ज़मीन न मिल पाई, इसलिए ‘ हवा ’ में चल रहे किराए पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराने वाले केंद्र

Update: 2018-02-16 15:38 GMT
उत्तर प्रदेश में ज़मीन पर नहीं लाई जा सकी कस्टम हायरिंग केंद्र योजना, एमपी में हो रही सफल।

पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने बजट में किसानों को किराए पर कृषि यंत्र देने के लिए प्रदेश में 300 कस्टम हायरिंग केंद्र खोलने का फैसला लिया था, लेकिन ज़मीन पर इस योजना को अभी तक लागू नहीं किया जा सका है। आज आए यूपी सरकार के बजट में भी इन केंद्रों का ज़िक्र नहीं हुआ है। हालांकि मध्य प्रदेश में यह योजना बहुत अच्छी तरह से चलाई जा रही है। एमपी में वर्ष 2012 से लागू इस योजना में अभी तक 1,786 कस्टम हायरिंग केंद्र खोले जा चुके हैं।

कस्टम हायरिंग केंद्र किसानों के लिए मददगार कृषि केंद्र माने जाते हैं। इन केंद्रों में किसान खेती के लिए कारगर और कीमती यंत्रों को किराए पर लेकर खेतों में प्रयोग कर सकते हैं। इन केंद्रों में एक ट्रैक्टर (35 बीएचपी से 55 बीएचपी क्षमता )  रोटावेटर, कल्टीवेटर , डिस्क हेरो, सीड कम फर्टिलाईजर ड्रिल, ट्रैक्टर चलित थ्रेशर और स्ट्रॉ रीपर, रेज्ड बेड प्लांटर और राईस ट्रांसप्लांटर यंत्र  जैसे आधुनिक कृषि यंत्र किसानों के उपलब्ध कराए जाते हैं।

ये भी पढ़ें- ढेर सारी सरकारी योजनाओं के मायाजाल में उलझा किसान, नहीं अपनाना चाहता ई-नाम

उत्तर प्रदेश में कस्टम हायरिंग केंद्रों के बारे में कृषि विभाग, उत्तर प्रदेश के संयुक्त कृषि निदेशक (अभियंत्रण) अनिल कुमार दीक्षित बताते हैं ,'' प्रदेश में 300 कस्टम हायरिंग केंद्र खोले जाने की योजना थी, लेकिन इन केंद्रों के निर्माण के लिए विभाग के पास ज़मीन की कमी होने से यह योजना ऑनलाइन शुरू कर दी गई। अब किसान यूपीएग्रीकल्चर डॉट कॉम पर जाकर कृषि यंत्र लेने के लिए अपना पंजीकरण करवाते हैं और विभाग उन्हें कृषि यंत्र उपलब्ध करवाता है।''  अॉनलाइन कृषि यंत्रों की खरीद के बारे में पूछने पर उन्होंने आंकड़े बाद में देने की बात कही।

सबमिशन अॉन एग्रीकल्चर मैकेनाईज़ेशन के तहत पिछले साल बजट में उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों को किराए और अनुदान पर कृषि यंत्र देने के लिए प्रदेश में 300 कस्टम हायरिंग प्वाइंट खोलने का फैसला लिया था। जहां उत्तर प्रदेश में कस्टम हायरिंग केंद्र की ज़मीनी शुरूआत अभी तक नहीं हो पाई है, वहीं मध्य प्रदेश में यह योजना किसानों को पसंद आ रही है। कृषि विभाग मध्य प्रदेश के मुताबिक वर्ष 2012-13 से कस्टम हायरिंग केन्द्र स्थापित करने की योजना शुरू हुई, इसमें लघु और सीमांत किसानों को किराए पर ट्रैक्टर एवं कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जाते हैं। बीते पांच वर्षों में एमपी में कुल 1,786 कस्टम हायरिंग केंद्र खोले गए हैं।

कृषि विभाग , मध्य प्रदेश में सहायक कृषि संचालक मुंशी सिंह गुर्जर ने बताया,'' किसानों की मेहनत और खेती में लगने वाले समय को बचाने और फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए वर्ष 2012 में कस्टम हायरिंग केंद्र खोले जा रहे हैं। इस वर्ष भी मध्य प्रदेश ने 2017-18 में किसानों की भागीदारी को देखते हुए 500 कस्टम हायरिंग केंद्र खोलने का लक्ष्य है। इन केंद्रों का निर्माण कार्य शुरू भी हो चुका है।''

ये भी पढ़ें- यूपी और एमपी में सिंचाई व्यवस्था पटरी पर लाने में फेल हो रहे सरकारी ट्यूबवेल

सरकार की तरफ से जारी की गई कृषि मशीनीकरण रिपोर्ट के मुताबिक सरकार प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, तिलहन, दलहन और मक्के के लिए तकनीकी अभियान, बागवानी के लिए प्रौद्योगिकी अभियान, कपास प्रौद्योगिकी अभियान और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अभियान की मदद से किसानों को कृषि के उपकरण और मशीनों को खरीदने के लिए आर्थिक मदद दी जाती है। सरकारी सर्वेक्षण के मुताबिक भारत में मिट्टी के काम और बीज की तैयारी करने के काम में 40 प्रतिशत , बुवाई और रोपण के काम में 29 प्रतिशत , पौध संरक्षण कार्यों में 34 फीसदी और सिंचाई के काम में 37 प्रतिशत हिस्सा मशीनीकृत किया गया है ।

किसानों को कृषि यंत्र किराए पर देने की इस योजना को सबसे पहले एमपी में शुरू किया गया। इसकी सफलता को देखते हुए कस्टम हायरिंग योजना मॉडल को समझने के लिए पश्चिम बंगाल के कृषि विभाग ने एमपी कृषि विभाग के साथ बैठक का आयोजन किया। इसके साथ ही वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश सरकार ने भी इस मॉडल को यूपी में लाने का फैसला किया, लेकिन ज़मीन की कमी के कारण यह योजना मौजूदा समय में अॉनलाइन उपलब्ध है।

ये भी पढ़ें- एमपी और यूपी में कृषि उपज को फुटकर बेचने पर नहीं देना पड़ेगा कोई मंडी शुल्क

Similar News