छत्तीसगढ़ में महिला सशक्तिकरण की मिसाल बना 'दीदी मड़ई'

छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में महिलाओं का यह दीदी मड़ई कार्यक्रम लोगों के लिए खास आकर्षण का केंद्र बना।

Update: 2020-03-05 10:29 GMT

"मैं आठवीं पास हूं, पहले घर में चूल्हा-चौका करती थी, खेतों में काम करती थी, मगर आज महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद हम अपना काम कर रहे हैं और गांव की दूसरी महिलाओं को भी जोड़ रहे हैं। समूह की वजह से आज हम ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक स्थिति बेहतर हो रही है," यह कहना है महानदी महिला संघ की अध्यक्ष बनीं बेदबाई नेताम का।

बेदबाई नेताम जैसी हजारों ग्रामीण महिलाएं आज छत्तीसगढ़ में महिला सशक्तिकरण की मिसाल बन चुकी हैं। यहां राष्ट्रीय आजीविका मिशन और बिहान के तहत बनाए गए 2107 महिला स्वयं सहायता समूह के संगठन को महानदी महिला संघ के नाम से जाना जाता है। ये समूह महिलाओं के साथ जुड़कर महिला सशक्तिकरण और आर्थिक विकास के लिए काम कर रहे हैं।

इस महिला संघ से अब तक 24 हजार से ज्यादा वे महिलाएं जुड़ चुकी हैं, जो कभी घर के दरवाजों तक ही सिमटी रहती थीं, मगर आज वह खुद का काम कर रही हैं और परिवार में आर्थिक रूप से सहयोग भी कर रही हैं। हाल में महानदी महिला संघ से जुड़ी महिलाओं ने खुद के पैसों से धमतरी जिले में 'दीदी मड़ई' कार्यक्रम का धूमधाम से आयोजन किया।

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छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में दीदी मड़ई कार्यक्रम में समूहों से जुड़ीं ढाई हजार से ज्यादा महिलाओं ने शिरकत की। फोटो : पुरुषोत्तम ठाकुर

महिलाओं का यह दीदी मड़ई कार्यक्रम लोगों के लिए खास आकर्षण का केंद्र बना। इस मौके पर समूहों की करीब ढाई हजार महिलाएं शामिल हुईं। कार्यक्रम में जहां एक ओर छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत देखने को मिली, दूसरी ओर इन महिला समूहों ने अपनी गतिविधियों को 42 स्टॉल लगाकर प्रदर्शित किया।

कार्यक्रम में शामिल हुईं धमतरी जिले के बिड़बिरी गांव की कौशल साहू बताती हैं, "श्रद्धा समूह से जुड़ने के बाद मैंने अपने घर में अगरबत्ती की मशीन लगाई, जहां मैं परिवार के साथ मिलकर काम कर रही हूं। आज मैं भी कमा रही हूं, साथ ही और महिलाओं को भी प्रेरित कर रही हूं कि समूह के साथ मिलकर वे भी आर्थिक दृष्टि से मजबूत बनें।"

कार्यक्रम में खेतों में उपयोग होने वाली वर्मी कंपोस्ट का स्टॉल लगा कर प्रदर्शित कर रहीं उड़ी गांव से आई एक महिला बताती हैं, "हम समूह की महिलाएं वर्मी कंपोस्ट बनाती हैं और उसकी पैकिंग करके बेचते हैं। अब तक हम यहां दस कुंतल वर्मी कंपोस्ट बेच चुके हैं। समूह के जरिए आज हम जैसी महिलाओं को काम मिल रहा है तो अच्छा लगता है।"

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कार्यक्रम में आईं समूह की महिलाएं काफी उत्साहित दिखीं। छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से इन महिलाओं को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। इस मौके पर कई महिलाओं ने समूहों से जुड़ने के बाद अपने जीवन में आने वाले बदलावों की कहानी भी बयां की।

दीदी मड़ई कार्यक्रम में शामिल प्रदान संस्था के जिला प्रमुख मसरूर अहमद बताते हैं, "हम सभी महिला स्वयं सहायता समूह सरकार के अलग-अलग विभागों के साथ मिलकर महिलाओं की आजीविका संवर्धन के लिए काम कर रहे हैं। अभी तक इन समूह ने दो करोड़ से ज्यादा रुपये का बचत किया है, इससे महिलाओं में अलग तरह का आत्मविश्वास बढा है। हमारी कोशिश है कि अधिक से अधिक महिलाओं को समूहों से जोड़ें।"

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कार्यक्रम में महिलाओं ने समूहों से बनने वाले उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई । फोटो : पुरुषोत्तम ठाकुर


महिलाओं ने समूह की ओर से खेतों में उगाए जा रहे है शाक-सब्जियों की भी लगाई प्रदर्शनी । फोटो : पुरुषोत्तम ठाकुर


समूह की महिलाओं ने खेतों से जुड़ी सामग्रियों का भी स्टॉल लगाया । फोटो : पुरुषोत्तम ठाकुर


समूह की महिलाओं ने ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए गांव जर्बरा का स्टॉल लगाया। फोटो : पुरुषोत्तम ठाकुर


कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शामिल हुईं समूह से जुड़ीं महिलाएं । फोटो : पुरुषोत्तम ठाकुर


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