#इंदौर-पटना ट्रेन हादसा: ख़ौफज़दा यात्रियों की मदद में जुट गए ग्रामीण  

Update: 2016-11-21 18:27 GMT
सबसे पहले मदद करने पहुंचे ग्रामीण। 

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

दलेल नगर (पुखरायां)। रविवार सुबह जब शोभा पटेल पांच बजे मॉर्निंग वाक के लिए निकली तो उन्हें आस-पास के लोग पुखरायां स्टेशन की तरफ भागते हुए नजर आये। पूछने पर पता चला कि ट्रेन पलट गयी है। इतना सुनते ही सभी उसी दिशा में दौड़ पड़े।

चींख सुनते ही मदद को भागे ग्रामीण

कानपुर देहात जिला मुख्यालय से 24 किलोमीटर दूर पुखरायां कस्बे से आधा किलोमीटर दूर दलेलपुर गाँव के सामने रविवार सुबह 3 बजकर 10 मिनट पर पटना-इंदौर एक्सप्रेस की बोगियां पटरी से उतर गईं। ट्रेन का एक्सीडेंट इतना जोरदार था कि ट्रेन की बोगियां पटरी से करीब 25 फीट की दूरी पर जा गिरीं। एक्सीडेंट की धमाके भरी आवाज से आस-पास के गाँव दहल गए। ग्रामीण धमाकेदार आवाज़ और चींख-पुकार सुनकर घटनास्थल पर मदद के लिए तुरंत दौड़ पड़े। ग्रामीण घायल यात्रियों की हर संभव मदद करने में जुटे हुए हैं।

नज़ारे याद कर सिहर उठे सभी

ग्रीन महिला जागरूकता समिति की अध्यक्षा शोभा पटेल ने बताया कि जब हम मौके पर पहुंचे तो पुलिसकर्मी लगातार यात्रियों को बोगियों से बहार निकाल रहे थे जो घायल थे उन्हें तुरंत एम्बुलेंस से अस्पताल पहुंचाया जा रहा था।वो आगे बताती हैं कि एस 1 बोगी में सिर्फ एक लडकी ही बची थी वो पटना की रहने वाली थी जो अपने घरवालों को चीख-चीख कर बुला रही थी।शोभा पटेल का कहना है कि बोगी एस 1,2,3 बुरी तरह से क्षतिग्रस्त थी जिसमें लोगों के बचने की सम्भावना बिल्कुल नहीं हैं। बोगी में फंसे म्रतक यात्रियों की लाशें भी पूरी तरह से सलामत नहीं हैं उनके शरीर के कई टुकड़े हो गये हैं ये बताते हुए वो सिहर उठती है।

पांच साल का बच्चा मां की लाश देखता रहा

मौके पर पहुंचे ग्रामीण अभय पटेल (31वर्ष) ने घायल यात्रियों के आस-पास बज रहे फ़ोन को रिसीव करके उनके परिजनों को घायल यात्रियों की सूचना देने में लगे थे। वहीं घायल यात्री अपने परिजनों को फ़ोन करने के लिए कह रहे थे अभय पटेल उनके परिजनों को फोन करके उनकी सलामती की खबर देने में जुटे थे। अभय मौके की स्तिथि को देखते हुए ये अंदाजा लगा रहे हैं कि 300 से ज्यादा लोग मर गये हैं जबकि हजारों की संख्या में यात्री बुरी तरह से घायल हैं ।मौके पर बोगियों से निकाले जा रहे शवों में किसी का केवल हाथ निकल रहा है तो किसी का पैर। वहां पर मौजूद हर ग्रामीण की आँख नम थी हर कोई बचाओ-बचाओ चिल्ला रहा था,जो लोग बच गये थे उनकी नजरें अपनों को तलाश रही थी। घटनास्थल पर पहुंची उमा गुप्ता (34 वर्ष) बताती हैं कि बोगियों के बुरी तरीके से परखचें उड़ गये हैं, एक मासूम पांच साल का बच्चा रो रहा था जिसे उमा ने गले से लगा लिया उसके परिजनों की दूर-दूर तक खबर नहीं थी। ऐसे तमाम मासूम बच्चे,महिला पुरुष दिखे जो बुरी तरह से घायल थे पर उनकी निगाहें अपनों को खोज रही थीं।

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