हरियाणा: डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला का घेराव करने पहुंचे किसानों पर सिरसा में वाटर कैनन और आंसू गैस का इस्तेमाल

हरियाणा में डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला का घेराव करने पहुंचे किसानों पर सिरसा में वाटर कैनन और आंसू गैस का इस्तेमाल, पुलिस पर भी पथराव

Update: 2020-10-06 17:13 GMT

सिरसा/लखनऊ। कृषि कानूनों को लेकर किसानों का विरोध थमता नजर नहीं आ रहा है। नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर कई हजार किसानों ने हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का घर घेरने कोशिश की। पुलिस ने किसानों को रोकने और उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले और वैटर कैनन का इस्तेमाल किया, जिसके विरोध में किसान वहीं धरने पर बैठ गए हैं।

तीनों नए कृषि कानूनों को किसान विरोधी बताते हुए हरियाणा के 17 स्थानीय कृषि संगठनों ने 6 अक्टूबर को प्रदर्शन और डिप्टी सीएम के साथ ऊर्जा मंत्री के घर के घेराव का ऐलान किया था। सिरसा के दशहरा ग्राउंड में सुबह से ही हजारों किसान आसपास के जिलों से पहुंचे हुए थे। इन किसानों ने दोपहर दो बजे के करीब डिप्टी सीएम का घर घेराव के लिए कूच किया। पुलिस ने इन्हें बाबा भूमणशाह चौक पर बैरिकेंटिग लगाकार रोक दिया। इस दौरान पुलिस से नोकझोंक के बाद किसानों ने बैरीकेटिंग को तोड़ दिया, जिसके बाद पुलिस ने किसानों पर वाटर कैनन और आंसू गैस के गोले दागे। जिसके बाद नाराज किसानों की तरफ से पुलिस पर भी पथराव किया गया।

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हरियाणा में सिरसा जिले के दशहरा मैदान में तीन कृषि बिलों के खिलाफ जमा किसान। 

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इस विरोध प्रदेश के मुख्य आयोजक राष्ट्रीय किसान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष जसवीर सिंह भाटी ने गांव कनेक्शन को फोन पर बताया, "ये विरोध प्रदर्शन हरियाणा के 17 किसान संगठनों ने मिलकर बुलाया था। हजारों किसान नाराज हैं तो जब सीएम के घर का घेराव को चले तो करीब 20 हजार किसान साथ हो लिए। पुलिस ने किसानों को बाबा भूमणशाह चौक पर रोक दिया और वहां से हटाने के लिए पानी की बौछार की और आंसू गैस के गोले दागे। लेकिन किसान इससे डरने वाला नहीं है।" दुष्यंत चौटाला का घर बाबा भूमणशाह चौक से करीब 500-800 मीटर की दूरी पर है।

दिनभर के प्रदर्शन और हंगामे के बाद हजारों रात में भी सिरसा में डेरा डाले हुए हैं। आगे प्रदर्शन की रणनीति क्या होगी? इस सवाल के जवाब में जसवीर सिंह भाटी ने गांव कनेक्शन को बताया, 8 अक्टूबर को हरियाणा के ही कुरुक्षेत्र में देशभर के किसान संगठनों की बैठक बुलाई गई है, उसमें जो निर्णय होगा उसी के हिसाब से आगे की लड़ाई लड़ी जाएगी, फिलहाल हजारों किसान सिरसा में रुके हैं।"

किसान या कुर्सी प्रदर्शन के दौरान मंच पर सरकार वीएम सिंह और गुरुनाम सिंह चढ़ूनी व अन्य किसान नेता।

सिरसा में हुए किसान सिरसा, असंध, हिसार, जींद, तोशाम, कैथल, करनाल समेत आसपास के जिलों में सक्रिय किसान संगठनों ने हिस्सा लिया। राष्ट्रीय किसान संगठन (स्टेट प्रेजिसडेंट), भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी), सेवा सिंगारिया भारतीय किसान, अन्नदाता किसान यूनियन, जमींदार स्टूजेंट आर्गेनाइजन ( छात्रों का किसान संगठन) प्रमुख रहे। इसके साथ ही अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के संयोजक और किसान मजदूर किसान संगठन के अध्यक्ष सरदार वीएस सिंह, भारतीय किसान यूनियन के गुरुनाम सिंह चढूनी, मनदीप सिंह, प्रहदाल सिंद, जोगेंद्र घासी रामनैन, सत्यवान दनौदा, रमेश पंघाल, राजेंद्र आर्य, अजित सिंह, विनोद राणा, दिलबाग सिंह, रमेश बेनिवाल, गुरदास सिंह, रामपाल चहल के संगठनों ने प्रदर्शन की अगुवाई की।

इस प्रदर्शन का आयोजन हरियाणा की 17 स्थानीय किसान यूनियन ने किया था।

प्रदर्शन को भाकपा माले, एककेआईएस, किसान मजदूर सभा, स्वराज इंडिया, किसान मजदूर किसान संगठन, सोसलिष्ट यूनिटी काउंसिल ऑफ इंडिया, जमींदार स्टूजेंट ऑर्गेनाइजेशन (छात्र सभा) ने किसानों की मांगों और उनके प्रदर्शन को समर्थन दिया।

सिरसा में रात में भी डेरा डाले हुए हैं हजारों किसान।

पंजाब में 30 किसान यूनियन 6 दिन से हैं सड़क पर

कृषि बिलों पर हरियाणा से ज्यादा घमासान पंजाब में मचा है। पंजाब में करीब 30 किसान संगठनों ने केंद्र और राज्य की कैप्टन अमरेंद्र सिंह सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। किसानों ने टोल प्लाजा पर कब्जे कर उन्हें फ्री कर दिया है तो बड़ी कंपनियों जैसे रिलाइंय, इस्सार आदि के पेट्रोल पंप, रिलायंस के मॉल, वालमार्ट स्टोर समेत दूसरे बड़े स्टोर बंद कर दिया हैं। किसान रेलवे ट्रैक पर राशन लेकर आए हैं उनका कहना है जबक उतक उनकी मांगे नहीं मानी जाएंगी उनका प्रदर्शन जारी रहेगा। संबंधित खबर यहां पढ़ें 

14 सितंबर से देश में जारी हैं प्रदर्शन

तीन नए कृषि अध्यादेशों के खिलाफ देश में संसद के मानूसन संत्र के पहले दिन से विरोध प्रदर्शन जारी है। विरोध के सबसे ज्यादा सुर पंजाब और हरियाणा से उठ रहे हैं, इसके अलावा पश्चिमी यूपी में भी प्रदर्शऩ जारी हैं। अलग-अलग किसान यूनियन देश में लगातार प्रदर्शन और विरोध कर रही हैं। 25 तारीख को भारत बंद, पंजाब में रेल रोको आंदोलन के अलावा, कई जगहों पर गांवों में एनडीए नेताओं का विरोध किया जा रहा है। हरियाणा बीजेपी के कई नेताओं, सांसद और विधायकों के साथ दुष्यंत चौटला की पार्टी के नेताओं को भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। 

सिरसा में रात में डेरा डाले किसान के बीच किसान स्वराज के योगेंद्र यादव।

हाल ही में ये तीन कृषि कानून देश हुए हैं लागू

संसद के दोनों सदनों से पास होने और देश में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर होने के बाद 27 सितंबर से देश में तीनों नए कृषि कानून लागू हो गए हैं। कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल ( Farmers' Produce Trade & Commerce (Promotion & Facilitation) Bill 2020, कृषक (सशक्ति करण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 Farmers (Empowerment & Protection) Agreement on Price Assurance & Farm Services Bill 2020 और आवश्यक वस्तु अधिनियम 2020 (The Essential Commodities (Amendment) Bill) 2020 देश में अब कानून बन गए हैं।

सरकार का कहना है नए कानून देश में किसानों और कृषि की दशा में अमूलचूल परिवर्तन लाएंगे, किसानों की आमदनी बढ़ाएंगे, कृषि में निजी निवेश होगा जबकि किसान संगठनों और विपक्ष का कहना है कि इससे किसान का हक एमएसपी खत्म हो जाएगी, मंडी व्यवस्था पीछे के रास्ते से खत्म की जाएगी और खेती पर बड़ी कंपनियां हावी हो जाएंगी। हालांकि सरकार सभी आरोपों को निराधार और किसान संगठनों के विरोध को राजनीति से प्रेरित बताती है।

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