जिस वडनगर रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते थे पीएम मोदी, क्या वो 1973 से पहले था?

Update: 2017-10-22 17:29 GMT
नरेंद्र मोदी

लखनऊ। क्या वडनगर रेलवे स्टेशन 1973 से पहले था? पिछले कुछ दिनों में सोशल मीडिया पर इसको लेकर काफी बहस हुई। यह सवाल सोशल मीडिया में क्यों छाया रहा? इसलिए क्योंकि यह सवाल वडनगर के बेटे प्रधानमंत्री मोदी से जुड़ा हुआ है।

हाल ही में पीएम मोदी जब गुजरात में चुनाव प्रचार के लिए अपने गाँव गए थे और वहां उन्होंने कई कल्याणकारी परियोजनाएं लॉन्च कीं और वडनगर के इतिहास के बारे में भी बात की। 2014 में प्रधानमंत्री के रूप में पदभार ग्रहण करने के बाद मोदी ने पहली बार अपने गृह नगर में जब यात्रा की थी तो उसको कवर करते हुए टीवी पत्रकारों ने वाड नगर रेलवे स्टेशन पर चाय के उस स्टाल के दृश्य भी दिखाए थे जहां मोदी चाय बेचा करते थे। रिपोर्टर्स ने यह भी बताया कि कैसे 1960 के दशक में कैसे अपने पापा की मदद करते हुए एक चाय बेचने वाले से प्रधानमंत्री बनने तक का सफर मोदी ने तय किया, उस पर वडनगर गर्व करता है।

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इस बार जब पीएम मोदी वडनगर गए तो मीडिया की कवरेज ने एक बार फिर चाय बेचने वाले मोदी की लोगों को याद दिला दी। हालांकि कई लोग ऐसे भी हैं जिनका ये मानना है कि उन्होंने अपने बचपन में कभी चाय नहीं बेची और यह 2014 का चुनाव जीतने के लिए उनकी एक चाल थी लेकिन इस बार इस बात के साथ एक विवाद और जुड़ गया कि क्या 1973 से पहले वडनगर रेलवे स्टेशन था या नहीं?

ट्विटर पर कुछ यूजर्स ने सवाल किया कि पीएम मोदी छह साल की उम्र में वडनगर रेलवे स्टेशन पर चाय कैसे बेच सकते हैं जबकि वडनगर रेलवे स्टेशन ही 1973 के बाद बना?

नरेंद्र मोदी का जन्म 1950 हुआ था और वडनगर रेलवे स्टेशन 1973 में बना था यानि मोदी 1973 में 23 साल के थे लेकिन यह बात तो सबको पता है कि नरेंद्र मोदी ने 17 साल की उम्र में घर छोड़ दिया था।

दावा - 1973 से पहले वाडनगर स्टेशन मौजूद नहीं था

रेटिंग: गलत

बूमलाइव के मुताबिक, यह तो दावे के साथ नहीं कहा जा सकता कि नरेंद्र मोदी अपने बचपन में चाय बेचते थे या नहीं और 1956 में वाडनगर रेलवे स्टेशन पर चाय का स्टाल था या नहीं लेकिन बूम ने कुछ दस्तावेजों की सहायता से यह पता लगाने की कोशिश की क्या ये बात सच है कि 1973 से पहले वडनगर स्टेशन था या नहीं?

लेकिन पश्चिमी रेलवे की वेबसाइट पर उपलब्ध 'भारतीय रेलवे का इतिहास' नाम से एक पीडीएफ में यह लिखा है कि महसाना और वडनगर के बीच एक रेलवे लाइन थी और यह लाइन 21 मार्च 1887 को खुली थी। आप यहां से वो पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं।

इसी दस्तावेज में यह भी लिखा है कि 1887 में वडनगर रेलवे लाइन थी। ये रेलवे लाइन्स बड़ोदा स्टेट के द्वारा गायकवाड़ के राज में बनवाई गई थीं। जो 1860 के दशक में अपने स्वयं के रेलवे नेटवर्क का निर्माण करने वाले रियासतों में सबसे पहले थे। (स्त्रोत) बड़ोदा राज्य कपास पैदा करने के मामले में आगे था और गायकवाड़ को लगा कि अमेरिकी नागरिक युद्ध (1861 - 1865) के परिणामस्वरूप आपूर्ति में व्यवधान के दौरान इंग्लैंड में बाजारों के लिए कपास की आपूर्ति की जा सकती है। (स्त्रोत)

दावा - नरेंद्र मोदी वडनगर रेलवे स्टेशन पर छह साल की उम्र में चाय बेचते थे।

रेटिंग - साबित नहीं हुआ।

यह बात तो लगभग सभी को पता है कि नरेंद्र मोदी चाय बेचते थे यह बात चर्चा में तब आई जब 2014 के चुनाव प्रचाच के दौरान कांग्रेस नेता मणि शंकर अय्यर ने उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री का मज़ाक उड़ाया। हमेशा एलर्ट रहने वाली मोदी की प्रचार टीम ने इसे प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाया और 'चाय पर चर्चा' नाम से एक प्रोजेक्ट लॉन्च किया जिसमें राहुल गांधी को राजवंश से दिखाया गया वह मोदी को आम आदमी के सच्चे प्रतिनिधि के रूप में पेश किया गया।

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बूमलाइव के मुताबिक, ऐसा कोई स्रोत मौजूद नहीं है जिससे यह पूरी तरह से पता लगाया जा सके कि मोदी सच में रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते थे या नहीं लेकिन यह बात असंभव भी नहीं लगती क्योंकि अक्सर यह देखने में आता कि चाय बेचने वालों के बच्चे भी ग्राहकों तक चाय पहुंचाने में उनकी मदद करते हैं।

इसी बारे में पता लगाने के लिए कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला ने 2015 में रेलवे में एक आरटीआई डाली कि क्या रेलवे ने मोदी को वडनगर रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने का कोई पास इश्यू किया था। डेक्कन क्रोनिकल ने ये ख़बर की थी और इसका लिंक भी वहां मौजूद है। पूनावाला ने पूछा कि क्या रेलवे के पास कोई रजिस्ट्रेशन नंबर या कोई आधिकार पास है जो उसने मोदी को ट्रेन में या रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने की अनुमति देते हुए दिया हो। इस सवाल का जवाब देते हुए रेलवे ने कहा कि ऐसी कोई सूचना रेलवे बोर्ड के पर्यटन और कैटरिंग निदेशालय के टीजी-तृतीय शाखा में उपलब्ध नहीं है।

हालांकि रेलवे के इस जवाब से ये साबित नहीं होता कि पीएम मोदी वडनगर रेलवे स्टेशन पर चाय नहीं बेचते थे। कई दशक पहले भारत में कई छोटे स्टेशनों की तरह, वडनगर भी एक छोटा स्टेशन था, जहां उचित प्लेटफॉर्म इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं था।

बूमलाइव के मुताबिक , एंडी मरीनो की किताब 'नरेंद्र मोदी : ए पॉलिटिकल बायोग्राफी' में वडनगर स्टेशन के बारे में लिखा गया है। किताब में लिखा है कि नरेंद्र मोदी के पिता दामोदरदास की जीविका स्टेशन पर लगे चाय के स्टाल से ही चलती थी। हालांकि इस किताब से भी यह साबित नहीं होता कि नरेंद्र मोदी के पिता उस स्टेशन पर चाय बेचते थे। यानि ऐसा कोई सबूत मौजूद नहीं जिससे ये पता लगाया जा सके कि वाकई पीएम मोदी बचपन में चाय बेचते थे या नहीं।

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