वन विस्तारों में सदियों से रहने वाले स्थानीय लोगों को इस बात की जानकारी भी नहीं मिल पा रही थी कि जंगलों में इनके घरों से कई किलोमीटर दूर वनों की अंधाधुंध कटाई जारी है, शहरी लोगों ने अतिक्रमण भी करना शुरु कर दिया है। पैदल चलकर पूरे वनों का दौरा करना वनवासी समुदाय के लोगों के लिए असंभव था लेकिन नई टेक्नोलॉजी की मदद से आज स्थानीय वनवासी समुदाय काफी सचेत हो चुका है और बड़े पैमाने पर जमीनों के कब्जे, जंगलों की कटाई और शहरी लोगों की गैरकानूनी घुसपैठ पर काबू पाया जा सका है।

ड्रोन की मदद से उठाया रक्षा का बीड़ा

तुशेव्स एरियल्स और रैन फॉरेस्ट फाउण्डेशन की टीम

मानव रहित यान यानी ड्रोन की मदद से पनामा के अनेक इलाकों के स्थानीय वनवासियों ने जंगलों और वनसंपदाओं की रक्षा करने का नया बीड़ा उठाया है। आईसीटी (इंफोर्मेशन एंड कम्यूनिकेशन्स टेक्नोलॉजी) अपडेट में प्रकाशित एक रपट में बाकायदा ड्रोन के इस्तेमाल के बाद आए बड़े बदलाव का पूरा ब्यौरा भी प्रकाशित किया गया है। ड्रोन की मदद से एक बहुत बड़े इलाके की तस्वीरें ली गईं, किसी भी तरह के गैरकानूनी कब्जों, कटाई आदि की तस्वीर बतौर सबूत ड्रोन की मदद से एकत्र किए गए। अब तो पनामा के स्थानीय वनवासी तो बाकायदा ड्रोन की मदद से रैनफॉरेस्ट्स को बचाने की मुहिम भी जारी रखे हुए हैं और हालात तो कुछ ऐसे हैं कि पनामा के करीब 70% रैनफॉरेस्ट की देखरेख का सारा जिम्मा स्थानीय वनवासियों के पास ही है।

आज ठोस कदम नहीं उठाये तो...

स्थानीय वनवासी मानते हैं कि आज जंगलों को बचाने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए तो कल उनकी पीढ़ी बहुत कुछ खो चुकी होगी। इन लोगों ने ये बखूबी समझ लिया है कि बाहरी लोग जब-जब इन इलाकों में आएंगे, उनकी सोच वनसंपदा से तगड़ी रकम कमाने की होगी और ऐसा करने के लिए वे जंगलों को काटेंगे या यहां चारागाह बना देंगें।

अपने जंगलों पर बनाए हुए हैं हवाई नजर

स्थानीय समुदाय को ड्रोन संचालन के बारे में जानकारी देते हुए एक्सपर्ट्स 

रैनफॉरेस्ट फाउंडेशन और तुशेव्स एरियल्स की मदद से सन 2015 से स्थानीय लोग ड्रोन की मदद से अपने जंगलों पर हवाई नज़र बनाए हुए हैं। तुशेव्स एरियल्स मानवरहित यानों को बनाने वाली एक छोटी संस्था है जो ना सिर्फ आवश्यकतानुसार ड्रोन्स के डिजाइन तैयार करती है, बल्कि ड्रोन बनाने के बाद इन्हें संचालित करने वाले लोगों को बाकायदा ट्रेनिंग भी दे रही है। ड्रोन से खींची तस्वीरों को थ्री-डी मॉडल्स के जरिये देखने, इन्हें कंप्यूटर में डाउनलोड करने और प्राप्त तस्वीरों को देख आकलन करने की पूरी समझ बनने तक की एक-एक प्रक्रिया की ट्रेनिंग को इस संस्था द्वारा बड़ी जिम्मेदारी से अंजाम दिया जाता है।

जो आंकड़े एकत्र हुए

पनामा और आस-पास के इलाकों में ड्रोन की मदद से जो तस्वीरें और आंकड़े मिले हैं, उनकी मदद से जंगलों की अंधाधुंध कटाई, बाहरी लोगों के द्वारा जमीन पर गैरकानूनी कब्जों और क्रिया कलापों की सारी जानकारी एकत्र कर बाकायदा प्रशासन को सूचित किया गया और इस पर त्वरित कार्यवाही भी हुई। पनामा के डेरियन क्षेत्र में स्थानीय वनवासियों और ड्रोन जैसी टेक्नोलॉजी की मदद से जंगलों में गैरकानूनी गतिविधियों पर काफी हद तक विराम लग चुका है।

एम्बेरा लोगों ने किया कमाल


खींची गयी तस्वीर की जियो-टैगिंग, कंप्यूटर पर

ड्रोन की मदद से पनामा के डेरियन क्षेत्र में एम्बेरा लोगों ने जो कमाल किया, वो भी बेहद रोचक है। इन लोगों ने ड्रोन को हवा में भेजकर अपने इलाके की तस्वीरें कैद की और पाया कि करीब 200 हेक्टेयर जमीन पर बाहरी लोगों ने कब्जा जमाए हुए हैं जबकि एम्बेरा समुदाय के प्रमुख और बुजुर्गों को पहले ये अंदाज़ा था कि सिर्फ 50 हेक्टेयर जमीन पर ही शायद बाहरी लोगों ने कब्जा जमाए हुए हैं। ये कब्जे वनों की बीच बसे गाँवों से कई किलोमीटर दूरी पर किए गए थे और इतनी दूरी तक स्थानीय वनवासियों की तरफ से वनों की देखरेख कर पाना कठिन था। वनवासी कई बार कब्जेधारी लोगों से भिड़ भी जाते लेकिन वे लोग हथियारबंद और अपराधिक प्रवृत्ति के थे, ऐसे में किसी भी तरह की अप्रिय घटना होने की पूरी संभावना हो सकती थी। ड्रोन की मदद से प्राप्त तस्वीरों को सरकारी एजेंसियों को दिखाया गया और फिर भूमि पर अनाधिकृत कब्जे को हटाने की कवायद शुरु हुई।

ड्रोन से गैर कानूनी गतिविधियों में कमी

अब स्थानीय लोग ड्रोन से अलग-अलग जगहों से तस्वीरों को एकत्र कर त्वरित कार्यवाही के लिए सरकारी एजेन्सियों को भेज देते हैं, सरकार के अधिकारी तस्वीरों के जरिये समस्या की जटिलता के आधार पर कार्यवाही करते हैं। जिन इलाकों में गैर कानूनी गतिविधियां ज्यादा हो रही हो वहां सबसे पहले कार्यवाही की जाती है। डियाग्रासियो पूचीकामा, जो एक एनवायरन्मेंट एक्टिस्ट हैं, को अक्सर बिचौलियों, कब्जाधारियों और बड़े व्यवसायियों की तरफ से धमकियां मिलती रहीं लेकिन इन्होनें पनामा के अनेक इलाकों में ड्रोन की मदद से खींची फोटोस की जिओ-रिफेरेसिंग यानी एक-एक जगह की बाकायदा पहचान करी और इन्हें पर्यावरण प्राधिकरण के अधिकारियों तक पहुंचाई और बाद में पर्यावरण मंत्रालय ने अनाधिकृत कब्जे और जंगलों की कटाई करने वालों के लिए कठोर कानून बना दिए और तुरंत कार्यवाही की। कुल मिलाकर प्रशासन पूरी तरह से हरकत में आ गया। डियाग्रासिया बताते हैं कि वे पिछले 5 सालों से जंगलों में गैरकानूनन कब्जे और जंगल की कटाई को लेकर प्रशासन को खबर करते रहे लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई लेकिन जब से इनके पास ड्रोन आया है और इन्होनें ड्रोन से खींची तस्वीरों को उच्च विभागों तक भेजना शुरु किया है, तब से प्रशासन पूरी तरह से इस क्षेत्र में सक्रिय हो चुका है। इलाके के 70% से ज्यादा अवैध कब्जे को हटा दिया गया है और जंगल कटाई पर काफी हद तक लगाम लग चुकी है।

खेती किसानी के उदाहरण पेश कर रहा ड्रोन

ड्रोन से खींचा गया पनामा के जंगल का 3D फोटो

पनामा का यह उदाहरण ये जरूर बताता है कि मानवरहित यान की मदद से किस तरह स्थानीय समुदाय अपनी वनसंपदा की देखरेख कर सकते हैं। ड्रोन बनाने वाली संस्था तुशेव्स एरियल्स की सह-संचालिका, नीना कांतचेवा तुशेव, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यू एन डी पी) की उस समिति की सलाहकार भी हैं जो स्थानीय वनवासियों के अधिकारों पर निगरानी रखती है। गाँव कनेक्शन से बात करते हुए उन्होंने बताया कि इस तरह के प्रयोगों को भारत में आजमाया जा सकता है और ड्रोन की मदद से अनेक इलाकों में हवाई नज़र रखकर काफी हद तक जंगलों की अंधाधुंध कटाई, स्थानीय लोगों के विस्थापन या बाहरी लोगों के प्रवेश और अवैध गतिविधियों पर पैनी नज़र रखी जा सकती है। ड्रोन का इस्तेमाल खेती-किसानी के लिए भी नए उदाहरण प्रस्तुत कर सकता है। डियाग्रासियों की तरह क्या हमारे देश में भी कोई एक्टिविस्ट ड्रोन तकनीक के सहारे सुदूर इलाकों में हो रहे वनविनाश को रोकने की शुरुआत करेगा? पनामा से आ रही ये खबर हम सब के लिए भी काफी उत्साहित करने वाली खबर है।

(लेखक गाँव कनेक्शन के कन्सल्टिंग एडिटर हैं।)

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