दिल्ली में प्रदूषण से जिंदगी 10 वर्ष हुई कम, इस सप्ताह कराई जा सकती कृत्रिम वर्षा

दिल्ली की वायु गुणवत्ता 2016 में सबसे ज्यादा घातक थी और इससे एक नागरिक की जीवन प्रत्याशा में 10 वर्ष से अधिक की कमी आई है।इस सप्ताह कराई जा सकती कृत्रिम वर्षा

Update: 2018-11-20 06:42 GMT

नई दिल्ली। सोमवार को एक नये अध्ययन में कहा गया कि पिछले दो दशकों के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता वर्ष 2016 में सबसे ज्यादा घातक थी और इससे एक नागरिक की जीवन प्रत्याशा में 10 वर्ष से अधिक की कमी आई है। राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण के बढ़ते स्तर के मद्देनजर अधिकारी इस सप्ताह कृत्रिम वर्षा कराने का प्रयास कर सकते हैं ताकि हवा से जहरीले प्रदूषकों को दूर किया जा सके।

रिपोर्ट में कहा गया कि भारत इस समय दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित देश है। उससे ऊपर केवल नेपाल है। इसमें कहा गया कि एशिया में जीवन प्रत्याशा की कमी सबसे ज्यादा हुई है। एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट एट द यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो (एपिक) द्वारा तैयार वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक और संलग्न रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में सूक्ष्मकणों से प्रदूषण से औसत जीवन प्रत्याशा 1.8 वर्ष कम हुई है जो यह मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा वैश्विक खतरा बन रही है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मौसमी दशा स्थिर होने पर कृत्रिम वर्षा कराने के लिये मेघ बीजन (क्लाउड सीडिंग) किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसी सप्ताह वर्षा कराने की योजना है। अगर मौसमी दशा उपयुक्त नहीं हुई तो इसे अगले सप्ताह किया जाएगा। मेघ बीजन सल्विर आयोडाइड, ड्राई आइस और नमक समेत विभन्नि तरह के रासायनिक एजेंटों को मौजूद बादलों के साथ जोड़ने की प्रक्रिया है ताकि उन्हें सघन किया जा सके और इससे वर्षा की संभावना बढ़ाई जा सके।

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रिपोर्ट के मुताबिक, सूक्ष्मकणों से प्रदूषण का जीवन प्रत्याशा पर असर एक बार के धूम्रपान से पड़ने वाले असर के बराबर, दोगुने अल्कोहल और मादक पदार्थ के सेवन, असुरक्षित पानी के तीन गुना इस्तेमाल, एचआईवी-एड्स के पांच गुना संक्रमण और आतंकवाद या संघर्ष से 25 गुना अधिक प्रभाव के बराबर हो सकता है। अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि पिछले दो दशकों में भारत में सूक्ष्मकणों की सांद्रता औसतन 69 प्रतिशत बढ़ गयी, जिससे एक भारतीय नागरिक की जीवन अवधि की संभावना 4.3 साल कम हुई जबकि वर्ष 1996 में जीवन प्रत्याशा में 2.2 साल की कमी का अनुमान लगाया गया था। देश के 50 सबसे अधिक प्रदूषित क्षेत्रों में दिल्ली का स्थान बुलंदशहर के बाद दूसरे नंबर पर था।

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अधिकारी ने कहा कि कृत्रिम वर्षा कराने की खातिर मौसमी दशा अनुकूल बनाने के लिये मौसम विज्ञानी हालात पर नजर रख रहे हैं। आर्द्रता और हवा की बेहद धीमी गति की वजह से मंगलवार को दल्लिी में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में रही। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक 352 दर्ज किया गया जो बेहद खराब श्रेणी में आता है। साल 2016 में सरकार ने कृत्रिम वर्षा के लिये मेघ बीजन की संभावना तलाशने का प्रयास किया था, लेकिन योजना को अमली जामा नहीं पहनाया जा सका। पिछले साल सरकार ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री हर्षवर्द्धन को हेलीकॉप्टर से दिल्ली में पानी का छिड़काव करके धूल कम करने की संभावना तलाशने का प्रस्ताव दिया था।

दिल्ली में हवा की गति मंद रहने और आर्द्रता ज्यादा रहने के चलते सोमवार को भी वायु की गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में रही। केंद्र संचालित वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान (सफर) के मुताबिक कुल वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 322 दर्ज किया गया, जो बेहद खराब श्रेणी में आता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कहा कि दिल्ली में 20 जगहों पर वायु गुणवत्ता बेहद खराब, जबकि 13 अन्य जगहों पर खराब दर्ज की गई। बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, सोमवार को पीएम 2.5 (हवा में मौजूद 2.5 माइक्रोमीटर से कम व्यास के कणों) का स्तर 174 दर्ज किया गया, जबकि पीएम 10 का स्तर 320 रहा।

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गाजियाबाद, फरीदाबाद, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में वायु गुणवत्ता खराब दर्ज की गई, जबकि गुड़गांव में यह सामान्य दर्ज की गई। वायु गुणवत्ता सूचकांक में शून्य से 50 अंक तक हवा की गुणवत्ता को अच्छा, 51 से 100 तक संतोषजन, 101 से 200 तक मध्यम व सामान्य, 201 से 300 के स्तर को खराब, 301 से 400 के स्तर को अत्यंत खराब और 401 से 500 के स्तर को गंभीर श्रेणी में रखा जाता है।

इनपुट- भाषा 

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