वीडियो : राह चलते हाथ मार देना, ओछी फब्तियां कसना, सब आम बातें हैं लड़कियों के लिए
छेड़खानी को झेलना लड़कियां बचपन से ही सीख लेती हैं। वो चाहती हैं इसका विरोध करना लेकिन नहीं कर पातीं क्योंकि हमारे समाज की व्यवस्था ही ऐसी है कि जब भी कोई लड़की छेड़खानी का विरोध करती है तो लोग उस पर ही सवाल उठाना शुरू कर देते हैं। नसीहतों का दौर शुरू हो जाता है। तुम ऐसे कपड़े क्यों पहनती हो, घर से बाहर ही क्यों निकलती हो, तुम्हारा बोलना ज़रूरी है क्या?
उन्हें समझाया जाता है कि छेड़खानी कोई बड़ी बात नहीं है, ऐसा तो होता ही है लड़कियों के साथ। राह चलते हाथ मार देना, ओछी फब्तियां कसना, सब आम बातें हैं लड़कियों के लिए। लेकिन अब वक्त बदल रहा है लड़कियां मुखर हो रही हैं। आज वो खुदमुख्तार हैं तो क्यों इन नसीहतों को सुनें, ऐसा उनका सोचना है। पर हालात नहीं बदले हैं, लोगों की सोच और मानसिकता लड़कियों के मामले में आज भी वही है। सुनिए एक लड़की की आपबीती कि बचपन से उसे क्या सिखाया जाता है और कैसे लड़कियां एक कमरे में बंद होकर अपने साथ हुई छेड़खानी पर रो लेती हैं...
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