यूपी और उत्तराखंड को छोड़कर किसानों का आज देशव्यापी चक्का जाम, हरियाणा-पंजाब में सबसे ज्यादा असर

Update: 2021-02-06 09:08 GMT
चक्का जाम के दौरान हरियाणा के हिसार जिले में किसान नेता गुरुनाम सिंह चढूूनी लोगों को संबोधित करते हुए। फोटो अरेंजमेंट

कृषि क़ानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य को गारंटी कानून बनाने की मांग कर रहे किसान संगठन आज देशव्यापी चक्का जाम किया। इस दौरैान सबसे ज्यादा असर पंजाब और हरियाणा में देखने को मिला। पंजाब में जगह-जगह प्रदर्शन कर रोड जाम की गई हैं। हरियाणा में किसान संगठनों ने जगह-जगह हाईवे और सड़कों पर को जाम किया है। किसान संगठनों इस चक्का जाम से यूपी और उत्तराखंड को बाहर रखा था। यूपी में किसान संगठनों ने कई जगहों पर डीएम और एमडीएम को अपने ज्ञापन सौंपे।

संयुक्त किसान मोर्चा ने कृषि क़ानूनों के खिलाफ आंदोलन को तेज़ करते हुए देशभर में 6 फरवरी को चक्का जाम का ऐलान किया था। लेकिन पांच फरवरी को भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने मीडिया को बताया था कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कृषि कार्य व परिस्थितियों को देखते हुए भारतीय किसान यूनियन के आह्वान पर 6 फरवरी को होने वाला चक्का जाम वापस लिया गया।

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किसान संगठनों ने इससे पहले 25 सितंबर को भारत बंद का ऐलान किया था तो 5 नवंबर को पंजाब-हरियाणा समेत कई राज्यों में चक्का जाम का किया था। इसी चक्का जाम के दौरान पंजाब और हरियाणा के किसान संगठनों ने 26-27 नवंबर को चलो दिल्ली का ऐलान किया था। जिसके बाद हजारों किसान 26 नवंबर को दिल्ली पहुंचे थे, उसके बाद से ही किसानों का दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन जारी है। 5 फरवरी को किसानों के दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन के 73 दिन हो गए हैं। किसान नेताओं के मुताबिक इस दौरान अलग-अलग वजहों से आंदोलन में शामिल 194 किसानों की मौत हो गई है।

गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों का हुजूम। फोटो-अरविंद शुक्ला

एक तरह जहां दिल्ली की सीमाओं पर किसान धरने पर बैठे हैं वहीं यूपी और हरियाणा में किसान पंचायतें हो रही हैं। किसान पंचायतों की शुरुआत 29 जनवरी को भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत के गृह जिले मुज़फ़्फरनगर से हुई थीं, जब यूपी पुलिस ने गाजीपुर बॉर्डर पर 28 जनवरी की रात धरना हटाने और राकेश टिकैत के सरेंडर की तैयारी की अटकलों ने तेजी पकड़ी थी। राकेश टिकैत ने खुद कहा था कि वो गिरफ्तारी दे देते लेते उन्हें शक है कि कुछ स्थानीय विधायक उनके लोगों के साथ हिंसा कर देते और आंदोलन खत्म करवा देते इसलिए अब चाहे जान चली जाए वो न गिरफ्तारी नहीं देंगे और आंदोलन जारी रहेगा। इस दौरान भावुक राकेश टिकैत न सिर्फ मीडिया से बात करते हुए रोने लगे बल्कि उन्होंने कहा कि जबतक उनके गांव से पानी नहीं आएगा, वो पानी नहीं पीएंगे। अगले कुछ घंटों में किसान आंदोलन की दिशा बदल गई थी। हजारों लोग गाजीपुर बॉर्डर की तरफ चल पड़े थे। और दूसरे दिन से किसान महापंचायतों का दौर चल पड़ा था। इसे किसान आंदोलन की नई शुरुआत भी कहा गया।

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