असम में बाढ़ का कहर, 25 लाख लोग प्रभावित

असम की सबसे बड़ी नदी "ब्रह्मपुत्र ने रौद्र रूप धारण कर लिया है असम के एक दर्जन से ज्यादा जिलें ब्रहमपुत्र की चपेट में आ गये है ,बचाव कार्य जारी।

Update: 2019-07-16 08:55 GMT

असम/ लखनऊ। असम में भारी बारिश के चलते स्थिति काफी विकराल हो चुकी है। प्रदेश के 30 जिले बाढ़ की चपेट में हैं। बाढ़ की वजह से जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। करीब  25 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ से जूझ रहे हैं। वहीं एनडीआरएफ द्वारा बचाव कार्य जारी है। 



 ब्रह्मपुत्र की चपेट में असम के जोरघाट, कोकराझार, बोगाईगाँव, मरीगांव, रापेटा, गोलाघाट, माजौरी, दरांग, डिब्रूगढ़, नगांव, बक्शा, लखीमपुर, घेमाजी, सोनितपुर, नलबाड़ी, चिरांग, बरपेटा, बिश्वनाथ जिलें आ गये हैं ।असम के बिश्वनाथ जिले के निवासी कुकिल बरोह ने बताया," बाढ़ के पानी में हमारी फसलें डूब गयी हैं। गाँव में जल स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। लोगों के घर डूूब गए हैं। ज्यादातर लोग सुरक्षित स्थानों पर पहुंच चुके हैं। प्रशासन द्वारा जो इंतजाम बाढ़ राहत के किये गये है वो प्रयाप्त नहीं हैं।"

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बिश्वनाथ घाट निवासी पवित्र दासे ने बताया," बिश्वनाथ जिले में तिलामारी छ्पोरी ,ब्रह्मपुरी ड्योढ़ी बिश्वनाथ घाट सहित रिवर वैली के 40 से 50 गाँव चपेट में आ गये गये हैं। जिन लोगों के घर में पानी भर गया है वो बाहर ऊँची जगहों पर टेंट लगाकर रह रहे हैं। सरकार की तरफ से इधर अभी राहत के लिए कुछ नहीं किया गया हैं।"

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असम के सबसे ज्यादा बाढ़ प्रभावित जिलें मरीगांव के लाहौरी घाट कुस्टली के निवासी फुलेश्वेर दा ने बताया," इस बार की बाढ़ 1998 में आई बाढ़ से से भी बड़ी है। जिले के 80 फीसदी गाँव बाढ़ की चपेट में आ गये हैं। लोग घरों को छोड़ कर आस पास के ऊँचे स्थानों पर चले गये हैं। समय बड़ी दिक्कत ये है कि गाँव और शहर के बीच संपर्क मार्ग बाढ़ की वजह से कट गये हैं। ग्रामीण क्षेत्र में धान, जूट सब्जियों के खेत पूरी तरह से डूब गये हैं। एनडीआरएफ की टीम अभी उन जगहों पर काम कर रही है जहाँ पानी बहुत ज्यादा बढ़ गया है।"

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एनडीआरएफ मुख्यालय के कंट्रोल रूम के अधिकारी सुरेश कुमार ने बताया," दो जिलों मरीगांव और बक्शा में रेसेक्यु आपरेशन चलाकर लोगों को सुरक्षित स्थान पर पंहुचाया जा रहा है। लोगों के लिए रिलीफ कैंप बनाये गये हैं। असम में एनडीआरएफ की कुल 15 टीम काम कर रही हैं, जिनमें  से 10 टीम बक्शा और मरीगांव में काम कर रही हैं। लोगों की ज्यादा से ज्यादा मदद करने और सुरक्षित गांवों से निकालने का प्रयास जारी है।"



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