अब भारत और अमेरिका मिलकर बढ़ाएंगे एरोमा मिशन
सीएसआईआर अरोमा मिशन के तहत भारत में सुगंधित फसलों की खेती के तेजी से विस्तार को ध्यान में रखते हुए, यह उम्मीद की जा रही है कि भारत कई सुगंधित तेलों के उत्पादन में वैश्विक नेता के रूप में उभर सकता है।
लखनऊ। इंस्टीट्यूट फॉर फ्रेग्रेंट मेटीरियल्स (आरआईएफएम), अमेरिका जो कि सुगंधित सामग्रियों की गुणवत्ता की जांच के मानकों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर जाना जाता है और सीएसआईआर- केंद्रीय औषधीय एवं पौधा संस्थान, लखनऊ (सीएसआईआर - सीमैप) जो कि सीएसआईआर की एक अग्रणी प्रयोगशाला है जो कि सगंधित फसलों की खेती और उनके प्रसंस्करण पर कार्य कर रही है के बीच आज पेरिस में एक समझौता हुआ।
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यह समझौता पेरिस में नवंबर 7-9, 2018 के दौरान आयोजित अंतरराष्ट्रीय सुगंध एसोसिएशन की वार्षिक बैठक के दौरान हूआ। इस समझौते पर जिम रोमिने, प्रेसीडेंट, आरआईएफएम तथा प्रोफेसर अनिल कुमार त्रिपाठी, निदेशक, सीएसआईआर - सीमैप द्वारा हस्ताक्षर किए गये।
इस अवसर पर प्रोफेसर अनिल के त्रिपाठी ने बताया, "एमओयू न केवल दोनों संगठनों को आवश्यक तेलों के रासायनिक लक्षणों में एक साथ काम करने में मदद करेगा, बल्कि सुरक्षित प्राकृतिक सुगंधित सामग्रियों की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए गुणवत्ता मानकों को विकसित करने में भी मदद करेगा। एमओयू फरवरी 2017 में आरआईएफएम, प्रेसीडेंट तथा अध्यक्ष की सीएसआईआर सीमैप, प्रयोगशाला की यात्रा का परिणाम है।"
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सीएसआईआर अरोमा मिशन के तहत भारत में सुगंधित फसलों की खेती के तेजी से विस्तार को ध्यान में रखते हुए, यह उम्मीद की जा रही है कि भारत कई सुगंधित तेलों के उत्पादन में वैश्विक नेता के रूप में उभर सकता है। सुगंधित तेलों के निर्यात से न केवल घरेलू सुगंध उद्योग की जरूरत पूरी होगी बल्कि विदेशों में जरूरतमंद उद्योगों को भी आपूर्ति प्रदान हो सकेगी। इसलिए, भारत को घरेलू और निर्यात उद्योग को सुगंधित तेल उपलब्ध करने के लिए, तेलों की गुणवत्ता और उसके सुरक्षित उपयोग को सुनिश्चित करने की जरूरत है। यह एमओयू भारतीय आवश्यक तेल उत्पादकों और निर्यातकों के बीच गुणवत्ता के लिए जागरूकता बढ़ाने और विश्व स्तर पर स्वीकार्य गुणवत्ता और सुरक्षा के मानकों की संभावनाओं को अपनाने की पहल है।